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गुजरात चुनाव : क्या कांग्रेस भाजपा के गढ़ सूरत में सेंध लगा पायेगी?

अहमदाबाद: गुजरात में हीरों के शहर और पाटीदार कोटा आंदोलन के केंद्र सूरत में विधानसभा चुनाव का कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस ने इस बार पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल को अपने शस्त्र के तौर पर शामिल किया है. पाटीदार फैक्टर के अलावावस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी जैसे […]

अहमदाबाद: गुजरात में हीरों के शहर और पाटीदार कोटा आंदोलन के केंद्र सूरत में विधानसभा चुनाव का कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस ने इस बार पाटीदार आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल को अपने शस्त्र के तौर पर शामिल किया है.

पाटीदार फैक्टर के अलावावस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी जैसे मुद्दों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि हीरों एवं कपड़ों के कारोबार की नगरी के लोग किसके पक्ष में मतदान करेंगे. पहले चरण का मतदान शनिवार को सूरत में होगा.

अहमदाबाद गुजरात का सबसे बड़ा शहर है जबकि इस चुनावी मौसम में सूरत दिग्गज नेताओं की पसंदीदा जगह बनकर उभरा है. जीएसटी एवं नोटबंदी से प्रभावित लोगों की दुर्दशा समझने केलिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले महीने दो बार शहर की यात्रा कर चुके हैं.

अपनी यात्रा के दौरान राहुल ने शहर के पाटीदारगढ़ों – वरछा और कतारगाम में विशाल रैली को संबोधित किया था. तीन दिसंबर को कोटा आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने वरछा में विशाल रोड शो किया था. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व में उसी दिन माजुरा में भाजपा का रोड शो हुआ था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने शहर के बाहरी इलाके में स्थित कडोदरा में एक रैली को संबोधित किया था.

पाटीदारों एवं कारोबारियों की नाराजगी को देखते हुए कांग्रेस को इस बार भाजपा से कुछ सीटें छीनने की उम्मीद है, जबकि दूसरी ओर भाजपा को विश्वास है कि वह लंबे समय से उसका गढ रहे सूरत में अपनीपकड़ बनाये रखेगी क्योंकि उसके नेताओं का दावा है कि कांग्रेस जो दिखा रही है, जमीनी हकीकत उससे कहीं अलग है.

सूरत नगर कांग्रेस अध्यक्ष हसमुख देसाई ने कहा कि शहर के ज्यादातर लोगों का संबंध सौराष्ट्र से है, ऐसे में कृषि संकट उनके गुस्से को भड़काने का काम कर सकता है. शहर में पटेलों की बहुतायत है. बहरहाल, भाजपा ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और दावा किया कि जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है.

माजुरा से भाजपा के मौजूदा विधायक हर्ष सांघवी ने कहा, शुरू में कारोबारी जीएसटी से नाराज थे लेकिन अब वे इसे समझ पा रहे हैं. यह तथाकथित गुस्सा कभी वोट में नहीं बदलेगा. अगर लोग अब भी हमारे खिलाफ होते तो फिर मुख्यमंत्री की रैली में इतनी संख्या में लोग कैसे आते? सूरत के लिए पीएएएस (पाटीदार अनामत आंदोलन समिति) के संयोजक धार्मिक मालवीय ने कहा कि उन्होंने कम से कम पांच सीटों पर भाजपा को हराने का लक्ष्य निर्धारित किया है. उन्होंने कहा, लोग हमारे समर्थन में हैं और भाजपा उम्मीदवारों को प्रचार केलिए पाटीदारों की सोसाइटियों में घुसने में भी दिक्कत आ रही है.

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