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भारत का स्टील किंग बनने की ओर टाटा स्टील

एनसीएलटी में चार कंपनियों के अधिग्रहण में टाटा समूह अग्रिम मोर्चे पर, मित्तल रेस से बाहर टाटा स्टील भारत में जमशेदपुर व कलिंगानगर प्लांट की क्षमता को बढ़ाकर 13 से 23 मिलियन टन करने की ओर अग्रसर है. चार इस्पात कंपनियों का अधिग्रहण कर लेने की स्थिति में टाटा स्टील की उत्पादन क्षमता में 20 […]

एनसीएलटी में चार कंपनियों के अधिग्रहण में टाटा समूह अग्रिम मोर्चे पर, मित्तल रेस से बाहर

टाटा स्टील भारत में जमशेदपुर व कलिंगानगर प्लांट की क्षमता को बढ़ाकर 13 से 23 मिलियन टन करने की ओर अग्रसर है. चार इस्पात कंपनियों का अधिग्रहण कर लेने की स्थिति में टाटा स्टील की उत्पादन क्षमता में 20 मिलियन टन की बढ़ोतरी हो जायेगी जो वर्तमान लक्ष्य से दोगुना होगा
जमशेदपुर : टाटा स्टील भारत में स्टील किंग बनने की ओर अग्रसर है. कंपनी ने चार कंपनियों के अधिग्रहण में रुचि दिखाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेटर (अभिरुचि पत्र) जमा करा चुकी है, जिसके तहत टाटा स्टील ने अपने आपको आगे बढ़ा दिया है. दुनिया में स्टील किंग के रुप में पहचान बना चुके लक्ष्मी निवास मित्तल ने चारों कंपनियों के अधिग्रहण से स्वयं को अलग कर लिया है.
इस रेस में टाटा स्टील आगे बढ़ चुकी है और हर हाल में कंपनी इसको अधिग्रहित करने की तैयारी है. हालांकि, जिंदल स्टील ने कंपनियों के अधिग्रहण के लिए एनसीएलटी में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट लेटर जमा कराया है ताकि हर हाल में स्टील में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित कर सके. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दिवालिया प्रक्रिया के तहत कंपनियों की नीलामी के लिए कहा गया था जिसके तहत नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इन कंपनियों में भूषण पावर एंड स्टील कंपनी, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स और एस्सार स्टील शामिल हैं.
एनसीएलटी की कार्यवाही का सामना कर रहीं कंपनियों के अधिग्रहण के लिए जिन कंपनियों ने अभिरुचि पत्र जमा कराया है, उनमें टाटा स्टील एक मात्र निवेशक थी. लेकिन जिंदल स्टील ने भी लामबंदी तेज कर दी है. इन कंपनियों ने चारों परिसंपत्तियों की खरीददारी के लिए बोली लगायी है. बैंकों ने रिकवरी को लेकर इन चारों कंपनियों के लिए अपनी ओर से बोली लगवायी है, जिसके लिए अभी रेस में टाटा स्टील नंबर वन पर है जबकि जिंदल स्टील ने भी अपनी दावेदारी के लिए पूरी ताकत लगा दी है.
कोरस के बाद सबसे बड़ा अधिग्रहण होगा
टाटा स्टील पहली बार देश की किसी बड़ी कंपनी का अधिग्रहण करने जा रही है. इससे पहले यूरोप में स्टील बिजनेस का अधिग्रहण कर दुनिया को सकते में टाटा स्टील डाल चुकी है. हालांकि, टाटा स्टील के लिए यूरोप का अधिग्रहण घाटे का सौदा साबित हुआ था. लेकिन ये सारी कंपनियां ऐसी है, जिसके बाद अपना खनिज संपदा भी है और उसका इस्तेमाल स्टील के निर्माण में भी किया जा सकता है. इसके बाद कंपनी पांच साल में कलिंगानगर और जमशेदपुर प्लांट के साथ ही 2.6 करोड़ टन का स्टील का बिजनेस करने लगेगी. इसके साथ ही टाटा स्टील देश में अग्रणी स्थान पर होगी.
अधिग्रहण स्ट्रेटजी का पार्ट
यह कंपनी के स्ट्रेटजी का हिस्सा है. विस्तार की संभावनाओं और एसेट्स की खरीद के बारे में कंपनी सोचती रहती है. इसके तहत कंपनी कई कदम उठा रही है और सभी संभावनाओं पर काम कर रही है. कलिंगानगर और जमशेदपुर में विस्तार के साथ ही हम लोग अधिग्रहण पर भी फोकस कर रहे है. हम लोगों ने अपना एक्सप्रेसन ऑफ इंटरेस्ट का लेटर दिया है और हम लोग इन कंपनियों का अधिग्रहण करना चाहते हैं.
-टीवी नरेंद्रन, एमडी, टाटा स्टील
इन कंपनियों की होगी नीलामी
कंपनी उत्पादन क्षमता
भूषण पावर एंड स्टील 5.6 एमटी
मोनेट इस्पात एंड एनर्जी 1.5 एमटी
इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स 2.5 एमटी
एस्सार स्टील 10 एमटी

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