लखनऊ: जिंदा आदमी को सरकारी दस्तावेज में मृत दिखाये जाने के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजमगढ के जिलाधिकारी को संबद्ध दस्तावेज के साथ तलब किया है. अदालत की लखनऊ पीठ ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह अगले साल 15 जनवरी को उसके समक्ष पेश होने से पहले इस मामले में उचित कार्रवाई करें. न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता लाल बिहारी की ओर से 2005 में दायर मुकदमे की सुनवायी करते हुए 18 दिसंबर को उक्त आदेश दिया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि 1976 में राजस्व दस्तावेजों में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. लाल बिहारी ने कहा कि कई वर्ष की भाग-दौड़ के बाद 30 जून 1994 को राजस्व दस्तावेज ठीक किये गये. याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगायी है कि वह राज्य सरकार से मुआवजा दिलवाये. अदालत ने पूर्व में सरकारी वकील से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा था लेकिन 18 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोई दस्तावेज नहीं पेश किया गया. इस पर अदालत ने गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी को पेश होने का निर्देश दिया है.
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