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वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने का मामला किस स्टेज पर है
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राज्य के वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जानना चाहा कि राज्य के 10 वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को राज्य के वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जानना चाहा कि राज्य के 10 वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने का जो प्रस्ताव भेजा गया था, वह किस स्टेज पर लंबित है. उसकी क्या स्थिति है. पूरी जानकारी कोर्ट के समक्ष रखने को कहा गया.
खंडपीठ ने राज्य सरकार के नोडल पदाधिकारी से पूछा कि इस मामले में प्रस्ताव सचिवालय भेजा गया है या मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के पास है. राज्य सरकार को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया. खंडपीठ ने राज्य सरकार के शपथ पत्र की प्रति केंद्र सरकार को नहीं मिल पाने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.
इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजने में सरकार की ओर से कोई विलंब नहीं किया गया है. कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच करायी गयी.
जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी गयी है. सरकार ने एक राष्ट्रीय पार्क व नौ वन्य अभ्यारण्यों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने के लिए मई 2017 में प्रस्ताव भेजा था. सितंबर 2017 में केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव से संबंधित खामियों को दूर करने को कहा था. राज्य सरकार ने नाै अक्तूबर को प्रस्ताव की खामियों को दूर कर दिया. शपथ पत्र दायर कर दिया गया है, लेकिन उसकी प्रति केंद्र सरकार को नहीं मिल पायी है.
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