ठंड का कहर. आठ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही पछिया ने बढ़ायी मुश्किल
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पांच पर पहुंचा तापमान, बढ़ी कनकनी
ठंड का कहर. आठ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही पछिया ने बढ़ायी मुश्किल घरों में दुबके रहे लोग मधुबनी : तेज पछिया, कंपकंपाती ठंड का कहर लगातार जारी है. लोग बाहर निकलने में भी डर रहे हैं. छोटे छोटे बच्चों की बातें कौन करे, बुजुर्ग भी घर में दुबकने को विवश हो […]
घरों में दुबके रहे लोग
मधुबनी : तेज पछिया, कंपकंपाती ठंड का कहर लगातार जारी है. लोग बाहर निकलने में भी डर रहे हैं. छोटे छोटे बच्चों की बातें कौन करे, बुजुर्ग भी घर में दुबकने को विवश हो गये है. काम को दूसरे दिन पर टालते जा रहे हैं. लगातार दसवें दिन भी बुधवार को हवा इतनी तेज रही कि लोग बाहर निकलने से डरते रहे. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की अपेक्षा न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस रहा था. जबकि बुधवार को यह 5.5 डिग्री रिकार्ड किया गया. वहीं अधिकतम तापमान मंगलवार की अपेक्षा लुढ़का. मंगलवार को जहां अधिकतम तापमान 12 डिग्री पर था. वह बुधवार को और कम हो गया. बुधवार को अधिकतम तापमान 9.8 रिकार्ड किया गया.
बसों में पैसेंजर नहीं
बुधवार को बस स्टैंड पूरी तरह वीरान रही. इक्का दुक्का यात्री ही आये. अधिकांश बस खाली ही स्टैंड से खुली. ठंड ने बस चालकों व संचालकों पर भी आफत ला दिया है. लंबी दूरी की अधिकांश बसें खाली ही जा रही है. बस मोटर चालक संघ के अध्यक्ष उमाशंकर ठाकुर उर्फ मुन्ना ठाकुर ने बताया है कि इन दिनों बस स्टैंड से अधिकांश बस में पूरा सीट तक नहीं भर पा रहा है. कइ बस का परिचालन भी बंद हो गया है. जिस कारण बस संचालकों को हर दिन हजारों का घाटा हो रहा है. वहीं सबसे अधिक परेशानी व घाटा मधुबनी से दिल्ली जाने वाली बसों के मालिकों को हो रही है. बस में पूरा यात्री नहीं होने के बाद भी बस को दिल्ली तक परिचालन करना पड़ रहा है. जिस कारण हर दिन हजारों का नुकसान हो रहा है.
अस्पताल में मरीज की कमी
अस्पतालों में भीषण ठंड के कारण मरीजों की संख्या काफी कम हो गयी है. अप्पताल के अधिकांश वार्ड खाली पड़े हैं, जो मरीज आते हैं वे अपना इलाज कराकर वापस घर लौट रहे हैं. जिस कारण अस्पताल का बेड खाली है.
ठंड का खेती पर भी पड़ रहा असर
तेज पछिया हवा ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. बुधवार को हवा की गति 8 किलोमीटर प्रति घंटा रहा. जिससे जन जीवन अस्त व्यस्त रहा. लोग अलाव के पास बैठे रहे. किसान भी खेत जाना बंद कर रहे हैं. ठंड का खेती पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. हांड़ कंपाने वाली ठंड ने लोगों को बेहाल कर दिया है. सड़कें वीरान हो गयी. लोग सुबह में देर तक कंबल व रजाई में दुबके रहे तो शाम में जल्द से जल्द बिस्तर में दुबकने की कोशिश में थे.
सरकारी स्तर पर नहीं जल रहा अलाव
पारा दिन व दिन लुढकता जा रहा है. परेशानी बढ़ती जा रही है. पर सरकारी स्तर पर अलाव का इंतजाम बेदम हो चुका है. आलम यह है कि पूरे शहर भर में कहीं भी सरकारी स्तर पर अलाव का इंतजाम नहीं देखा जा रहा है. लोग अपने अपने स्तर से जलावन व कागज, कूट जलाकर अलाव का इंतजाम कर रहे हैं.
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