नयी दिल्ली : लगातार हाशिये पर जाती दिख रही कांग्रेस के लिए हाल के महीनों में सबसेउत्साहित करने वाली खबर गुजरात से 20 दिसंबर को आयी, जब उसने चुनाव परिणाम में वहां भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दी और उसे 22 सालों में पहली बार दो अंकों में यानी 99 सीट पर समेट दिया. इसके बाद गुरुवार को 2जी मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा व द्रमुक सांसद कनिमोझी सहित सभी 17 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया और कहा कि घोटाले के आरोप के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है. इसके बाद शुक्रवार को कांग्रेस के लिए लिए अच्छी खबर बंबई हाइकोर्ट से आयी, जहां अदालत ने कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने के राज्यपालकेविद्यासागरराव की अनुमति को खारिज कर दिया. ये खबरें कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से अच्छी हैं, जिससे वे आने वाले चुनावों में यह कह सकती है कि भाजपा वाले भ्रष्टाचार के जो आरोप हम पर लगाते रहे हैं, उसमें दम नहीं है और उसे अदालत ही खारिज कर रही है.
हवा के रुख में बदलावकेसंकेत पर सुब्रमण्यन स्वामी की चेतावनी
ऐसी खबरें राजनीति की हवा का रुख ऐतिहासिक रूप से बदलती रही हैं. 2009 की शानदार जीत के बाद जब कांग्रेस बहुत मजबूत दिख रही थी और भाजपा उस समय लुंजपुंज नजर आ रही थी तो 2जी स्प्रेक्ट्रम, कोल स्कैम, आदर्श आउसिंग सोसाइटी जैसे मामलों ने 2011-12 तक आते-आते उसके खिलाफ बड़ा माहौल बना दिया और राजनीतिकपरिदृश्य अचानक बदलता दिखने लगा.
भाजपा के फायरब्रांड नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने इन बदलावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी को गुरुवार शाम आगाह कर दिया, जब वे 2जी स्प्रेक्ट्रम पर आये फैसले को लेकर प्रेस कान्फ्रेंस करने मीडिया के सामने आये. स्वामी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि 2जी मामले में सरकार को कार्रवाई की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को एक कमेटी बना कर ऐसे मामलों को देखना चाहिए. उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि हम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार में आये थे और अगर ऐसा नहीं कर सके तो 2019 को लोकसभा चुनाव में यह हमारे लिए झटका साबित होगा.
2जी व आदर्श के बाद कांग्रेस के राजनीतिक सहयाेगी बढ़ने की बढ़ेगी संभावना
2जी स्पेक्ट्रम पर अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस के साथ नये राजनीतिक सहयोगियों के जुड़ने की संभावना बढ़ेगी. जिस 2जी स्पेक्ट्रम के कारण द्रमुक व कांग्रेस के बीच दूरी बनी थी, अब उस मामले में यूपीए सरकार व डीएमके नेताओं को राहत मिलने के बाद दोनों स्वाभाविक रूप से निकट आयेंगे.
गुजरात चुनाव के ठीक बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब ओखी तूफान पीड़ितों से मिलने दक्षिण भारत की यात्रा पर गये तो उन्होंने कन्याकुमारी में अन्नाद्रमुक सरकार की आलोचना की, लेकिन डीएमके के बारे में कुछ नहीं कहा. 2जी स्पेक्ट्रम के आरोपों के बीच द्रमुक तमिलनाडु का लगतार दो विधानसभा चुनाव हार चुकी है, जबकि तमिलनाडु में हर पांच साल में सरकार बदलने का माना हुआ ट्रेंड रहा है. वहीं, 2जी के कारण कांग्रेस लोकसभा चुनाव हार गयी और कई सहयोगी उससे छिटक गये.
राहुल गांधी बिहार में राजद के शीर्ष नेतृत्व से एक दूरी बना कर रखते रहे, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव के साथ खाना खाया. यूपी चुनाव के समय से ही अखिलेश यादव की सपा कांग्रेस के साथ है, तृणमूल की ममता बनर्जी भी परिस्थितियों को समझते हुए आने वाले दिनों में दोस्ताना रुख दिखा सकती हैं, जिनके रिश्ते राजीव गांधी व सोनिया गांधी से हमेशा अच्छे रहे हैं. शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मनमोहन सिंह पर की गयी टिप्पणी की आलोचना की, इसके बाद 2जी पर आये फैसले के बाद एनसीपी के बड़े नेता ने गुरुवार को भाजपा की तीखी आलोचना की है. ऐसे में एनसीपी के भी कांग्रेस के पाले में आने की संभावना है. दोनों दलों ने महाराष्ट्र में पिछला चुनाव अलग-अलग लड़ा था. यानी भाजपा के वर्चस्व के खिलाफ विरोधी दलों के बीच साकारत्मक माहौल बनता दिख रहा है.
सात राज्यों के चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी परीक्षा
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में सात राज्यों में चुनाव है. 2018 की शुुरुआत में कर्नाटक, मिजोरम, मेघालय व नागालैंड व साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है. ये चुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा होंगे.
कर्नाटक में सिद्धरमैया के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और वे राज्य में एक मजबूत नेता माने जाते हैं. दलित नेता सिद्धरमैया की अच्छी पकड़ है और उन्होंने चुनाव में जो शुरुआती मुद्दे अपनी ओर से गिनाये हैं, उसमें भ्रष्टाचार का उल्लेखप्रमुखता से किया है, जिसे बीजेपी अपनी यूएसपी मान कर चलती रही है.उन्होंने यह भी दावा किया है कि उनके पांच साल के शासन में गुजरातसेदोगुणा विदेशी निवेश आया है और कानून व्यवस्थाबेहद दुरुस्त है. दरअसल, प्रदेश भाजपा के नेता व पूर्व सीएम वीएस येदुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप रहे हैं और भाजपा की पिछले कार्यकाल में उसे तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे. वहीं, भाजपा जहां दूसरे राज्यों में विकास को बड़ा मुद्दा बनाती रही है, वहीं वह कर्नाटक में हिंदुत्व को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में लगी है. पूर्वोत्तर के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक अलग मोर्चा बनाया है अौर वे वहां भाजपा की मौजूदगी लगातार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं.
मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ वैसे राज्य हैं, जहां फिलहाल भाजपा की मजबूत पकड़ है. मध्यप्रदेश में व्यापम व अन्य आरोपों के बावजूद शिवराज सिंह चौहान की छवि अच्छी है, लेकिन किसानों व अन्य मुद्दों के कारण थोड़ी नाराजगी लोगों में है, जिसेमजबूतविपक्षी नेतृत्व के जरिये भुनाने की जरूरत है. ऐसे में अगर कांग्रेस अपनी ओर से किसी युवा को सीएम के रूप में पेश कर चुनाव लड़े तो ज्यादा कारगर होगा. बुजुर्ग दिग्विजय सिंह व कमलनाथ की तुलना में ज्योतिरादित्य सिंधिया इसके लिए सबसे उपयुक्त माने जा रहे हैं.
राजस्थान में वसंधुरा राजे के खिलाफ अशोक गहलौत या सचिन पायलट इस पर राहुल गांधी को फैसला करना होगा. छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी कांग्रेस छोड़ कर जा चुके हैं, इसलिए पार्टी में विवाद उत्पन्न होने की अब संभावना कम है, ऐसे में कांग्रेस एकजुट होकर लड़े तो वह डॉ रमन सिंह की सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है. छोटी विधानसभा चुनाव होने के कारण वहां मुकाबला आमने-सामने का व बेहद कड़ा होता है.
बहरहाल, ऐसा लगता है कि राहुल गांधी खुद के लिए संभावनाओं की उम्मीद कर रहे हैं, इसलिए वे शनिवार को अहमदाबाद में कांंग्रेस के नये विधायकों के साथ एक अहम बैठक करेंगे, जिसमें चुनाव की समीक्षा के साथ यह भी तय किया जायेगा कि विधानसभा में नरेंद्र मोदी के गुजरात माॅडल के मुद्दे परकैसेसवाल उठायाजाये और उसकी ध्वनि देश के हर हिस्से में सुनी जाये.