दिल्ली की तरह कार्रवाई हो तो सुधर सकते हैं हालात
पटना : हाल में दिल्ली से सटे गुरुग्राम के मशहूर फोर्टिस अस्पताल में एक डेंगू पीड़ित बच्ची की मौत के बाद उसके परिजनों को 18 लाख रुपये का बिल थमाने का मामला सामने आया था.
परिजनों की शिकायत के बाद वहां के स्वास्थ्य विभाग व सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए अस्पताल बंद करने का फरमान जारी कर दिया था. दिल्ली की तरह पटना में भी इस तरह के मामले रोजाना सामने आते हैं. यहां न्यू बाईपास एरिया में संचालित प्राइवेट अस्पताल मरीजों को लाखों रुपये का बिल थमाते हैं. मरीज शिकायत भी करते हैं, पर आज तक न तो नोटिस दिया गया और न ही किसी प्राइवेट अस्पताल पर कार्रवाई हुई है. नतीजा अब इन अस्पतालों का हौसला बुलंद है.
मेडिकल काउंसिल में भी कार्रवाई नहीं: डॉक्टरों या नर्सिंग होम्स द्वारा इलाज में लापरवाही या एथिक्स का उल्लंघन किये जाने पर उन्हें सजा देने के लिए बिहार मेडिकल काउंसिल (एथिक्स कमेटी) का गठन किया गया है. लेकिन काउंसिल में भी वर्षों पुरानी शिकायतें पेंडिंग हैं. यहां अनुशासन समिति की बैठक भी नियमित आयोजित नहीं हो पाती है. इसके लिए एथिक्स टीम का गठन भी किया जा चुका है. टीम के सदस्य कार्रवाई करने की बात कह पल्ला झाड़ लेते हैं.
मौत व अधिक बिल देने के बाद पिछले माह दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल पर हो चुकी है कार्रवाई
बिहार में न तो नोटिस जारी हो पाता है और न अभी तक किसी भी प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हुई है
मरीज कई बार लिखित में कर चुके हैं शिकायत, ठंडे बस्ते में चला जाता है मामला
शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई
नौ मार्च को वैशाली की रहने वाली रीना देवी (21 वर्ष) गर्भवती थी, जिसका इलाज हाजीपुर के निजी अस्पताल में चल रहा था. वहां के अस्पताल ने बाईपास इलाके के अर्थ अस्पताल में रेफर कर दिया.
गर्भ में ही बच्ची की मौत हो गयी, इलाज के बाद जब हालत गंभीर हुई, तो उसे वहां से भी पीएमसीएच रेफर कर दिया गया. पीएमसीएच के इमरजेंसी में रीना की मौत हो गयी. रीना के पति ने दोनों अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप लगाया था. रीना के पति ने शिकायत भी की लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान नहीं गया.
नवंबर में बाईपास स्थित फोर्ड हॉस्पिटल में 45 साल के नंद किशोर साह नाम के एक मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जम कर हंगामा किया. मृतक के परिजनों का आरोप था कि मरीज की मौत दो दिन पहले ही हो गयी थी, लेकिन हॉस्पिटल ने पैसे एेंठने के लिए इसकी जानकारी नहीं दी. हंगामा होने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझा कर मामला शांत कराया. मामला पुलिस थाने में दर्ज है, लेकिन ठंडे बस्ते में चला गया है.
गड़बड़ियों को लेकर हुई है शिकायत
-अस्पताल में टंगे बोर्ड पर प्रदर्शित फीस से ज्यादा शुल्क लेना
-एलोपैथी नर्सिंग होम में आयुष पद्धति वाले डॉक्टरों की सेवाएं
लेना
-मरीजों और बेडों के अनुपात में स्टाफ नहीं होना
-नर्सिंग होम्स एक्ट में तय मापदंडों के अनुसार जगह नहीं होना
-एक ही डॉक्टर या विशेषज्ञ का नाम कई नर्सिंग होम्स के स्टाफ में दर्ज होना
अस्पतालों में भी बंद है निरीक्षण
राजधानी के निजी अस्पतालों में लगातार मिल रही गड़बड़ियों और परेशान मरीजों की शिकायतों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय-समय अस्पतालों का निरीक्षण व छापेमारी करने का आदेश जारी है. यह छापेमारी पूरे बिहार के निजी अस्पतालों में करनी है. इसके लिए नियम भी बना दिया गया है. लेकिन दूसरे जिलों छोड़िए पटना में ही कई वर्षों से निरीक्षण नहीं हुआ है.