नयी दिल्ली : सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर के लिए घोषित 80 हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता पैकेज में से 20 हजार करोड़ रुपये पहले ही जारी किये जा चुके हैं और इसका राज्य के युवा वर्ग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
संसद में पिछले दिनों पेश विदेश मामलों संबंधी समिति की भारत पाकिस्तान संबंध विषय पर 16वें प्रतिवेदन के अनुसार, सरकार ने समिति को बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर के लिए घोषित विशेष पैकेज के तहत सड़क, बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल संसाधन, खेलकूद, शहरी विकास, कपड़ा आदि क्षेत्रों में 63 विकास परियोजनाएं चलायी जा रही हैं. सरकार ने जोर दिया कि राज्य में युवा वर्ग पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और इनसे हिंसा एवं राष्ट्र विरोधी कार्यकलापों को कम करने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा सुरक्षा बल से प्राप्त अतिरिक्त जानकारियों के अनुसार बीएसएफ द्वारा आमतौर पर सीमा से सटे जिलों, विकास खंडों, पुलिस स्टेशन क्षेत्रों और दूरस्थ एवं दुर्गम इलाकों में नागरिकों के लिये कार्यक्रम चलाये जाते हैं जो आतंकवाद से प्रभावित हैं. यह सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच एक सेतू का कार्य करता है. चालू वित्त वर्ष के दौरान जम्मू कश्मीर क्षेत्र में फुटबॉल प्रतियोगिता, चिकित्सा शिविर और कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिए 1,67,98,360 रुपये की राशि आवंटित करने को मंजूरी दी गयी है.
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि वह सीमापार आतंकवाद, कश्मीर घाटी में कानून एवं व्यवस्था की समस्या और पाकिस्तान से आतंकवादियों को सामान एवं आर्थिक मदद से अवगत है. उसे यह भी पता है कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय अतिवादी समूह सरकार की मुख्य चिंता एवं बातचीत की प्रक्रिया में मुख्य अवराध है. समिति यह देखकर निराश है कि 8 जुलाई 2016 को एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है और सीमापार से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की घटनाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है. फिर भी समिति यह देखकर प्रसन्न है कि हमारे सुरक्षा बलों ने सीमा पर घुसपैठ के अनेक प्रयासों को विफल कर दिया है और आतंकवादियों को घाटी में नियोजित तरीके से मारना शुरू कर दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे गहन कूटनीतिक पहुंच के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने यह माना कि भारत में सीमापार आतंकवाद को शह देने में पाकिस्तान की भूमिका है. समिति चाहती है कि इस प्रकार के प्रयास तब तक जारी रहने चाहिए जब तक कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब नहीं हो जाता.