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दो वर्ष में 70 % लाइटें खराब

घालमेल. आठ करोड़ खर्च कर खरीदी थी 1881 एलइडी लाइट वार्डवासी लगा रहे गुणवत्ताहीन लाइट खरीदने का आरोप मरम्मत नहीं करती है आपूर्ति करनेवाली एजेंसी, रोष साहिबगंज : एलइडी लाइट खराब होने के कारण कई वार्डों में अंधेरा कायम है. वार्डवासी गुणवत्ताविहीन लाइट लगाने का आरोप लगा रहे हैं. शहर के विभिन्न मुहल्लों व स्ट्रीट […]

घालमेल. आठ करोड़ खर्च कर खरीदी थी 1881 एलइडी लाइट

वार्डवासी लगा रहे गुणवत्ताहीन लाइट खरीदने का आरोप
मरम्मत नहीं करती है आपूर्ति करनेवाली एजेंसी, रोष
साहिबगंज : एलइडी लाइट खराब होने के कारण कई वार्डों में अंधेरा कायम है. वार्डवासी गुणवत्ताविहीन लाइट लगाने का आरोप लगा रहे हैं. शहर के विभिन्न मुहल्लों व स्ट्रीट में लगभग आठ करोड की लागत से लगी लाइट खरीदारी में कमीशनखोरी की कहानी बयां कर रही है. लगने के लगभग दो वर्ष में ही 70 फीसदी एलइडी खराब हो गयी है. मरम्मत भी नहीं हो पाती है. इससे मुहल्लेवासियों में खासे आक्रोश है. वहीं अधिकारी लाइट मरम्मत कराने के नाम पर उदासीन बने हुए हैं. दरअसल, नगर परिषद ने बीते अक्तूबर 2015 में शहर के 28 वार्ड के अलावा शहर के लगभग आठ किमी दायरे में आठ करोड़ की लागत से कुल 1881 एलइडी लाइट लगायी गयी थी.
इसमें स्ट्रीट लाइट के रूप में 555 व विभिन्न वार्डों में 1326 एलइडी शामिल है. चर्चा है कि खरीदारी में बड़े पैमाने पर कमीशनखोरी हुई. गुणवत्ता की भी अनदेखी की गयी है. नतीजा कई लाइट खराब हो गयी है. टेंडर की शर्तों के अनुसार आपूर्तिकर्ता को तीन साल तक शहर में स्ट्रीट व वार्ड में लगी एलइडी लाइट की मरम्मत करनी थी. पर एलइडी लगाने के बाद रख-रखाव तो दूर आपूर्तिकर्ता ने उधर झांकना भी मुनासिब नहीं समझा. कमीशनखोरी के बोझ में दबे नगर परिषद पदाधिकारियों ने भी आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं की है.
एलइडी की खरीदारी में भी हुई गड़बड़ी
एलइडी की खरीदारी में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. खरीदारी दो चरणों में की गयी है. पहले चरण में जहां प्रति एलइडी की खरीदारी 22,500 रुपये की गयी. वहीं. दूसरे चरण में टाइमर लगवाने के नाम पर उसी एलइडी की खरीदारी 26,500 रुपये में की गयी. टाइमर के नाम पर प्रति एलइडी चार हजार रुपये बढ़ाये गये. उसकी बाजार कीमत एक हजार रुपये बतायी जा रही है. टेंडर की शर्तों के अनुसार जंग से बचाने के लिये सभी जगह गेल्वेनाइज्ड पोल लगवाना था, लेकिन अधिकतर स्थानों पर सामान्य लोहे का पोल लाये गये. जो अब जंग खाकर बर्बाद हो गये हैं.

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