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सर्द रात में सिस्टम का सितम झेल रहीं ठिठुरती हुई कई जिंदगियां
पटना : रात सवा ग्यारह से 12 बजे का वक्त. तापमान तीन डिग्री से नीचे. राजधानी के अधिकतर लोग गर्म कपड़ों और रजाइयों में गर्माहट ले रहे थे, लेकिन रैनबसेरों में जिंदगी ठिठुर रही थी. हमारे फोटो जर्नलिस्ट संजीव कुमार जब रैनबसेरों की थाह लेने पहुंचे तो ठिठुरती हुई कई जिंदगियां सिस्टम का सितम झेलने […]
पटना : रात सवा ग्यारह से 12 बजे का वक्त. तापमान तीन डिग्री से नीचे. राजधानी के अधिकतर लोग गर्म कपड़ों और रजाइयों में गर्माहट ले रहे थे, लेकिन रैनबसेरों में जिंदगी ठिठुर रही थी. हमारे फोटो जर्नलिस्ट संजीव कुमार जब रैनबसेरों की थाह लेने पहुंचे तो ठिठुरती हुई कई जिंदगियां सिस्टम का सितम झेलने को मजबूर दिखीं.
रैनबसेरे में गर्माहट के नाम पर बस नाम मात्र के पुआल हैं. बिछाने के लिए कोई बेडशीट नहीं. इस पर सोनेवाले ने खुद जुगाड़ कर फटी पुरानी चादर बिछायी थी. चापाकल महीनों से खराब पड़ा है.
साइंस कॉलेज के पास बने आधुनिक रैनबसेरे की है. अंदर में चौकी है, पुआल व चादर है. यहां लोग ज्यादा हैं और जगह काफी कम पड़ रही है. जिसके कारण लोग बाहर सोने को मजबूर हैं.
यहां रिक्शे की कतार लगी हुई है और उसी के बीच कुछ रिक्शे वाले कंबल में सिमटे हुए हैं. वहीं अंदर में रैनबसेरे में पुआल के बीच गर्माहट तलाशते कुछ लोग मौजूद थे.
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