नयी दिल्ली : राज्यसभा की कार्यवाही आज शुरू होते ही पुणे के भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा पर चर्चा हुई. इस चर्चा के दौरान जहां कांग्रेस ने जहां हिंसा के लिए हिंदूवादी संगठनों को जिम्मेवार बताया, वहीं, सत्तापक्ष ने कहा कि अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति फिर कामयाब हुई है. सत्तापक्ष की ओर से बोलते हुए भाजपा के अमर शंकर साबले ने कहा कि वहां जो हिंसा हुई वह जिग्नेश मेवानी व उमर खालिद के भड़काऊ भाषण के कारण हुई है. उन्होंने कहा कि हिंसा निंदनीय है, लेकिन इसके पीछे जो विचारधारा है वह उभर कर सामने आना चाहिए. शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि कुछ लोग हिंसा के लिए हिंदूवादी संगठनों को दोष दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि पेशवा का संबंध आरएसएस व हिंदू मंच से नहीं रहे. वे छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंद्ध थे. इस मामले में जोकुछ हुआ वह ब्रिटिशों की बांटों और राज करो की नीति पर हुआ. उन्होंने कहा कि इसका संबंध राज्य सरकार से नहीं है.
कांग्रेस की रजनी पाटिलनेकहाकि शिवाजी महाराज की फौज में सभी जाति व धर्म के लोग थे. हम महाराष्ट्र के लोग अभिमान से यह बोलते हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन मनुवादी विचारधारा फिर उभर कर सामने आ रही है. उन्होंने कहा कि अंबेडकर जी के नाम से महाराष्ट्र को जाना जाता है.
समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवालनेकहा कि कुछ विकृत मानसिकता के लोग जो अपने को भारतीय जनता पार्टी का पैरलल मानते हैं, उनकी विचारधारा में आज भी दलित, बैकवर्ड, माइनोरिटी लो कटेगरी के लोग हैं. महाराष्ट्र सरकार ने जानबूझकर अपने संगठनों के दबाव में अत्याचार किये. मैं चाहूंगा कि कड़ी कार्रवाई हो.