समस्याओं के बीच अपने को यतीम समझ रहे दुकानदार, नहीं के बराबर आ रहे ग्राहक
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िवकास की आस में विकास बाजार के दुकानदार
समस्याओं के बीच अपने को यतीम समझ रहे दुकानदार, नहीं के बराबर आ रहे ग्राहक पूर्णिया : शहर के सार्वजनिक बस स्टैंड के सामने बसे विकास बाजार की एक तरफ जहां हालत काफी खराब है वहीं दुकानदार भी काफी संकटों से गुजर रहे हैं. उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी आगे नहीं आ […]
पूर्णिया : शहर के सार्वजनिक बस स्टैंड के सामने बसे विकास बाजार की एक तरफ जहां हालत काफी खराब है वहीं दुकानदार भी काफी संकटों से गुजर रहे हैं. उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है. फलत: अब यहां के दुकानदार अपने को कई मामलों में यतीम समझने लगे हैं. दरअसल विकास बाजार वर्ष 1987 में बना. उस समय के जिलाधिकारी ने इस बाजार को बसाया था. करीब डेढ़ सौ दुकान बने थे. सभी दुकानदारों को एग्रीमेंट कर दुकानें दी गयी थी. प्रत्येक लोगों को एग्रीमेंट कर दुकानें दी गयी. प्रत्येक दस साल पर दुकानों के एग्रीमेंट का रेनुअल होना था. एक बार हुआ भी लेकिन पिछले 20 वर्षों से रेनुअल नहीं हो रहा है.
अब तो दुकानदारों का एक नयी पीढ़ी भी पकैदा हो गयी. जिनके पिता के नाम दुकान थी अब उनके बेटे दुकान चला रहे हैं. कई दुकानें साझेदारी में चल रही थी. उनमें भी बिखराव आ गया है. इस बीच किसी का एग्रीमेंट नहीं होने से यहां के दुकानदारों की परेशानी बढ़ी हुई है. अब तो बाजार की सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित हो गयी है. कई लोगों ने गार्डेन की ऊंची जगह को अतिक्रमण कर लिया है. नाले की व्यवस्था भी काफी गड्ड-मड्ड है. अब तो इस बाजार में शौचालय और यूरिनल भी नहीं है.
कल तक इस बाजार में एक कलेक्शन कार्यालय होता था. वह भी बंद है. मार्केट की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा गार्ड भी थे वह भी नहीं है. सभी दुकानों की छत भी रिस रही है. खासकर बरसात में दुकानदारों को काफी परेशानी होती है.
बेअसर है लोक शिकायत निवारण का आदेश : व्यवसायियों की समस्या से संबंधित आदेश भी बेअसर है. ज्ञात हो कि विकास बाजार व्यावसायिक संगठन समिति ने जिला लोक निवारण में वाद दायर किया था. वहां से करीब पांच माह पूर्व आदेश भी दिये गये हैं. आदेश में तमाम समस्याओं के समाधान के लिए स्पष्ट निर्णय दिया गया है. जिस पर स्थानीय अधिकारी को काम करना है मगर उसका भी कोई असर नहीं हुआ है.
जीएसटी का नया झमेला
विकास बाजार के दुकानदारों को अब जीएसटी का नया झमेला पैदा हो गया है. चूंकि जीएसटी में एग्रीमेंट का बड़ा महत्व है. उसी आधार पर आयकर रिटर्न में एसेट्स शो करना होता है. इसके अलावा बगैर एग्रीमेंट के नगर निगम ट्रेड लाइसेंस भी नहीं दे रहा है. इससे जीएसटी लेना यहां के दुकानदारों के लिए मुश्किल काम हो गया है. बैंक से कोई भी लोन संबंधी काम बिना एग्रीमेंट के नहीं हो पाता है. इससे यहां के दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ी हुई है. इन्हें लेबर लाइसेंस भी नहीं मिल रहा है. बिजली के लिए फ्रेश कनेक्शन में भी फ्रेश एग्रीमेंट खोज रहा है.
विकास बाजार : एक नजर में
कुल दुकान 150- जर्जर
शौचालय स्थल- दो- बंद
गार्डेन- अधिकतर अतिक्रमित
नाला- जर्जर एवं वीभत्स
बिजली- जर्जर तार व काम चलाउ
नाइट गार्ड- एक- अब नहीं है
सफाई व्यवस्था- गंदगी का अंबार
मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी…
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