रांची केलालपुर सब्जी मंडी में दोपहर 12 बजे अफरातफरी थी. सब्जी की दुकान लगाने वाले जल्दबाजी में अपनी दुकान समेट कर सामान एक तरफ रख रहे थे. लालपुर से कोकर के रास्ते पर लगने वाले इन दुकानों के आसपास पुलिस थी. कई दुकानों के सामान उठाकर जब्त किये जा रहे थे. कहीं चिल्लाने की आवाज थी, तो कहीं आंखों में आंसू के साथ चेहरे पर उदासी. प्रभात खबर डॉट कॉमकीलाइव टीम वहां मौजूद थी.पढ़िए घटना के चश्मदीद क्या कहते हैंऔर क्या कहते हैं फुटपाथदुकानदार:
क्या है पूरा मामला
रांची में ट्रैफिक की बढ़ती समस्या के मद्देनजर नगर आयुक्त ने आदेश दिया, जिसमें कहा गया है कि लालपुर और बहूबाजार सब्जी मंडी में केवल सुबह के वक्त चार घंटे (6:00 बजे से 10:00 बजे तक) ही दुकानें लगेंगी. बुधवार सुबह नगर निगम के इन्फोर्समेंट असफर यहां दुकानदारों को हटाने पहुंचे. इस फैसले का दुकानदारों ने विरोध किया. हंगामे और विरोध के बाद पुलिस को वापस लौटन पड़ा. रांची नगर निगम हफ्ते भर पहले से ही लालपुर सब्जी मंडी और बहूबाजार सब्जी मंडी के दुकानदारों को निर्धारित समय तक दुकानें लगाने की सूचना दे रहा है.
क्या कहते हैं दुकानदार
यहां कई दुकानदार ऐसे हैं जो कई पीढ़ियों से दुकान लगा रहे हैं. कई लोगों का जीवन यहां की दुकानदारी से चलता है. अपने पिता के साथ अब दिनेश भी यहां दुकान लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, हमारी कई पीढ़ियों का जीवन इसी सड़क के किनारे से चला है. हम यहां सालों से दुकान लगा रहे हैं. सिर्फ दिनेश ऐसे नहीं है सरोज जिसके पति दिन-रात शराब के नशे में धुत रहे हैं उसे ना तो अपनी रोजी-रोटी की फिक्र है ना बच्चों के भविष्य की चिंता. सरोज यहीं की दुकानदारी से अपना परिवार चला रही हैं. बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं. यहां की कमाई से बुंडु जाकर सब्जियां खरीदती हैं और शहर में लाकर बेचती हैं. सरोज कहतीं है मेरा परिवार कैसे चलेगा. किसान खेती करना छोड़ देगा.
एकजुट हो रहे हैं दुकानदार
फुटपाथ दुकानदार संघ की सेक्रेटरी अनीता दास इस पूरे मामले पर कहतीं हैं कि नगर निगम इस समस्या का हल नहीं चाहती. इन्होंने एक टीम बनायी है नगर वेंडिग कमेटी इस कमेटी में वेंडरर्स को ही शामिल नहीं किया गया. कानून कहता है कि 40 फीसद वेंडर्स शामिल होने चाहिए. हम इस मामले को लेकर कोर्ट का रुख करेंगे. कानून से बढ़कर कोई नहीं है.
500 दुकानें और 28 करोड़ 80 लाख का सालाना कारोबार
लालपुर सब्जी मंडी में लगभग 500 दुकानें हैं. इनमें सब्जी की, मांस-मछली की दुकानें शामिल हैं. यहां प्रतिदिन करीब आठ लाख रुपये का कारोबार होता है. इस आधार पर साल भर में लगभग 28 करोड़ 80 लाख का कारोबार होता है. वर्द्धमान कंपाउंड, लालपुर, कोकर, बांधगाड़ी, कांटाटोली, पुरुलिया रोड, थड़पखना एवं नगड़ा टोली से लोग बड़ी संख्या में खरीदारी करते हैं. मछली खाने के शौकिन लोगों के लिए भी यह मार्केट ही एकमात्र उम्मीद है क्योंकि यहां बंगाल की मशहूर मछली हिलसा भी मिलती है.
हमारे दर्शक क्या कहते हैं
प्रभात खबर डॉट कॉम लाइव के जरिये कई दर्शकों ने भी अपनी राय रखी. आर. पी. शाही ने लिखा, क्या आपको लगता है कि फुटपाथ दुकानदारों के पास इतनी आर्थिक क्षमता है कि वह फिक्स दुकान चला सकते हैं. बिल्कुल नहीं. जयपाल सिंह स्टेडियम में बन रही दुकानें सिर्फ भ्रष्टाचार है. देखिये, किस तरह मोरहाबादी में बनी 120 दुकानें निर्माण के बाद से ही बंद हैं. सुरेश अग्रवाल लिखते हैं, लालपुर सब्जी बाजार को बसाने से ज्यादा जरूरी डिस्टिलरी पार्क का निर्माण करना था? पार्क किसके लिए नगर निगम जवाब दे. शमीम अख्तर फुटपाथ दुकानदारों का दर्द बयां करते हुए लिखते हैं, सड़क का किनारा छोड़कर हॉकर अपनी दुकान कहां लगायेंगे? रोटी और् रोजगार के बगैर यह प्रशासन को नजराना कहां से देंगे.
दर्शक कृष्ण कुमार साहु लिखते हैं, सड़क के किनारे दुकानें यातायात को बाधित करती हैं, यह तो सभी देख रहे हैं. दुकानें दूसरी जगह भी चलेंगी बस समय चाहिये. मोराबादी मैदान के किनारे भी सब्जी बाजार चल ही गया. पर सड़क किनारे दुकानों से रोजाना वसूली होती है जो पर्मानेंट दुकानें बना कर देने से नहींहोगी ( एक बार ही हो सकती है). जो जगहें कभी रिहायशी थीं कब बाजार में तबदील हो रही हैं. सड़क के किनारे गंदगी के बीच सब्जी बेचना जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है. परेशानी यह है कि प्रशासन भी ईमानदारी से प्रयास नहीं करता है. नागबाबा खटाल वाली जगह कयों सही तरीकज का बाजार पार्किंग सहित बनाया गया ?