महाराजगंज : प्रखंड के जलालपुर गांव में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन अमृत वर्षा करते हुए कथावाचक रामनारायणा आचार्य जी महाराज ने प्रभु श्री राम के जीवन चरित्र का वर्णन किया. महाराज ने कहां कि माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है. प्रभु श्रीराम मातृ-पितृ सेवा की बदौलत मर्यादा पुरुषोत्तम बने. उन्होंने कहा कि इंसान अज्ञानता वश चार भुजा वाले को ढूंढ़ता है. लेकिन अज्ञानी इंसान को यह भी पता नहीं कि दाता ही चार भुजा वाले हैं.
माता-पिता की चार भुजाएं जब मिलती हैं तब आपके व हमारे जैसे इंसान का जन्म होता है. माता-पिता हमें भले ही कुछ न दें फिर भी वो देवता तुल्य हैं. क्योंकि उन्होंने हमें जन्म दिया है. महाराज जी ने कहा, सभी धर्मों व तीर्थों से बढ़कर माता-पिता की सेवा है. मौके पर मधुसुदनाचार्य जी महाराज, शेषनाथ सिंह, वीरेंद्र सिंह, नंदकिशोर सिंह, ललन सिंह, अजीत सिंह, दुर्गा साह, सकलधारी मांझी, जयप्रकाश सिंह, गौतम सिंह, कामता सिंह, बयासी महतो थे.