प्रदेश में साल 2016 में करीब 60 व वर्ष 2017 में 28 लोगों की हो गयी थी मौत
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बिहार : इस बरसात से पहले ठनका गिरने की मिलेगी जानकारी….जानिए कैसे
प्रदेश में साल 2016 में करीब 60 व वर्ष 2017 में 28 लोगों की हो गयी थी मौत पटना : राज्य के लोगों को वज्रपात व ठनका से बचाने के लिए इस बरसात से पहले नयी तकनीक काम करने लगेगी. इसके तहत किसी भी क्षेत्र में ठनका गिरने से करीब आधा घंटा पहले वहां के […]
पटना : राज्य के लोगों को वज्रपात व ठनका से बचाने के लिए इस बरसात से पहले नयी तकनीक काम करने लगेगी. इसके तहत किसी भी क्षेत्र में ठनका गिरने से करीब आधा घंटा पहले वहां के लोगों को सूचना दी जायेगी.
अलर्ट जारी होते ही उस क्षेत्र के लोग सुरक्षित स्थान पर चले जायेंगे जिससे कि वहां जानमाल के नुकसान की आशंका कम हो जायेगी. प्रदेश में इस प्रणाली की स्थापना के लिए सरकार अगले सप्ताह टेंडर निकालेगी.
इसकी प्रक्रिया पूरी होते ही इस पर जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में काम शुरू होने की संभावना है. बिहार में कुछ सालों से तेज आंधी और बारिश के चलते ज्यादा लोगों की जान नहीं जाती लेकिन ठनका गिरने से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है.
साल 2016 में करीब 60 लोगों और साल 2017 में करीब 28 लोगों की मौत ठनका गिरने से हो गयी. इससे लोगों की जान बचाने के लिए राज्य में तीन सेंसर ट्रैक प्रणाली स्थापित की जायेगी. इससे ठनका से होने वाले नुकसान से बचने में बहुत हद तक मदद मिल सकती है. मौसम विभाग के पास अभी तक इसके लिए कोई अलर्ट जारी करने की व्यवस्था नहीं है.
आंध्रप्रदेश में काम कर रही है प्रणाली: इस समय ठनका गिरने से पूर्व सूचना प्राप्त करने की प्रणाली आंध्रप्रदेश में काम कर रही है. वहां इस प्रणाली के लागू होने के बाद ठनका गिरने से होने वाली मौतों में बहुत कमी आयी है. बिहार सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग के चार अधिकारियों को साल 2017 में ही वहां प्रशिक्षण के लिए भेजा था.
अधिकारियों ने ठनका गिरने से पहले लोगों को दी जा रही सूचना की विस्तार से रिपोर्ट बनाकर विभाग को सौंपी है. इस पर राज्य सरकार अगले सप्ताह टेंडर जारी कर संबंधित कंपनियों को बिहार में यह प्रणाली स्थापित करने के लिए आमंत्रित करेगी. यह प्रक्रिया पूरी होते ही जनवरी के अंतिम सप्ताह से इस पर काम शुरू होने की संभावना है.
कैसे काम करती है यह प्रणाली
ठनका का पूर्वानुमान प्राप्त करने के लिए सेंसर लगे टावर लगाये जाते हैं. इस सेंसर से आठ किलोमीटर से 30 किलोमीटर के इलाके में किसी भी मौसमी हलचल की जानकारी करीब 40 मिनट पहले मिल जाती है. इसके बाद संबंधित क्षेत्र के लोगों को मोबाइल एसएमएस
और अन्य सूचना तकनीक से करीब
आधा घंटा पहले अलर्ट जारी कर दिया जाता है. इससे स्थानीय अपना सुरक्षित ठिकाना ढूंढ़ कर जानमाल की रक्षा कर सकते हैं.
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