मधुबनी : सदर अस्पताल में सैकड़ों मरीज व चिकित्सक हमेशा ही मौजूद रहते हैं. पर इन लोगों के सुरक्षा का कोई माकूल इंतजाम इस परिसर में नहीं है. जिस कारण एक ओर जहां मरीज व उनके परिजन खौफ में रातों को रहते हैं. वही कई बार आक्रोशित लोगों के द्वारा हंगामा किये जाने के कारण चिकित्सकों में भी भय व्याप्त है. आलम यह है कि पूरे सदर अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर एक चौकीदार तक प्रतिनियुक्त नहीं हैं. जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में करीब एक दर्जन वार्ड हैं.
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अस्पताल में एक भी सुरक्षा कर्मी नहीं
मधुबनी : सदर अस्पताल में सैकड़ों मरीज व चिकित्सक हमेशा ही मौजूद रहते हैं. पर इन लोगों के सुरक्षा का कोई माकूल इंतजाम इस परिसर में नहीं है. जिस कारण एक ओर जहां मरीज व उनके परिजन खौफ में रातों को रहते हैं. वही कई बार आक्रोशित लोगों के द्वारा हंगामा किये जाने के कारण […]
नहीं है कोई चौकीदार
जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल में बीते एक साल से चौकीदार तक नहीं है. अस्पताल के उपाधीक्षक डा. अजय नारायण प्रसाद ने बताया कि कुछ वर्ष पहले 10 होमगार्ड एवं एक पुलिस अधिकारी का 24 घंटे सदर अस्पताल में ड्यूटी रहता था. जिनके जिम्में सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था होती थी. एक वर्ष पूर्व सीएस डा. नरेंद्र भूषण के कार्यकाल के दौरान तत्कालिन जिला पदाधिकारी गिरिवल दयाल सिंह के समय में सशस्त्र निजी गार्ड की व्यवस्था हुई थी. लगभग तीन माह तक निजी गार्ड ने अस्पताल की सुरक्षा में थे उसके बाद उनकी वापसी हो गई. इधर एक वर्ष से एक भी सुरक्षा कर्मी की व्यवस्था नहीं है. कई बार शिकायत करने के बाद भी व्यवस्था में कोई पहल नहीं की गयी. िजससे मरीजों के परिजनों को परेशानी होती है.
कई बार हो चुका है हंगामा
सदर अस्पताल में कइ बार हो हंगामा हो चुका है. बीते एक साल में करीब दस बार लोगों ने विभिन्न समस्याओं को लेकर हंगामा किया है. छठ पर्व के दौरान तालाब में एक बच्चे की मौत के बाद परिजन आक्रोशित हो गये और जमकर हंगामा किया. चिकित्सक डर कर भाग गये तो मरीज भी भीड़ देख भयभीत हो गये. इसी प्रकार साल के शुरुआत में भी जबरदस्त हंगामा किया गया था. इसी प्रकार साल 2016 के नवंबर माह में एंबुलेंस चालकों ने हंगामा किया था. जिस पर डीएस के बयान पर नगर थाना में कांड संख्या 375/16 दर्ज किया गया था.
मरीजों को होती है परेशानी
सदर अस्पताल में भर्ती मरीज को सुरक्षा नहीं रहने से परेशानी होती है. सदर अस्पताल के चिकित्सकों की माने तो अस्पताल में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां सुरक्षा कर्मी का रहना नितांत आवश्यक है. इन स्थानों में इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी, दवा वितरण केंद्र, एसएनसीयू, प्रसूति कक्ष, मरीज पंजियन केंद्र, अल्ट्रासाउंड केंद्र, एक्सरे केंद्र शामिल हैं. इन स्थलों पर मरीज एवं उनके परिजनों का जमावड़ा रहता है. हर मरीज व परिजन यह चाहते है कि उनका कार्य पहले हो जाए इस कारण इन जगहों पर लगने वाली कतार में झगड़ा होने की संभावना बनी रहती है. सदर अस्पताल में भर्ती मरीज रीना देवी बताती है कि प्रसव कक्ष तक में सुरक्षा का कोई इतजाम नहीं है. जो चाहे जब चाहें आ जाता है. इससे एक ओर जहां महिलाओं को परेशानी होती है वहीं नवजात में भी संक्रमण होने का भय रहता है.
चिकित्सकों में भी खौफ
सुरक्षा का इंतजाम नहीं होने से मरीज के साथ साथ चिकित्सक भी खौफ में रहते है. अस्पताल के उपाधीक्षक डा. अजय नारायण प्रसाद ने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा नहीं रहने के कारण चिकित्सक व चिकित्सा कर्मी भयभीत रहते है. हो हल्ला की स्थिति में पहले चिकित्सा कर्मी ही पहल कर शांत कराने का प्रयास करते हैं, पर स्थिति बिगड़ने पर नगर थाना को सूचित कर पुलिस बल मंगाया जाता है.
इलाज में होती है परेशानी
डाॅ राजीव रंजन ने कहा कि इमरजेंसी में रात के समय भय बना रहता है. खासकर दुर्घटनाग्रस्त मरीज के परिजनों द्वारा कई बार अस्पताल परिसर में हंगामा खड़ा कर देते हैं. ऐसे में इलाज करने में भी परेशानी होती है, सुरक्षा आवश्यक है.
दैनिक वेतन पर रखा जायेगा गार्ड
इस बात की जानकारी उन्हें नहीं थी. सीएस ने कभी इस बात का जिक्र तक नहीं किया है. अब संज्ञान में मामला आया है तो वे दैनिक वेतन पर जल्द ही सुरक्षा गार्ड रखा जायेगा.
शीर्षत कपिल अशोक, डीएम
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