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85 हजार रुपये के लिए 15 घंटे तक अस्पताल में पड़ा रहा जवान का शव

मुजफ्फरपुर : होमगार्ड जवान का शव पैसे के अभाव में 15 घंटे तक जूरन छपरा के एक निजी अस्पताल में पड़ा रहा. जानकारी मिलने पर होमगार्ड जवानों ने चंदा कर अस्पताल प्रबंधन को 40 हजार रुपये दिये. राशि मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंपा. इसके बाद कंपनीबाग स्थित होमगार्ड कार्यालय पर […]

मुजफ्फरपुर : होमगार्ड जवान का शव पैसे के अभाव में 15 घंटे तक जूरन छपरा के एक निजी अस्पताल में पड़ा रहा. जानकारी मिलने पर होमगार्ड जवानों ने चंदा कर अस्पताल प्रबंधन को 40 हजार रुपये दिये. राशि मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंपा. इसके बाद कंपनीबाग स्थित होमगार्ड कार्यालय पर शव को लाया गया. दाह संस्कार के लिए शव घर भेज दिया गया.
तीन दिनों से चल रहा था जवान का इलाज : जिला अतिथि गृह में ड्यूटी पर प्रतिनियुक्त होमगार्ड जवान पारू के माणिकपुर गांव निवासी सुबोध कुमार सिंह 22 दिसंबर को अचानक बीमार हो गये. इलाज के लिए उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. चिकित्सकों ने उन्हें एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. 23 दिसंबर की शाम करीब 5.58 बजे परिजनों ने उन्हें जूरन छपरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. तीन दिनों बाद 26 दिसंबर की शाम उनकी मृत्यु हो गयी.
बिल जमा कराने पर अड़ा था अस्पताल प्रबंधन : जवान की मृत्यु के बाद अस्पताल प्रबंधन परिजनों से इलाज पर खर्च 85 हजार रुपये का बिल थमाते हुए राशि की मांग की.
लेकिन परिजनों के पास इतनी राशि नहीं थी. इलाज की बकाया राशि अदायगी नहीं करने पर अस्पताल प्रबंधन शव को रोके रहा. परिजनों ने काफी विनती की, लेकिन प्रबंधन बिल की अदायगी के बाद ही शव देने की बात पर अड़ा रहा. जानकारी मिलने पर होमगार्ड जवान वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में चंदा वसूल कर अस्पताल प्रबंधन को 40 हजार रुपये दिये गये. इसके बाद सुबह 11.30 बजे परिजनों को शव मिला. इसके बाद शव कंपनीबाग स्थित होमगार्ड कार्यालय लाया गया. वहां समादेष्टा जयंत कुमार, इंस्पेक्टर भरत शाही, ड‍्यूटी इंचार्ज कौशल सिंह ने सलामी दी.
बैंक और विभाग के विरुद्ध थाने में आवेदन : होमगार्ड जवान सुबोध कुमार सिंह की मौत इलाज के अभाव में होने का आरोप लगाते हुए विभाग व बैंक प्रबंधन पर कार्रवाई के लिए नगर थाने में आवेदन दिया गया है. आवेदन में होमगार्ड के जवान श्याम किशोर चौधरी ने कहा है कि सुबोध काफी दिनों से बीमार था. इलाज के लिए विभाग को तीन माह की बकाया भत्ता राशि देने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन विभाग ने उसे भत्ते की राशि नहीं दी. जूरन छपरा स्थित निजी अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसने पंजाब नेशनल बैंक में खाते में जमा राशि की निकासी के लिए प्रबंधक को आवेदन दिया गया. सारी प्रक्रिया पूरी करने के बावजूद परिजनों को राशि नहीं दी गयी.
राशि के अभाव में सुबोध का सही ढंग से इलाज नहीं हो सका. वहीं मृत्यु के बाद भी रुपये के अभाव में 15 घंटे से अधिक उसका शव अस्पताल में पड़ा रहा.

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