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एफोर्डिबिलिटी क्लाउज के पेच में फंसा है सेल के अधिकारियों का वेज रिविजन

इस्पात जगत. सात महारत्नों में से पांच में लागू किया गया है नया वेज रिविजन सबसे बड़ी स्टील प्रोड्यूसर कंपनी के अफसर लाभ से वंचित बोकारो : सात महारत्न कंपनियों में से पांच ने नया वेज रिविजन लागू कर दिया है. इसमें भेल, कोल इंडिया, गेल, आइओसीएल और ओएनजीसी शामिल हैं. एनटीपीसी में भी नया […]

इस्पात जगत. सात महारत्नों में से पांच में लागू किया गया है नया वेज रिविजन

सबसे बड़ी स्टील प्रोड्यूसर कंपनी के अफसर लाभ से वंचित
बोकारो : सात महारत्न कंपनियों में से पांच ने नया वेज रिविजन लागू कर दिया है. इसमें भेल, कोल इंडिया, गेल, आइओसीएल और ओएनजीसी शामिल हैं. एनटीपीसी में भी नया वेज लागू करने की तैयारी की जा रही है. नवरत्न कंपनियों में शामिल एनएमडीसी, कंटेन काॅर्पोरेशन ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड आदि ने भी एक जनवरी 2017 से नया वेज लागू कर दिया है.
दूसरी ओर, देश की सबसे बड़ी स्टील प्रोड्यूसर कंपनी सेल के अफसर कंपनी के केवल वर्ष 2015-16 के बड़े घाटे के कारण वेज रिविजन से वंचित हैं. तीन वर्षों के एफोर्डिबिलिटी क्लाउज के पेच में मामला फंसा है. मंथली इंसेंटिव बंद होने व परफाॅर्मेंस रिलेटेड पे के फार्मूले से हो रहे आर्थिक नुकसान के चलते अफसरों का मनोबल पहले से गिरा हुआ है.
इस बीच उनकी सुविधाओं में भी कैंची चल रही है. अब यदि 10 वर्षों के इंतजार के बाद वेज रिविजन नहीं होता है, तो सेल सहित बीएसएल के अफसरों के मनोबल को बनाये रखना मैनेजमेंट के लिए बड़ी चुनौती होगी.
केवल एक साल का घाटा पड़ा भारी : सेल के अफसरों को केवल वर्ष 2015-16 के बड़े घाटे का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. यही वजह है कि उनकी मांग है कि विगत 10 वर्षों के कर पूर्व लाभ के औसत या श्रेष्ठ तीन वर्षों के औसत को वेज रिविजन का आधार बनाया जाये. सेल ने 10 वर्षों में 54395 करोड़ कर पूर्व लाभ कमाया है.
उच्च स्तर पर लाॅबिंग की जरूरत : पे-रिविजन में एफोर्डेबिलिटी क्लाॅज हटाने के लिए स्टील एक्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (सेफी) के पदाधिकारियों ने अब तक कई केंद्रीय मंत्रियों व स्टील मिनिस्ट्री के अफसरों से मिल कर अपनी बात रखी है. कई सांसदों से भी मिले हैं. लेकिन अफसरों को लग रहा है कि इस मामले में उच्च स्तर पर लाॅबिंग की जरूरत है.
बाहरी कारणों को बताया जा रहा घाटे का जिम्मेवार : अफसरों का तर्क है कि पिछली सरकार की ओर से सेल के आधुनिकीकरण व विस्तारीकरण में 72000 करोड़ रुपया का भारी निवेश किया गया. इसके लिए गये लोन पर दिया जाने वाला भारी ब्याज व डेप्रिसिएशन की भारी-भरकम राशि का असर कंपनी के वित्तीय निष्पादन पर पड़ रहा है. ब्याज व डेप्रिसिएशन के अतिरिक्त भार के कारण ही सेल को विगत वर्ष 2015-16 में हानि उठानी पड़ी थी. अफसर कहते हैं कि सेल के घाटे में बाहरी कारण प्रमुख हैं.
क्लाउज हटाने काे बोसा तत्पर : एफोर्डिबिलिटी क्लाउज को हटाने को लेकर बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन (बोसा) भी तत्पर है. इसके लिए बोसा अध्यक्ष एके
सिंह ने धनबाद सांसद पीएन सिंह, दिल्ली सांसद मनोज तिवारी सहित सांसद जगदंबिका पाल, सुनील कुमार सिंह, सुदर्शन भगत से पीएम को
पत्र भिजवाया है. श्री सिंह इस मामले
को लेकर नयी दिल्ली में कई सांसदों व सेल अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं.
सेल सहित अन्य महारत्नों के कर पूर्व लाभ के वर्षवार आंकड़े
कंपनी 2010-11 2011-12 2012-13 2013-14 2014-15 2015-16
भेल 659 9006 9432 5014 1419 – 913
कोल इंडिया 16463 21272 24979 22879 21583 21589
गेल 5240 6355 6558 6922 4492 3092
ओएनजीसी 27616 36642 30544 32431 26555 23390
एनटीपीसी 12050 12326 16578 13904 10547 10059
सेल 7194 5151 3241 3225 2359 – 7198
(नोट : कर पूर्व लाभ के आंकड़े करोड़ रुपये में)
एफोर्डिबिलिटी क्लाउज को लचीला करना लंबी लड़ाई है. बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के कैबिनेट अपने लिये गये पूर्व निर्णय को नहीं बदलेगा. बोसा ने इस दिशा में पहल करते हुई कई सांसदों के माध्यम से पीएम को पत्र लिखा है.
एके सिंह, अध्यक्ष, बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन

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