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बहू के रवैये से व्यथित शहीद अमिताभ मल्लिक के माता-पिता

कोलकाता: अपने बच्चे को बड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था मल्लिक परिवार ने. आर्थिक तंगी के बावजूद हर मां-बाप की तरह अपने बेटे को दूध मुहैया कराने के लिए लिए खुद पानी पीकर गुजर-बसर करनेवाले मध्यमग्राम के अमिताभ मल्लिक के परिवार में उस वक्त खुशी की लहर दौड़ पड़ी, जब उनके इंजीनियर बेटे […]

कोलकाता: अपने बच्चे को बड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था मल्लिक परिवार ने. आर्थिक तंगी के बावजूद हर मां-बाप की तरह अपने बेटे को दूध मुहैया कराने के लिए लिए खुद पानी पीकर गुजर-बसर करनेवाले मध्यमग्राम के अमिताभ मल्लिक के परिवार में उस वक्त खुशी की लहर दौड़ पड़ी, जब उनके इंजीनियर बेटे को पुलिस में नौकरी मिल गयी. परिवार की आर्थिक हालत सुधरने लगी, लेकिन दार्जिलिंग अभियान के दौरान पुलिस की नौकरी करते वक्त सब कुछ खत्म हो गया. उसने जिस परिवार को अपने दम पर संजोया था, आज उसी परिवार को अपनी ही बहू ब्यूटी की उपेक्षा खल रही है.

अमिताभ के शहीद होने के बाद कुछ दिनों तक तो वह साथ रही, लेकिन एक बार घर की दहलीज छोड़कर क्या गयी, इधर देखना भी अब उसे गंवारा नहीं हुआ. यही बात उसके सास-ससुर और देवर को खल रही है. उनका कहना है कि ब्यूटी का रिश्ता क्या केवल मेरे बेटे से ही था. हम क्या रिश्ते में उसके कुछ नहीं लगते.

उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग में हिंसा के दौरान गोली लगने से अमिताभ मल्लिक शहीद हो गये थे. दार्जिलिंग थाने के एसआइ अमिताभ मल्लिक हमेशा के लिए सबको छोड़ कर चले गये. शुरुआती दौर में पूरे प्रदेश की संवेदना इस परिवार के साथ थी. पूरे राजकीय सम्मान के साथ अमिताभ को अंतिम विदाई दी गयी.

इतना ही नहीं, शहीद के परिवार को राज्य सरकार की ओर से पांच लाख रुपये भी दिये गये थे. अमिताभ की पत्नी को पुलिस में नौकरी भी दी गयी. लेकिन इसके बाद बहू का रवैया बदलने लगा. इसके बाद घर की बहू ब्यूटी ने एक बार घर की दहलीज क्या लांघी, आज तक कभी मुड़कर भी ससुराल की तरफ नहीं देखा और ना ही उसने ससुरालवालों की ही कोई खोज-खबर ली.

क्या कहना है परिजनों का

अमिताभ के पिता बताते हैं कि इंजीनियरंग का छात्र अमिताभ पुलिस की नौकरी पाने के बाद घर की हालत सुधारने में लग गया था. उसने बैंक से ऋण लेकर पक्का मकान भी बनवाया, जो आज उसकी याद है. उसकी मौत के बाद राज्य सरकार की ओर से जो आर्थिक अनुदान उसके परिवार को दिया गया था. उससे बैंक का ऋण चुकाया गया, लेकिन इससे बेटे को खोने का गम भला कम होता है. जब-जब उनकी निगाह घर पर पड़ती है, बेटे की याद दिला जाती है.

अमिताभ की मां का कहना है कि उसके बेटे की मौत के बाद उसको मिलने वाली पूरी राशि और राज्य सरकार से मिलनेवाली रकम जब बहू ब्यूटी को मिली. उसको उसके बेटे की वजह से पुलिस विभाग में नौकरी भी मिली, लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी बहू एक बार भी उन लोगों का हालचाल तक पूछना गंवारा नहीं समझा. अमिताभ का मृत्यु प्रमाण पत्र भी रास्ते में ही देकर चली गयी. जिस अमिताभ की वजह से उसको इतना कुछ मिला, उसके मां-बाप और भाई किस हाल में हैं, इसकी सुधि लेने की उसे कोई जरूरत महसूस नहीं होती. क्या यही रिश्ता होता है? क्या यही मानवता है? यह सवाल अमिताभ के मां बाप को जीने नहीं दे रहा है.

बेटे की मौत के बाद उसको मिलने वाली पूरी राशि और राज्य सरकार से मिलनेवाली रकम सब बहू ब्यूटी को मिली. उसे पति की वजह से पुलिस विभाग में नौकरी भी मिली, लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद बहू ने एक बार भी उन लोगों का हालचाल तक पूछना जरूरी नहीं समझा.

अमिताभ के परिजन

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