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258 करोड़ दबा कर बैठा है विभाग

भू-अर्जन विभाग के अफसरों ने सड़क निर्माण के लिए भू-अधिग्रहण कर जमीन मुहैया कराने के नाम पर 301 करोड़ रुपये ले लिये और तीन साल बाद भी जमीन उपलब्ध नहीं करायी़ नाराज एजेंसी अनुबंध रद्द कर 205 करोड़ की क्षतिपूर्ति की मांग कर दी है. इसको ले हड़कंप मचा है. बेतियाभले ही जिले के प्रशासनिक […]

भू-अर्जन विभाग के अफसरों ने सड़क निर्माण के लिए भू-अधिग्रहण कर जमीन मुहैया कराने के नाम पर 301 करोड़ रुपये ले लिये और तीन साल बाद भी जमीन उपलब्ध नहीं करायी़ नाराज एजेंसी अनुबंध रद्द कर 205 करोड़ की क्षतिपूर्ति की मांग कर दी है. इसको ले हड़कंप मचा है.
बेतियाभले ही जिले के प्रशासनिक अफसर तत्परता से विभागीय कार्य करने का दावा कर रहे हो, लेकिन उनकी लापरवाही पूरे तत्परता की पोल खोल रही है़ मामला इण्डो-नेपाल बार्डर सड़क निर्माण का है़
आरोप है कि विभाग चार साल बाद भी सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं कर सका है़ नतीजा इससे नाराज एजेंसी ने ठेका रद्द कर 205 करोड़ की क्षतिपूर्ति का दावा कर दी है. पथ निर्माण विभाग ने प्रधान सचिव ने डीएम को चिठ्ठी कर इस मामले से अवगत कराया है. 12 दिसंबर को इस मामले को लेकर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की डीएम के अलावे पथ निर्माण, भू-अर्जन के अधिकारी व सचिवों से साथ वीडियो कांफ्रेसिंग है. नतीजा हड़कंप मचा है.
यह पूरा मामला 19 अरब की लागत से होने वाले इण्डो-नेपाल बार्डर सड़क निर्माण का है़ सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से इण्डो-नेपाल बार्डर पर सुरक्षा एजेंसियों की सहूलियत के लिए सड़क निर्माण कराया जा रहा है़ उत्तरप्रदेश के बाद अपने पश्चिम चंपारण जिले में यह 110 किमी सड़क बननी है. इसके लिए गुडगांव हरियाणा की एनकेसी प्रोजेक्ट लिमिटेड को 19 जनवरी 2013 में ही 19 अरब की लागत से सड़क बनाने का अनुबंध मिला़ सड़क निर्माण 18 जुलाई 2015 में पूरा करा देना था. हालांकि सड़क निर्माण के लिए भूमि मुहैया कराने की जिम्मेवारी पथ निर्माण विभाग की थी़ इसके लिए पथ निर्माण विभाग ने भू-अर्जन कार्यालय को करीब 301 करोड़ रुपये भी भूमि अधिग्रहण के लिए दे दिया़ इधर, टेंडर में सड़क निर्माण की तिथि भी बीत गई और एजेंसी को भूमि मुहैया नहीं हो सका़ इससे नाराज एजेंसी ने अपने हाथ खड़े कर दिये हैं और 205 करोड़ रुपये के नुकसान होने का दावा ठोका है़
47 गांवों में लंबित है दखल कब्जा: पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा की ओर से डीएम को भेजे गये पत्र में लिखा गया है कि इण्डो-नेपाल बार्डर पर बनने वाले इस सड़क के लिए जिले के 94 राजस्व गांवों में भूमि अधिग्रहण करने के बाद कार्यदायी संस्था को मुहैया करानी है़ करीब 47 मौजे में जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. शेष 47 गांवों में दखल कब्जा मुआवजा भुगतान नहीं करने से लंबित है. जबकि पथ निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में ही मुआवजे का 301.50 करोड़ रूपये दिया जा चुका है, लेकिन इसमें से महज 43.32 करोड़ ही भुगतान किया गया है.

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