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”मिशन कर्नाटक” की शुरुआत 31 जनवरी से, जानें क्या है भाजपा का ”मास्टर प्लान”

बेंगलुरु : गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों में जीत के बाद भाजपा की नजर अब 2018 में कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिक चुकी है. भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह 31 जनवरी को सूबे के विधायक और सांसदों के साथ बैठक करेंगे. जानकारों की मानें तो कर्नाटक फतह करने में जुटी भाजपा यहां पिछले […]

बेंगलुरु : गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों में जीत के बाद भाजपा की नजर अब 2018 में कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिक चुकी है. भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह 31 जनवरी को सूबे के विधायक और सांसदों के साथ बैठक करेंगे. जानकारों की मानें तो कर्नाटक फतह करने में जुटी भाजपा यहां पिछले विधानसभा चुनाव की गलती दोहराना पसंद नहीं करेगी. ऐसे में जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने खास प्लान बनाने की तैयारी में जुट चुकी है.

पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार भाजपा पीएम मोदी की रैलियों से लेकर हर छोटी-छोटी बातों पर खास ध्यान देगी. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि कर्नाटक में अगले साल मई में चुनाव होंगे. ऐसे में भाजपा के पास तैयारी के लिए पांच महीने ही शेष हैं. भाजपा ने अभी से ही चुनावी रणनीति और तैयारियां शुरू कर दी है. ऐसी खबरें भी हैं कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भूपेंद्र यादव को कर्नाटक में चुनावी प्रभारी बनाने के मूड में है. भूपेंद्र यादव पहले ही राजस्थान और बिहार में भाजपा के लिए चुनावी प्रभारी की सफल भूमिका निभा चुके हैं.

पीएम की सूबे में रैलियां

पार्टी सूत्रों की मानें तो पीएम नरेंद्र मोदी खुद 30-40 रैलियां कर्नाटक में करेंगे. इसमें से अधिकतर रैलियां छोटे शहरों में होंगी, जिससे गरीबों को अधिक से अधिक भाजपा की ओर मोड़ा जा सके. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नेता ने चुनाव को देखते हुए मौजूदा कोर कमिटी को बदलकर भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में नया इलेक्शन कमिटी बनाने का फैसला किया है. यह टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से संपर्क कर चुनावी रणनीति तैयार करेगी. इसमें राज्य स्तर के नेताओं का कोई खास रोल नहीं होगा, बस वे कमिटी का आदेश मानते नजर आयेंगे.

भूपेंद्र यादव और उनकी जिम्मेदारी

राजधानी दिल्ली में भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी अब अगला बड़ा टारगेट कर्नाटक के रुप में देख रही है. ऐसे में पार्टी में अंतर्कलह को खत्म करना और कांग्रेस के खिलाफ रणनीति तैयार करना बड़ी चुनौती है. भाजपा नेतृत्व गुजरात की तर्ज पर कर्नाटक में चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. इस बार पार्टी की कोशिश सीधे कांग्रेस पर वार करने की है. पहले कर्नाटक की जिम्मेदारी प्रकाश जावड़ेकर और पीयूष गोयल जैसे नेताओं के कंधे पर थी लेकिन अब दोनों नेता केंद्र सरकार के कामकाज में व्यस्त हैं. ऐसे में संभव है कि भूपेंद्र यादव को पूरी जिम्मेदारी दी जाएगी.

जानें कैसे होगा कांग्रेस पर वार

भाजपा के एक बड़े नेता की मानें तो हिंदुत्व और ‘विकास’ को चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा लोगों के बीच प्रमुख रूप से रखेगी, लेकिन कर्नाटक में यह ‘गरीब बनाम अमीर’ की लड़ाई जैसा होगा. पार्टी नेताओं के अनुसार शहरी लोग हमेशा से नोटबंदी पर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ रहे हैं. अब पार्टी ग्रामीण इलाकों में खासकर किसानों और गरीबों का दिल जीतने की ओर ध्‍यान देगी. अगले बजट में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए खास योजनाओं का भी ऐलान किया जा सकता है. यही नहीं भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व पार्टी की स्टेट यूनिट में बदलाव करने की तैयारी कर रही है जिसके तहत कोर कमिटी को मई , 2018 तक इलेक्शन कमिटी में बदल दिया जाएगा जिसका नेतृत्व भूपेंद्र यादव और अन्य दूसरे केंद्रीय मंत्री कर सकते हैं.

यह भी जानें

रोचक बात यह है कि कर्नाटक भाजपा में तीन पूर्व मुख्यमंत्री और चार केंद्रीय मंत्री हैं. इन लोगों को भी समान जिम्मेदारी दी जाएगी.

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