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साल के पहले पांच दिनों में 10 लोगों ने गंवायी जान

हादसों व नक्सली हमलों से सब चिंतित अब तक 15 से अिधक लोग हुए हैं घायल औरंगाबाद कार्यालय : नये वर्ष का आगाज औरंगाबाद के लिए खुशियों का नहीं, बल्कि गमों का एहसास दिला रहा है. साल के पहले पांच दिनों में हुए हादसों व नक्सली हमले ने गहरे जख्म दे दिये हैं. पहली जनवरी […]

हादसों व नक्सली हमलों से सब चिंतित

अब तक 15 से अिधक लोग हुए हैं घायल
औरंगाबाद कार्यालय : नये वर्ष का आगाज औरंगाबाद के लिए खुशियों का नहीं, बल्कि गमों का एहसास दिला रहा है. साल के पहले पांच दिनों में हुए हादसों व नक्सली हमले ने गहरे जख्म दे दिये हैं. पहली जनवरी को ही सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौत ने सबको हिला दिया था, तो दूसरे और तीसरे दिन नक्सली वारदात ने एक बार फिर नक्सलियों की उपस्थिति का एहसास दिला दिया. इन नक्सली हमलों में जिले के एक कोबरा जवान शहीद हो गये. चौथे दिन एक अन्य हादसे में ओबरा में एक शिक्षक की मौत हो गयी, जबकि भाजपा जिला उपाध्यक्ष के भाई संजय सिंह भी काल के गाल में समा गये.
इसके साथ कुटुंबा में हुए सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गयी. पांच जनवरी को भेड़िया गांव के समीप हुए हादसे में पिता-पुत्री के साथ एक ऑटो चालक ने अपनी जान गंवा दी. यानी पांच दिनों के भीतर 10 लोगों ने अपनी जान गंवा दी.
इन दुर्घटनाओं के बाद सदर अस्पताल में नये साल पर हो रही तबाही व बर्बादी का जिक्र हर कोई कर रहा है. अधिकांश लोग नये वर्ष के आगाज को जिले के लिए बेहतर नहीं बता रहे हैं.
खतरनाक साबित हो रहा है कोहरा
ठंड के इस मौसम में कोहरा कोई नयी बात नहीं है, लेकिन औरंगाबाद में कोहरा कहर ढाह रहा है. इस कोहरे में अब तक दस लोगों ने जान गंवा दी है. यानी हर दिन दो लोगों की मौत हो रही है. एक अनुमान के अनुसार, 15 से अधिक लोग कोहरे के कारण हुई दुर्घटनाओं में घायल भी हुए हैं. शुक्रवार की सुबह भेड़िया गांव के समीप दुर्घटना के लिए भी कोहरा ही कहीं न कहीं जिम्मेवार बना.
दिल्ली से लौट रहे बाप-बेटा भी हुए दुर्घटना में घायल
ट्रक व ऑटो की टक्कर में देव प्रखंड के मुखेता गांव के अजय सिंह और उनका बेटा गौरव कुमार भी गंभीर रूप से घायल हो गये. दोनों बाप-बेटे दिल्ली से ट्रेन पकड़ कर औरंगाबाद पहुंचे थे. गांव जाने के लिए उसी ऑटो में सवार हो गये थे, जो दुर्घटनाग्रस्त हुआ. इस घटना में ट्रक चालक राजेश महतो का दोनों पैर पुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जबकि एक अन्य चालक कृष्णा यादव भी जीवन और मौत के बीच झूल रहा है. वहीं, इस तर की दुर्घटनाओं से लोग चिंतित हैं. लोगों का कहना था सरकार को कोई कारगर कदम उठाना चाहिए.
घायलो को बेहतर उपचार व मृतकों के परिजनों को पांच लाख मिले मुआवजा : राजद
भेड़िया गांव के समीप हुए दुर्घटना में तीन लोगों के मारे जाने और सात लोगों के घायल होने की घटना पर राजद ने सरकार की व्यवस्था पर ही चोट किया है. राजद के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुबोध कुमार सिंह, प्रवक्ता डाॅ रमेश यादव, मुखिया अनिल कुमार, युवा नेता उदय उज्ज्वल ने कहा कि जिस तरह से सरकार की व्यवस्था है, उससे दुर्घटना व घटना कोई नयी बात नहीं. जिला प्रशासन मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख मुआवजा के साथ घायलों को सरकारी खर्च पर बेहतर इलाज कराये. उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है.
नववर्ष पर खुशियां मनाने घर आ रहा
था शमशेर आलम का परिवार
राष्ट्रीय राजमार्ग दो पर भेड़िया गांव के समीप दिल दहलानेवाली दुर्घटना में देव के शमशेर आलम के साथ इनकी तीन वर्षीय बेटी जासमिन और दधपा गांव के ऑटो चालक आंनद कुमार सिंह की मौत हो गयी. पता चला कि शमशेर आलम अपनी पत्नी रूबिना परवीन, बेटी जासमिन और परिजन मो फारूख, नूरजहां खातून के साथ छतीसगढ़ के विश्रामपुर से सुबह-सुबह औरंगाबाद बस से लौटे थे. शहर में देव जानेवाले ऑटो पर सब बैठ कर घर जा रहे थे. परिजनों ने बताया कि शमशेर नववर्ष पर खुशियां मनाने परिवार के साथ घर आ रहा था और कुछ दिन बाद ही उसकी घर से वापस विश्रामपुर लौटने की भी तैयारी थी.
समाजसेवियों ने की घायलों की मदद
सदर अस्पताल में घायलों की मदद में पक्ष व विपक्ष की दीवार टूट गयी. राजद, भाजपा, हम, लोजपा, बसपा के नेताओं के साथ-साथ एनएसयूआई और अभाविप के नेताओं ने घायलों की भरपूर मदद की. कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह ने घायलों का हाल जाना और मृतकों के परिजनों को ढांढस बंधाया. मुआजवा के लिए बात भी की. भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार सिंह, रामानुज पांडेय, प्रवक्ता उज्ज्वल कुमार, हम के विश्वविद्यालय अध्यक्ष सूरज कुमार राय, भीम प्रताप सिंह, एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष विवेक सिंह, अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य दीपक कुमार, विभाग संयोजक राहुल कुमार ने घायलों को बेहतर इलाज के लिए बाहर भेजने में भरपूर मदद की.
अस्पताल में कराह रही पत्नी को नहीं दी गयी पति व बेटी की मौत की जानकारी
अस्पताल में एक तरफ पति व बेटी के शव पड़े थे, तो दूसरी तरफ कराह रही पत्नी का इलाज हो रहा था. दुर्घटना में शमशेर आलम और उसकी बेटी जासमिन की मौत हो गयी थी, तो शमशेर की पत्नी रूबिना घायल हुई थी. साथ रहे परिजनों ने पति व बेटी की मौत को इगनोर करते हुए पहले रूबिना का इलाज कराया.
करीब एक से डेढ़ घंटे तक रूबिना को परिजनों ने एहसास तक नहीं दिलाया कि उसके पति व बेटी की मौत हो गयी है. हालांकि अस्पताल में उठती चीत्कार को वह कभी-कभी भांप जा रही थी, पर परिजन उसे दिलासा दे रहे थे कि उसका पति व बेटी जिंदा है. घर जाने के दौरान जब एकाएक पति के मृत शरीर पर उसका ध्यान गया, तो वह दहाड़ मार कर बेहोश हो गयी. उसका तो सारा संसार ही जो उजड़ गया था.

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