धरोहर खतरे में : सरकारी कानूनों की धज्जियां उड़ा युवा करते हैं धूम्रपान
शिव कुमार राउत
कोलकाता : प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय और उसके सामने खड़ा मन्ना डे के गीत का साक्षी है इंडियन कॉफी हाउस. जहां कभी न जाने कितनी ही हस्तियां चाय की चुस्कियों के संग बैठकर घंटों देश- समाज की दशा व दिशा पर चर्चा -परिचर्चा करती थी. अब बार-बार एक सवाल उठ रहा है. कोथ्थाए हारिए गेलो कॉफी हाउस रे? हालांकि कॉफी हाउस आज भी प्रेसिडेंसी व कलकत्ता विश्वविद्यालय के छात्रों व एकांत प्रिय लोगों का पसंदीदा अड्डा तो है. लेकिन चाय की चुस्की के बदले स्मोकिंग के लिए. कोलकाता के सांस्कृतिक इतिहास में इस कॉफी हाउस की महत्वपूर्ण भूमिका है.
कभी यहां छात्र आंदोलन की रूप रेखा तैयार की जाती थी आज उसी स्थान पर धूम्रपान कर भारत के इस एेतिहासिक कॉफी हाउस की गरिमा को कम किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में शायद अपने विभिन्न प्रकार के जायकेदार कॉफी, चाय व हल्ले फूलके लजीज व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध कॉफी हाउस धूम्रपान के लिए जाना जाये. कॉफी हाउस हेरिटेज की सूची में शामिल है. पर्यटकों के लिए यह आर्कषण का केंद्र भी है.
चाय और कॉफी की सौंधी महक के बदले कॉफी हाउस की चारदीवारियों में उमड़ता धुमड़ता धुएं के छल्ले हेरिटेज भवन की यर्थाथ को बताता है.
कॉफी हाउस में पहुंचने वालों में छात्र- छात्राओं की संख्या अधिक रहती है. जो बे रोक -टोक यहां बैठ कर धूम्रपान करते हैं. बता दे कि कॉफी हाउस के निकट एक प्रसिद्ध स्कूल, प्रेसिडेंसी व कलकत्ता विश्वविद्यालय तथा देश के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में शामिल कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भी स्थित है. सरकार के नियमानुसार शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में धूम्रपान करना या धूम्रपान सामग्री को बेचना दंडनीय अपराध है. लेकिन यहां कानून की धज्जियां उड़ायी जा रही है. उड़ाने वाले और कोई नहीं देश का भविष्य ही हैं.
नगर िनगम और प्रशासन की भूमिका उदासीन
भारत के इतिहास में शामिल इस कॉफी हॉउस की दीवारों को धूम्रपान निषेध लिखे होने के बाद भी लोग युवा यहां बेरोकटोक सिगरेट की कश लगाते हैं. कॉपी हाउस प्रबंधन की भूमिका सवालों के घेरे में है. बता दें कि यहां सीसीटीवी की भी व्यवस्था है. अगर प्रबंधन चाहे,तो इन कैमरों की मदद से सिगरेट और बीड़ी की कश लगाने वालों पर नजर रखी जा सकती है.
नियमानुसार रेस्तरां में धूम्रपान करना अपराध है. इससे रेस्तरां मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. कॉफी हाउस के एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर हमें बताया कि यहां धूम्रपान पर रोक लगाया जा सकता है. लेकिन किसी को सिगरेट या बीड़ी पीने से मना करने पर वह हमारे साथ ही उलझ पड़ते हैं. ऐसे में हंगामा होने के भय से हम धूम्रपान करने वाले लोगों को नहीं रोक पाते हैं.
कॉफी हाउस के भीतर बैठकर धूम्रपान करने पर रोक है. इसके बावजूद लोग यहां स्मोकिंग करते हैं. धूम्रपान पर नजर रखने के लिए कॉफी हाउस प्रबंधन से सख्ती बरतने को कहा गया है.
स्वप्ना दास, पार्षद 40 नंबर वार्ड