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म्यूचुअल फंड में करें निवेश, ऐसे करें फंड का चयन

जो सोया, सो पाया जो जागा, सो खोया आशुतोष कुमार, निवेश सलाहकार म्यूचुअल फंड शब्द का जिक्र जब भी होता है तो अंतिम में यह जरूर कहा जाता है कि म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन है. अत: ठीक से समझ-बूझ कर पैसा लगाएं. इस पंक्ति को पढ़ कर बहुत लोग अभी भी डर कर […]

जो सोया, सो पाया जो जागा, सो खोया
आशुतोष कुमार, निवेश सलाहकार
म्यूचुअल फंड शब्द का जिक्र जब भी होता है तो अंतिम में यह जरूर कहा जाता है कि म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन है. अत: ठीक से समझ-बूझ कर पैसा लगाएं. इस पंक्ति को पढ़ कर बहुत लोग अभी भी डर कर म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं करते. मेरा मानना है कि म्यूचुअल फंड में निवेश कर आप उसे जितना ज्यादा से ज्यादा समय के लिए छोड़ेंगे तो आपका पैसा उतना ही ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि प्रकृति का नियम है कि एक बच्चे को वयस्क होने में 18 साल लग जाते हैं.
लंबा समय जोखिम को कम कर देता है क्योंकि लंबे समय के अंतराल में बाजार कई बार चढ़ता और उठता है. और इसी क्रम में आप लगातार पैसा लगाते रहेंगे तो आप बाजार के हर स्तर पर यूनिट खरीदेंगे. कुछ यूनिट अधिक दाम में तो कुछ कम दाम में मिलेंगे. इससे आपका औसत मूल्य काफी कम हो जाता है और बाद में जाकर आपको अच्छा रिटर्न मिलता है. बाजार का स्वभाव है कि अगर बढ़ेगा तो गिरेगा ही और गिरेगा तो फिर बढ़ेगा क्योंकि बाजार एक साइक्लिकल प्रक्रिया है. इसलिए लगातार निश्चित समय अंतराल पर निवेश करते रहना चाहिए. इसके लिए एसआइपी सबसे अच्छा विकल्प है.
एसआइपी के माध्यम से आप लगातार बाजार में बने रहते हैं. वैसे तो एसआइपी का मतलब सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान है लेकिन इसके गुण को देखते हुए इसे ‘सबसे इंपॉर्टेंट प्लान’ या ‘स्लीप इन पीस’ कहा जा जाता है.
देश में बैंकों में ब्याज दर कम होने से लोगों का रुझान म्यूचुअल फंड की ओर हुआ है. बैंकों से मिलने वाला ब्याज कर के दायरे में आता है.
लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड में एक साल के बाद मिलने वाला रिटर्न कर मुक्त होता है. इसको लांग टर्म गेन के तहत माना जाता है जिस पर कोई कर नहीं लगता. एक दूसरा पहलू यह भी है कि बैंक में ब्याज तो मिलता है लेकिन जिस दर से मिलता है उससे कहीं अधिक दर से मंहगाई उतने समय में बढ़ चुकी होती है.
एसआइपी
‘सबसे इंपॉर्टेंट प्लान’ या ‘स्लीप इन पीस’ भी कह सकते हैं.
फंड का चयन
निवेश के लिए म्यूचुअल फंड का चयन अगर आप पिछले रिटर्न के आधार पर कर रहे हैं तो पांच साल से ज्यादा समय के रिटर्न को देखना चाहिए. कभी भी पिछले एक साल के रिटर्न को आधार मानकर फंड का चयन नहीं करना चाहिए. जो लोग बैंक एफडी से लगाव रखते हैं और म्यूचुअल फंड में आना चाहते हैं, तो उन्हें किसी भी बैलेंस फंड में पैसा लगाना चाहिए. क्योंकि इसमें इक्विटी और बांड दोनों का समावेश होता है. बाजार के गिरने पर बांड आपके रिटर्न को बहुत हद तक संभाले रखता है.
नये निवेशक एसआइपी से करें शुरुआत
नये निवेशकों को एसआइपी के माध्यम से शुरूआत करनी चाहिए. एसआइपी से काफी हद तक जोखिम कम हो जाता है. एक कहावत है कि बूंद बूंद से सागर भरता है, एसआइपी इसी को चरितार्थ करता है. म्यूचुअल फंड के माध्यम से किया गया निवेश एक अच्छे फंड मैनेजर द्वारा संचालित किया जाता है, जो उस क्षेत्र का विशेषज्ञ होता है. अत: विश्वास रख कर लंबे दिनों तक निवेश करते रहें. एसआइपी द्वारा किया गया निवेश को कहा जा सकता है कि जो ‘सोया सो पाया, जो जागा सो खोया’.

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