देवघर: कल्याण विभाग से आदिवासियों की आय वृद्धि के लिए चलायी गयी माडा प्रोटोटाइप योजना देवघर में फिर से चालू होगी. केंद्र सरकार से अादिवासियों के विकास के लिए माडा योजना मद में मिली राशि देवघर कल्याण विभाग में करीब दो वर्षों से पड़ी हुई है. राशि खर्च करने कल्याण विभाग ने रुचि नहीं दिखायी, जिससे करीब 60 लाख रुपये का मुर्गी पालन व तालाब अधूरी रह गयी थी. जिला कल्याण पदाधिकारी बृजबिहारी राय ने माडा योजना की समीक्षा के दौरान कैश बुक में 5.5 करोड़ रुपये जमा पाया.
श्री राय ने इसकी पुष्टि बैंक खाता से करवायी व कर्मियों को पूरी योजना का विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. श्री राय ने बताया कि इस योजना मद में पर्याप्त राशि है. जहां भी योजना अधूरी है, प्राथमिकता के अनुसार उसे पूरा किया जायेगा. पुन: योजना चालू करने के लिए उपायुक्त के पास फाइल बढ़ायी जायेगी व सहमति के बाद काम चालू करायी जायेगी, ताकि योजना से आदिवासी लाभुकों की संपत्ति को खड़ा किया जा सके.
मधुपुर, पालोजोरी व सारठ में शुरू होगी योजना
माडा प्रोटोटाइप योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15 में कल्याण विभाग ने देवघर जिले में तीन करोड़ रुपये स्वीकृत की थी. इस योजना में 60 लाख रुपया भुगतान हुआ था. माडा योजना से पालोजोरी, सारठ व मधुपुर प्रखंड के 50 आदिवासी परिवारों के उत्थान के लिए जल संरक्षण, बागवानी, बहुचक्रीय फसल योजना व मुर्गी पालन को शामिल किया गया था. इसमें मधुपुर प्रखंड के बुढ़ैई गांव के 32 आदिवासी लाभुकों को मुर्गी पालन शेड तो बना दिया गया था, लेकिन चूजा व दाना खरीदने की राशि नहीं दी गयी थी. पालोजोरी प्रखंड के बिराजपुर, धावा व बसहा में तालाब निर्माण व कूप निर्माण का कार्य आधा-अधूरा तालाब रहने से अच्छी-खासी जमीन गड्ढे में तब्दील हो गयी है. अब इन प्रखंडों में योजना चालू करायी जायेगी.