औरंगाबाद नगर : जिले में नक्सलियों के विरुद्ध लगातार कोबर,सीआरपीएफ, एसटीएफ व बिहार पुलिस द्वारा सर्च ऑपरेशन चलाया जाता है. इस दौरान पुलिस को उपलब्धियां तो जरूर मिलती ही हैं, पर नुकसान भी काफी उठाना पड़ता है. कारण यह है कि जब भी नक्सलियों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया जाता है, तो उन्हें हेलीकॉप्टर की सुविधा नहीं मिल पाती है. इसकी कमी घायल कोबरा जवान आशीष पात्रा को इलाज के लिए ले जाने के दौरान भी खली.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि अगर समय पर हेलीकॉप्टर पहुंच जाता, तो शायद उसकी जवान बच जाती. गौरतलब है कि तीन वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव के दौरान ढिबरा थाना क्षेत्र के भलुआही मोड़ के समीप बम विस्फोट हुआ था, जिसमें पांच जवान गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. जिला प्रशासन द्वारा तत्काल इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. यहां के चिकत्सिकों ने प्रारंभिक इलाज करने के बाद उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया था, लेकिन समय पर हेलीकॉप्टर नहीं पहुंचने व अत्यधिक रक्तस्राव हो जाने के कारण सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट इंद्रजीत कुमार सहित तीन जवान शहीद हो गये थे.
यही नहीं, 18 जुलाई 2016 को औरंगाबाद व गया जिले की सीमा पर अवस्थित डुमरीनाला के समीप सर्च ऑपरेशन में शामिल जवानों को नक्सलियों ने लैंडमाइंस से उड़ा दिया था. उस दौरान भी समय पर हेलीकॉप्टर नहीं पहुंचा था, जिसके कारण 10 जवानों की मौत हो गयी थी. इसी तरह मंगलवार को पुलिस व नक्सली के बीच हुई मुठभेड़ में यदि समय पर हेलीकॉप्टर की सेवा मिल जाती, तो शायद कोबरा जवान आशीष पात्रा की जान बचायी जा सकती थी, क्योंकि दोपहर चार बजे के करीब मुठभेड़ में कोबरा जवान जख्मी हुआ था और हेलीकॉप्टर छह बजे के करीब पहुंचा था. इसलिए दो घंटे तक जवान का कोई उपचार नहीं हुआ और उसके शरीर से खून बहने से हालत बिगड़ती चली गयी. यही कारण हुआ कि अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उस जवान का मौत हो गयी.