पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज ट्वीट कर कहा है कि कोयला घोटाला में झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा को मिली सजा तो एक शुरुआत भर है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में बिहार-झारखंड के सजायाफ्ता नेताओं की सूची तेजी से लंबी होने वाली है.
वर्ष 2018 में बिहार-झारखंड के सजायाफ्ता नेताओं की सूची तेजी से लंबी होने वाली है। कोयला घोटाले में मधु कोड़ा को मिली सजा तो एक शुरुआत-भर है। pic.twitter.com/f6xQpChXxh
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) December 16, 2017
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने अपने एक अन्य ट्वीट मेंलिखा है कि विकास से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का वास्ता नहीं रहा. इसलिए उन्हें समीक्षा में भी खोट नजर आती है. एनडीए सरकार ने बिहार को लालटेन युग से बाहर लाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया. राज्य भर में फोरलेन सड़कें, लंबे पुल और फ्लाईओवर बनने लगे. 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंच जाएगी. हर घर को नल का जल देने की योजना लागू की जा रही है.
एनडीए सरकार ने बिहार को लालटेन-युग से बाहर लाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया। राज्य भर में फोरलेन सड़कें, लंबे पुल और फ्लाईओवर बनने लगे। अगले साल (2018) हर गांव तक बिजली पहुंच जाएगी। हर घर को नल का जल देने की योजना लागू की जा रही है। विकास से लालू… pic.twitter.com/1WyinglYAH
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सुशील मोदी ने अपने एक अन्य ट्वीट मेंलिखा है कि जिस कांग्रेस को महात्मा गांधी 70 साल पहले अप्रासंगिक मान रहे थे, वह नेहरू की अगुवाई में रूस से प्रभावित अर्थव्यवस्था, राष्ट्रवाद से कटी शैक्षणिक संस्थाओं के संपोषण, कमजोर सामरिक तैयारियों के चलते 1962 की पराजय, कश्मीर समस्या और वोट बैंक की राजनीति के लिए छद्म धर्मनिरपेक्षता की राह पर चल कर खुद ही समाप्त हो चली है. दो दिन बाद एक और राज्य कांग्रेस मुक्त होने वाला है. फिर भी यह पार्टी पाकिस्तान, मंदिर और तीन तलाक जैसे मसले पर वही सोच रखती है. जो नेहरू-इंदिरा-राजीव की थी. उन्होंने आगे लिखा है कि राहुल गांधी को कमान देकर सिर्फ नये अध्यक्ष की उम्र बदली गयी है सोच नहीं.
जिस कांग्रेस को महात्मा गांधी 70 साल पहले अप्रासंगिक मान रहे थे, वह नेहरू की अगुवाई में रूस से प्रभावित अर्थव्यवस्था, राष्ट्रवाद से कटी शैक्षणिक संस्थाओं के संपोषण, कमजोर सामरिक तैयारियों के चलते 1962 की पराजय, कश्मीर समस्या और वोटबैंक की राजनीति के लिए छद्म धर्मनिरपेक्षता… pic.twitter.com/yd1gD62qBb
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