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शेखपुरा में कालाजार के 64 मरीज मिले

प्रशिक्षण के बाद डोर टू डोर लोगों को जागरुक करेंगी आशा शेखपुरा : जिले में स्वास्थ्य महकमा को एक बड़ी चुनौती दे रहा कालाजार से निबटने के लिए अब आशा कर्मियों को कमान सौंपा गया है. स्वास्थ्य महकमा ने इसके लिए आशा कर्मियों को प्रशिक्षण देकर इसकी अहम जानकारियों से जहां लैस किया. वहीं इसके […]

प्रशिक्षण के बाद डोर टू डोर लोगों को जागरुक करेंगी आशा

शेखपुरा : जिले में स्वास्थ्य महकमा को एक बड़ी चुनौती दे रहा कालाजार से निबटने के लिए अब आशा कर्मियों को कमान सौंपा गया है. स्वास्थ्य महकमा ने इसके लिए आशा कर्मियों को प्रशिक्षण देकर इसकी अहम जानकारियों से जहां लैस किया. वहीं इसके लिए सरकार की चलाई जा रही योजनाओं की भी जानकारी दी गयी. गुरुवार को सदर अस्पताल कैंपस में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण के मौके पर टीकाकरण अधिकारी डॉ. अरविंद प्रसाद, एसीएमओ डॉ. जवाहर प्रसाद समेत अन्य लोग मौजूद थे.
इस मौके पर अधिकारियों ने बताया कि चार एवं छह दिसंबर को 50-50 की टोली में जिले के सौ आशा कर्मियों को कालाजार से बचाव के लिए घर-घर जाकर लोगों जागरुक करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गुरुवार को प्रथम फेज में 50 आशा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया.
इस मौके पर मरीजों की पहचान, कालाजार के मच्छरों की पहचान एवं संक्रमण से लेकर उपचार के उपाय की अहम जानकारी दी गई.
जिले में कालाजार दिन-ब-दिन पांव पसारता जा रहा है. इस जानलेवा बीमारी के स्थितियों पर अगर नजर डाले तो अब तक सात गांवों में 64 मरीजों की पहचान की जा सकी है. इन 64 में तीन मरीज ऐसे हैं, जिन्हें कालाजार ठीक होने के बाद पुनः इस बीमारी ने घेर लिया और पीकेडीएल नामक श्रेणी में ला खड़ा किया है. चिकित्सकों के मुताबिक पीके डीएल मरीज को अगर बालू मच्छर काट ले तो उसका संक्रमण काफी तीव्र गति से फैलने लगता है. ऐसी स्थिति में जिले के अब तक तीन मरीजों को चिन्हित किया गया है. खास बात यह है कि इस श्रेणी के मरीज शेखपुरा के गोसायीमढ़ी गांव में ही पाये गये हैं.
इलाज का है बेहतर प्रावधान:
कालाजार से निबटने के लिए जहां राज्य सरकार गंभीर है. वहीं अस्पतालों में उपचार सेवा के लिए भी बेहतर प्रावधान किया गया है. जिले के अंदर सदर अस्पताल से लेकर सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं कई स्वास्थ्य उपकेंद्र में भी उक्त कालाजार की जांच एवं इलाज की सुविधा उपलब्ध है. टीकाकरण अधिकारी के मुताबिक कालाजार नामक बीमारी से पीड़ित मरीज के इलाज में एम्बिजोम नामक इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. जिसकी प्रति भाइल की कीमत नौ से दस हजार रुपये होती है. प्रत्येक मरीजों को चार से 12 भाइल उनके वजन के हिसाब से इलाज के लिए जरूरत होती है. लेकिन सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा और इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया है.
कालाजार के लक्षण और बचाव:
प्रशिक्षण के दौरान आशा कर्मियों को कालाजार के लक्षण और बचाव के तरीके की जानकारी दी गयी. इसको लेकर टीकाकरण अधिकारी ने बताया कि आशा कर्मियों को जहां उपचार प्रणाली की जानकारी दी गयी. वहीं अंधेरा और नमी वाले स्थान में कालाजार के मच्छर एवं बालू मच्छर होने की प्रबल संभावना होती है. इसके साथ ही टॉर्च लाइट में सुनहरे चमक दिखाई देने वाले मच्छर ही बालू मच्छर होते हैं. जिससे कि कालाजार बीमारी का संक्रमण का फैलाव होता है. यह गोबर, मिट्टी के मकान एवं खुरदरे और नमी वाले स्थान पर पाया जाता है. कालाजार की बीमारी की पहचान दो सप्ताह तक लगातार बुखार होने की स्थिति में जांच के बाद की जा सकती है. बुखार के दौरान शरीर में खून की कमी होना, ठंड लगना, भूख न लगना, पेट के बाएं साइड स्प्रिन में जाना एवं दर्द होने के लक्षणों से कालाजार की आशंका मानी जाती है.
आशा को टास्क:
कालाजार से निबटने के लिए जिला प्रशासन ने पूर्व से चयनित गांव से जुड़े आशा कर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण से लैस किया है. वहीं प्रशिक्षण के बाद आशा कर्मियों को डोर-टू-डोर लोगों को कालाजार से जुड़े लक्षण की पहचान करने एवं कालाजार के मच्छरों को नहीं पनपने देने से जुड़े सारी जानकारियों के प्रति जागरूकता लाने का टास्क दिया गया है.
अनुदान का है प्रावधान:
कालाजार के मरीजों को सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपचार के साथ अनुदान के भी प्रावधान किये गये हैं. टीकाकरण अधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि कालाजार के मरीजों को उपचार के दौरान बिहार सरकार के द्वारा चेक के माध्यम से 66 सौ रुपये का भुगतान किया जाता है. इसके साथ ही पिकेडीएल मरीजों को दो-दो हजार रुपये का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है.
इन गांवों में मिले कालाजार के मरीज
कोसरा 55, जीएन बिगहा 01, हुसैनबाद 01, पिंजड़ी 01, काशी बिगहा 01, गोसांयमढ़ी 03.

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