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इंदिरा गांधी भी चाहती थीं, अयोध्या में बने राम मंदिर

मनोज सिन्हा, मिथिलेश झा, राजीव चौबे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी. कहा जाता है कि अपने शासन के आरंभिक काल में वह पूरी तरह से नास्तिक थीं, लेकिन वर्ष 1977 के आम चुनाव में मिली करारी हार के बाद संभवतः उनके मन में धर्म के प्रति आस्था पैदा हो गयी थी. ऐसा माना जाता है […]

मनोज सिन्हा, मिथिलेश झा, राजीव चौबे

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी. कहा जाता है कि अपने शासन के आरंभिक काल में वह पूरी तरह से नास्तिक थीं, लेकिन वर्ष 1977 के आम चुनाव में मिली करारी हार के बाद संभवतः उनके मन में धर्म के प्रति आस्था पैदा हो गयी थी. ऐसा माना जाता है कि 1977 में मिली करारी हार के बाद से इंदिरा गांधी को मुस्लिमों के राजनीतिक समर्थन का भरोसा कम रह गया था. उनका कुछ झुकाव हिंदू समुदाय की तरफ हो चला था. कहा यह भी जाता है कि हिंदू धर्म के प्रति आये झुकाव के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सदियों से विवादित स्थल रामजन्मभूमि के निर्माण करवाने की इच्छा भी रखती थीं.

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कई लोगों का मानना है कि उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा विवादित परिसर से सटी जमीन के राम-कथा पार्क बनाने के लिए अधिग्रहण को इंदिरा गांधी का आशीर्वाद रहा होगा. वर्ष 1984 में बनी राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के महामंत्री दाऊ दयाल खन्ना कांग्रेस और अध्यक्ष महंथ अवैद्य नाथ हिंदू महासभा के नेता थे. अक्टूबर के अंत में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन कुछ दिनों के लिए थम गया.

दो साल बाद 01 फरवरी, 1986 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार की सहमति से फैजाबाद के जिला जज केएम पांडेय ने विवादित परिसर का ताला खुलवा दिया. दूरदर्शन पर खबरें दिखायी गयीं कि अब हिंदू समुदाय के लोग मस्जिद के अंदर बने मंदिर में जाकर दर्शन और पूजा कर सकते हैं.

जारी….

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