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देश का इतिहास बदलने की कोशिश
जादवपुर विश्वविद्यालय में हुआ इतिहास कांग्रेस का आयोजन इतिहास कांग्रेस के आयोजन में अव्यवस्था का आरोप कोलकाता : इतिहासकार इरफान हबीब ने गुरुवार को कहा कि इतिहास तथ्यों के घटनाक्रम पर निर्भर करता है और तथ्यों को सृजित करने की कोई भी कोशिश कपोल कल्पना ही मानी जायेगी. मार्क्सवादी इतिहास लेखन दृष्टि का पालन करने […]
जादवपुर विश्वविद्यालय में हुआ इतिहास कांग्रेस का आयोजन
इतिहास कांग्रेस के आयोजन में अव्यवस्था का आरोप
कोलकाता : इतिहासकार इरफान हबीब ने गुरुवार को कहा कि इतिहास तथ्यों के घटनाक्रम पर निर्भर करता है और तथ्यों को सृजित करने की कोई भी कोशिश कपोल कल्पना ही मानी जायेगी.
मार्क्सवादी इतिहास लेखन दृष्टि का पालन करने वाले हबीब ने कहा कि प्रख्यात इतिहासकार ताराचंद और ईश्वरी प्रसाद का इतिहास तथाकथित कम्युनिस्ट इतिहासकारों द्वारा लिखे गये इतिहास से भिन्न नहीं है. उनका इशारा इन आरोपों की ओर था कि भारत का इतिहास वामपंथी और कम्युनिस्ट दृष्टिकोण से लिखा गया है.जादवपुर विश्वविद्यालय में गुरुवार को इतिहास कांग्रेस कीशुरुआत हुई है. इतिहास कांग्रेस 30 दिसंबर तक चलेगा. इस अवसर पर हबीब ने कहा कि ज्ञान का विस्तार हुआ है लेकिन आकलन वही है.
उन्हें हमारे साथ ऐसी बात करने से पहले भारत का इतिहास जान लेना चाहिए, हम ताराचंद और ईश्वरी प्रसाद से कहां भिन्न हैं. उन्होंने कहा- मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आप ताराचंद और ईश्वरी प्रसाद द्वारा लिखित इतिहास को पढ़े तथा उसकी तुलना हमारे द्वारा लिखे गये इतिहास से करें. कहां अंतर है? हबीब की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब विपक्षी दल, भाजपा एवं आरएसएस पर अपने हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए भारत के इतिहास का पुनर्लेखन करने और उसे तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं.
इतिहास का पढ़ा रहे विकृत रूप
संघ परिवार और हिंदुत्व संगठनों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि वाम और उदारवादी इतिहासकार भारत में इतिहास का विकृत स्वरूप पढ़ा रहे हैं क्योंकि इन इतिहासकारों ने देश की आजादी के बाद से ही बौद्धिक जगत पर कब्जा कर लिया. इतिहास कांग्रेस में शामिल होने आये कई इतिहासकारों ने अव्यवस्था का आरोप लगाया. देश के कोने-कोने से आये कुछ इतिहासकारों का आरोप था कि पंजीकरण शुल्क सहित अन्य शुल्क के भुगतान के बावजूद उन लोगों के रहने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गयी. इस कारण कइयों को होटल में जाकर रहना पड़ा.
कुछ इतिहासकारों ने इसकी शिकायत जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुरंजन दास से भी की, लेकिन श्री दास ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि इतिहास कांग्रेस का आयोजन इतिहास विभाग द्वारा किया गया था. इससे विश्वविद्यालय का कुछ लेना-देना नहीं है. इतिहासकारों का कहना था कि इसके पहले मालदा में इतिहास कांग्रेस का आयोजन हुआ था, जहां की व्यवस्था यहां से बेहतर थी.
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