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खगड़िया में टूटा 17 वर्षों का रिकॉर्ड, पारा @4.10c

चुभ रही बर्फीली हवा, हाड़ कंपा रही ठंड भागलपुर : जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फवारी का असर अब कोसी-पूर्व बिहार व सीमांचल के जिलों में भी देखा जा रहा है. कनकनाती पछुआ हवा लोगों के हाड़ कंपाने का काम कर रही है. बुधवार को खिली धूप में हवा की तेज रफ्तार ने कनकनी की टीस कम […]

चुभ रही बर्फीली हवा, हाड़ कंपा रही ठंड

भागलपुर : जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फवारी का असर अब कोसी-पूर्व बिहार व सीमांचल के जिलों में भी देखा जा रहा है. कनकनाती पछुआ हवा लोगों के हाड़ कंपाने का काम कर रही है. बुधवार को खिली धूप में हवा की तेज रफ्तार ने कनकनी की टीस कम होने नहीं दिया. वहीं जानलेवा ठंड ने सहरसा, मुंगेर, खगड़िया व बांका में पांच लाेगों की जान ले ली.
पूर्वी बिहार के कई जिले बुधवार को कोल्ड डे की चपेट में रहे. वहीं पूरे प्रदेश में रिकाॅर्ड तोड़ कड़ाके की ठंड जारी है. केंद्र सरकार के मौसम विभाग के आंकड़े के अनुसार बिहार में पिछले 15 वर्षों में जनवरी माह में इतनी ठंड नहीं पड़ी. 15 वर्षों में यह पहली बार है कि न्यूनतम पारा 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया है.
खगड़िया में टूटा…
अब अधिकतम तापमान में भी गिरावट हाेने लगी है. बुधवार को मधेपुरा का न्यूनतम तापमान नौ डिग्री तो खगड़िया का न्यूनतम तापमान 11.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. खगड़िया में तो ठंड ने 17 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
गांव से लेकर शहर तक काेहरे की चादर
शाम 5 बजते ही कोहरे का कहर जारी हो जाता है. समय के साथ शहर से लेकर गांव तक कोहरे की चादर में लिपटा नजर आने लगता है. रात में तो सड़कों पर वाहन चलाना खतरे को मोल लेने के बराबर हो गया है. कोहरे के कारण रात में वाहनों की रफ्तार काफी धीमी हो जाती है. इतना ही नहीं बुधवार की सुबह तो 9 बजे भी सड़कों पर चल रही वाहनों के हेड लाइट व इंडिकेटर जले हुए थे. वाहन रेंगते हुए आगे बढ़ रहे थे. मौसम विभाग के अनुसार 13 जनवरी तक पूरे बिहार में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने की संभावना है. मकर संक्रांति तक पूरे प्रदेश में कोहरा छाए रहने का अनुमान है.
बच्चे व बुजुर्गों का हाल-बेहाल
हाड़ कंपाने वाली ठंड का सबसे खराब प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है. वह तेजी से कोल्ड डायरिया और निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं. अस्पतालों में ठंड से पीड़ित बच्चे और बुजुर्ग इलाज कराने रोज पहुंच रहे हैं. वहीं शीतलहर से पशु पक्षी के साथ ही फसलों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हवा में नमी बढ़ने फसल पर पाला का खतरा बढ़ गया है.
जिलों की स्थिति
जिला न्यूनतम अधिकतम मौत
सहरसा 5 17 01
सुपौल 5 16 00
मधेपुरा 4 09 00
लखीसराय 7 18 00
जमुई 6 19 00
अररिया 7 18 00
किशनगंज 6 15 00
पूर्णिया 6 14 00
कटिहार 6 18 00
मुंगेर 7 19 02
खगड़िया 4.1 11.3 01
बांका 6 17 01

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