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विक्षिप्त बता पत्नी को 11 वर्षों तक घर में रखा बंद

वर्ष 2007 में शरीर में आग लगाने की घटना के बाद से बबीता को बंद रखा था 27 दिसंबर को भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने भेंट की थी बबीता से जेठानी को सौंपी गयी बबीता के इलाज व देखभाल की जिम्मेदारी धालभूमगढ़ : पति व ससुराल वालों द्वारा विक्षिप्त घोषित कर 2007 से एक […]

वर्ष 2007 में शरीर में आग लगाने की घटना के बाद से बबीता को बंद रखा था

27 दिसंबर को भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने भेंट की थी बबीता से
जेठानी को सौंपी गयी बबीता के इलाज व देखभाल की जिम्मेदारी
धालभूमगढ़ : पति व ससुराल वालों द्वारा विक्षिप्त घोषित कर 2007 से एक कोठरी में कैद कर रखी गयी चारचक्का गांव की बबीता अग्रवाल को 11 साल बाद बुधवार को मुक्त कराया गया. भाजपा महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं और पुलिस की मदद से बबीता को मुक्त कराया गया.
जानकारी अनुसार बुधवार को भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष शुक्ला हलदर, महानगर उपाध्यक्ष बारी मुर्मू जमसेदपुर से बबीता अग्रवाल को मुक्त कराने धालभूमगढ़ अंतर्गत चारचक्का गांव पहुंचीं.
जहां बबीता को मुक्त कराने के बाद पुलिस के साथ थाना ले जाया गया और थाना में जिम्मानामा के बाद बबीता को इलाज और देखभाल के लिए जेठानी संगीता धानुका को सौंप दिया गया. मौके पर कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़ की पंचायत समिति सदस्य रत्ना मिश्रा, समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य शांति देवी, महिला चौदीकार रायमुनी बेलदार पुलिस के साथ गयी थीं. पुलिस ने बबीता को घर से बाहर निकाला और थाना ले गयी.
पति , देवर, देवरानी ने महिला को रखा था कैद
बारी मुर्मू ने थाना प्रभारी को दिये फर्द बयान में कहा गया है कि विशेष सूत्रों से जानकारी मिली है कि धालभूमगढ़ प्रखंड क्षेत्र के कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़ पंचायत (चारचक्का गांव) की बबीता अग्रवाल नामक महिला को उसके पति गणेश अग्रवाल, देवर रमेश अग्रवाल, देवरानी आशा अग्रवाल और रमेश अग्रवाल के दोनों बेटों ने मिल कर कोठरी में बंद कर रखा था.
2007 में जान से मारने का हुआ था प्रयास
भाजपा महिला मोर्चा की सदस्यों को यह भी जानकारी मिली है कि वर्ष 2007 में बबीता अग्रवाल ने बेटे को जन्म दिया था. इसके बाद उसने अपनी बेटे को बड़ी जेठानी संगीता अग्रवाल को यह कर गोद में सौंप दिया था कि उसकी जान को खतरा है. बेटा मेरे साथ रहेगा, तो गणेश अग्रवाल और आशा अग्रवाल दोनों मिल कर जान से मार डालेंगे. जब गणेश अग्रवाल और बबीता अग्रवाल पुत्र के साथ बगल वाले घर में थे. उस समय गणेश अग्रवाल ने बबीता अग्रवाल के शरीर पर किरोसिन तेल डाल कर आग लगा दिया था, लेकिन वह किसी तरह बच निकल भागी थी. इस संबंध में वर्ष 2007 में धालभूमगढ़ में केस दर्ज हुआ था. बबीता को बहरागोड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल से छुट्टी होने के बाद से ही उसे कैद कर रखा गया था. किसी से बात करने नहीं दिया जाता था. घर से बाहर आना-जाना बंद कर दिया गया था. वह ठीक थी.
दयनीय स्थिति में थी बबीता, हुई थी वीडियो रिकॉर्डिंग
27 दिसंबर-17 को पंचायत समिति सदस्य रत्ना मिश्रा, शांति देवी और कुमकुम दत्ता के साथ जाकर बबीता से मिली. उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की गयी. बबीता को घर का खाना नहीं दिया जाता है. कभी-कभी दिन में एक-दो बार रोटी दे दी जाती थी, कभी दिन भर भूखे रखा जाता है. रोज मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. पिटाई भी की जाती है. इतनी ठंडा में वह बिना स्वेटर और कंबल के थी. टूटी हुई पलंग पर गद्दा नहीं है. सिर्फ एक चटाई दी गयी थी.

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