10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इस साल आठ राज्यों में चुनाव, इन हलचलों पर रहेंगी नजरें, सरकार के सामने ये चुनौतियां

बीते साल के साये से निकलकर वक्त की आमद नये साल में हो चुकी है. इस साल भी सियासत में घमसान के पूरे आसार हैं. चुनावी दंगल से लेकर विभिन्न संस्थाओं के कामकाज पर देश की नजर होगी. ऐसे ही कुछ खास बातों को रेखांकित करती वर्षारंभ की यह प्रस्तुति… वर्ष 2018 के पूर्वार्द्ध में […]

बीते साल के साये से निकलकर वक्त की आमद नये साल में हो चुकी है. इस साल भी सियासत में घमसान के पूरे आसार हैं. चुनावी दंगल से लेकर विभिन्न संस्थाओं के कामकाज पर देश की नजर होगी. ऐसे ही कुछ खास बातों को रेखांकित करती वर्षारंभ की यह प्रस्तुति…
वर्ष 2018 के पूर्वार्द्ध में चार राज्यों- कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड- तथा उत्तरार्द्ध में चार राज्यों- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम- की विधानसभाओं के लिए चुनाव हैं. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की सरकारें हैं तथा इन राज्यों में पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में लगातार शानदार जीत हासिल की है.
इन राज्यों में उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस से है, जिसका प्रदर्शन हालिया उपचुनावों तथा नगर निकायों और ग्राम पंचायत चुनावों में उल्लेखनीय रहा है. दोनों ही पार्टियों के लिए इन राज्यों के चुनाव निश्चित रूप से जीवन-मरण के प्रश्न होंगे और यहां के परिणामों का असर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. यदि भाजपा अपनी पकड़ मजबूत रखती है, तो न सिर्फ उसकी सरकारें कायम रहेंगी, बल्कि कांग्रेस की चुनौती भी कमजोर पड़ जायेगी. चूंकि यहां किसी क्षेत्रीय दल का खास वजूद नहीं है. इसलिए दोनों मुख्य पार्टियों और उनके शीर्ष नेताओं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी- के करिश्मे पर इस साल नजर रहेगी, जैसा कि पिछले महीने गुजरात के चुनाव में देखा गया था.
कर्नाटक में कांग्रेस और त्रिपुरा में वाम मोर्चे की सरकारें हैं. यहां मुख्य चुनौती भाजपा के रूप में है. यदि कर्नाटक भाजपा के हाथ आ जाता है, तो दक्षिण भारत में उसके प्रसार का बड़ा मुकाम होगा और 2019 के लिए कांग्रेस की चुनौती को करारा झटका लगेगा. कांग्रेस के पास पंजाब के अलावा बड़े राज्यों में सिर्फ कर्नाटक ही बचा है.
त्रिपुरा का मामला भी पेचीदा हो सकता है. बीते तीन सालों में भाजपा ने पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सरकारें बनायी हैं और पार्टी के प्रभाव क्षेत्र में तेज विस्तार हुआ है. इसी का नतीजा है कि त्रिपुरा में कांग्रेस की जगह इस बार भाजपा के वाम मोर्चे के सामने खड़े होने की संभावना जतायी जा रही है.
इस प्रकार से इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा. त्रिपुरा के नतीजे आम चुनाव में वाम मोर्चे की भूमिका तथा उसके कांग्रेस के साथ मिल कर भाजपा गठबंधन को चुनौती देने की रणनीति पर भी असर डालेंगे. नागालैंड में अभी गठबंधन की सरकार है, जिसका मुख्य घटक नागा पीपुल्स फ्रंट है. फ्रंट के साथ भाजपा के अच्छे संबंध है. हालांकि भाजपा के यहां मुख्य खिलाड़ी बनने के आसार बहुत कम हैं, पर वह अगर चुनाव के बाद गठबंधन की सरकार में शामिल होती है, तो यह उसके लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि होगी. इस संदर्भ में देश की नजर नागा मसले पर विभिन्न पक्षों के रवैये पर भी रहेगी.
मेघालय में मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस की गठबंधन सरकार है. इस बार भाजपा ने सभी सीटों पर अकेले लड़ने का इरादा जताया है. लोकसभा के चुनाव में उसे कुछ हिस्सों में बहुत अच्छे मत मिले थे. पार्टी को उम्मीद है कि उसकी हिंदुत्व की छवि के बावजूद ईसाई-बहुल राज्य में उसकी मजबूत उपस्थिति बनेगी.
मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है. भाजपा ने स्थानीय पार्टी मारालैंड डेमोक्रेटिक फ्रंट को विलय कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. यह भी दिलचस्प है कि पार्टी ने मिजो नेशनल फ्रंट से कोई भी चुनाव-पूर्व गठबंधन से इंकार कर दिया है, जबकि यह फ्रंट भाजपा के नेतृत्ववाले नॉर्थ-इस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि एक दशक पुरानी यहां की कांग्रेस सरकार को भाजपा से इस बार कड़ी चुनौती मिल सकती है.
चुनाव आयोग की चुनौतियां
पिछले साल अलग-अलग चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की शिकायतें सामने आयीं तथा अनेक राजनीतिक दलों और कई मतदाताओं ने मशीन में गड़बड़ी की बात कही. कुछ लोग तो बैलेट पेपर की वापसी की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर आयोग ने स्पष्टीकरण दिया है, पर ऐसा लग रहा है कि इस साल भी यह विवाद बरकरार रहेगा.
आयोग के सामने एक परेशानी सोशल मीडिया पर चुनावी प्रचार की निगरानी है. प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आये विज्ञापनों पर तो संस्था की नजर रहती है और वाजिब शिकायत या आचार-संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई भी होती है, परंतु अभी सोशल मीडिया निर्बाध है. इस बारे में इस साल कुछ नियमन की उम्मीद है.
लोकलुभावन बजट की उम्मीद
– वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था को गति देने की बजाय लोकलुभावन बजट पेश होने की उम्मीद है.
– किसानों और वेतनभोगी कर्मचारियों को बजट में अनेक प्रकार की राहत मुहैया कराई जा सकती है.
– बढ़ते राजकोषीय घाटे के बीच सरकार और उधारी ले सकती है.
– जीएसटी लागू होने के बाद पहले बजट में जनता और सरकार को किस तरह की हुई हैं सुविधाएं और असुविधाएं, इसकी जानकारी भी समग्रता से मिल सकती है.
भ्रष्टाचारियों पर गाज!
केंद्र सरकार इस वर्ष भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई तेज कर सकती है. अनेक विधायकाें और सांसदों पर लगे भ्रष्टाचार के मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जा रहा है. उम्मीद है कि इस वर्ष अदालतें अधिकतर मामलों में फैसले सुना सकती हैं.
अर्थव्यवस्था
भारत में इस वर्ष अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार की उम्मीद जतायी गयी है. ‘फॉर्ब्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था, आबादी की विविधता वाले देश में कम विदेशी निवेश ने देश के सकल घरेलू उत्पाद को दशकों तक सीमित रखा है. लेकिन, अब भारत तेजी से बदल रहा है.
इस दशक में मोदी सबसे लोकप्रिय नेता बन कर उभरे हैं और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए उन्होंने कई सकारात्मक कदम एकसाथ उठाये हैं. ऐसे में इस वर्ष इन कदमों के कुछ ठोस और सार्थक नतीजे सामने आ सकते हैं.
मोदी के जियोपॉलिटिक्स से जुड़े इन मसलों पर रहेगी नजर
– नरेंद्र मोदी इस वर्ष दावोस की यात्रा पर जायेंगे, जो पिछले 20 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा होगा.
– इसी माह इजराइल के प्रधानमंत्री के भारत यात्रा पर आने की उम्मीद है.
– गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार आसियान के 10 सदस्य देशों के नेता बतौर अतिथि शामिल हो सकते हैं.
– चीन की बढ़ती धमक के बीच भारत के संबंध अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से कैसे रहेंगे, इस पर बनी रहेगी नजर.
– पश्चिमी एशिया में जारी उथल-पुथल के बीच भारत के ऊर्जा और सुरक्षा हितों के अलावा ईरान से यातायात कोरीडोर कायम होने की संभावनाओं और चुनौतियों के बीच तमाम आर्थिक हितों पर रहेगी नजर.
– भूटान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में चुनाव होने से समूचे क्षेत्र में एक नयी उम्मीद और चुनौतियों पर रहेगी नजर.
– रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस वर्ष चुनाव में दोबारा चुन कर आने से भारत के साथ संबंधों में और मजबूती आने की होगी उम्मीद.
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस वर्ष आ सकते हैं भारत की यात्रा पर, जिससे भारत और प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक नये रिश्ते की हो सकती है शुरुआत.
राम मंदिर निर्माण पर फैसला!
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला इस वर्ष चर्चित रहेगा. दरअसल, अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और तेजी से इस पर सुनवाई होगी. विशेषज्ञों ने संभावना व्यक्त की है कि इस मसले पर इस वर्ष कुछ-न-कुछ फैसला आ सकता है.
निवेश
आज भारत दुिनया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है़ उथल-पुथल और कुछ रूकावटों के बावजूद निवेशकों का भरोसा बना हुआ है़ इस वर्ष निवेश की मात्रा में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. शेयर बाजार तेजी पर है और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरकार भी ध्यान दे रही है़ बैकों के स्वास्थ्य पर इस साल नजर रहेगी़
2022 की तैयारी
हालांकि, मोदी सरकार ने अनेक बड़ी परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए वर्ष 2022 तक का लक्ष्य रखा है, लेकिन उस दिशा में बढ़ाये जा रहे कदमों पर इस वर्ष लोगों की नजर बनी रहेगी. जनता इन्हीं कदमों से यह निर्धारित करेगी कि वाकई में सरकार 2022 तक इन परियोजनाओं को पूरा कर पायेगी या वर्ष 2019 के आम चुनाव के लिए ही इस तरह का माहौल तैयार किया जा रहा है.
क्या होगी विपक्षी रणनीति
वर्ष 2018 की महत्वपूर्ण विपक्षी रणनीति होगी 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव की तरह महागठबंधन का निर्माण करना. राजस्थान व मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस महागठबंधन की परीक्षा ली जा सकती है, क्योंकि यहां अनेक सीट पर बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव है.
दूसरा महागठबंधन महाराष्ट्र में बन सकता है, क्योंकि वहां शिवसेना भारतीय जनता पार्टी से नाखुश है और वह राज्य सरकार से बाहर आकर कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल हो सकती है. इस वर्ष विपक्ष की रणनीति न केवल महागठबंधन बनाने की होगी, बल्कि लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के मुकाबले महगठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर सहमति बनाने की भी होगी. मोदी यह मानकर चल रहे हैं कि अगले चुनाव में उनकी जीत पक्की है, इसलिए वे 2022 को ध्यान में रखकर कई योजनाएं भी तैयार कर रहे हैं.
उनके समर्थक, जिनमें युवाओं की अच्छी-खासी तादाद है, वे भी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि 2019 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी ही जीतेगी. ऐसे में विपक्ष की रणनीति युवाओं को अपने पाले में लाने की भी होगी.
राहुल गांधी की क्या होगी रणनीति
बतौर कांग्रेस अध्यक्ष इस वर्ष राहुल गांधी की अग्नि परीक्षा होगी. आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के साथ ही अगले वर्ष लोकसभा चुनाव भी होना है. इस वर्ष राहुल गांधी का ज्यादातर ध्यान कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों पर रहनेवाला है, जहां दिसंबर में चुनाव होना है.
कर्नाटक में उनकी अपनी पार्टी की सरकार है, जिसे बचाये रखना उनके लिए चुनौती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी यहां सक्रिय चुनाव अभियान शुरू कर चुकी है. वहीं शेष तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जिसे स्थानीय समस्याओं से दो-चार होना तो पड़ रहा है, लेकिन यह समस्याएं इतनी बड़ी भी नहीं, जो सरकार विरोधी लहर में परिवर्तित हो जाएं. ऐसे में राहुल गांधी की रणनीति यह होगी कि वे किस तरह इन राज्यों में अपने मत प्रतिशत व सीटों को बढ़ाते हैं.
हाल में संपन्न गुजरात चुनाव में भले ही कांग्रेस को जीत नहीं मिली, लेकिन नवनिर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने प्रयासों से पार्टी में एक नयी जान फूंकी है. इससे न सिर्फ उनकी अगंभीर राजनेता की छवि टूटी है, बल्कि कार्यकर्ताओं और पार्टी के युवा नेताओं में भी उत्साह का संचार हुआ है. ऐसा लग रहा है जैसे अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी गंभीरता से सोचने लगे हैं. आनेवाले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए वे रणनीति बनाने में भी जुट गये हैं. इसके तहत वे पार्टी के मुख्य पदों की कमान ज्यादातर युवाओं को सौंप रहें हैं.
दूसरा, युवा मतदाताओं तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने की जी-तोड़ कोशिश भी कर रहे हैं. राहुल जा्नते हैं, युवा नेताओं के जुड़ने से जमीनी कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिसकी आज पार्टी को सख्त जरूरत है. वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संगठन में धीरे-धीरे बदलाव किये जा रहे हैं. युवाओं को ज्यादा तवज्जो देने का मतलब अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज करना नहीं है, बल्कि दोनों के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि जीत के लिए यह जरूरी है.
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो संगठन में ज्यादा युवाओं को शामिल करना और 18 से 35 वर्ष के युवाओं तक पहुंच बनाने का मतलब है, भारत की 31.3 प्रतिशत आबादी तक पहुंचना, जो कतई आसान नहीं है. यह राहुल गांधी के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसे वे कैसे अंजाम देते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें