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एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए केंद्र दे रहा था 40 फीसदी SRI फंड, अब नहीं देगा

रांची : उग्रवाद प्रभावित राज्यों में नक्सलियोंके सफाये का अभियान जोर-शोर से चल रहा है.केंद्र सरकार का दावा है कि एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए जरूरी सुविधाएं प्रभावित राज्यों को उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि लोगों को लाल आतंक से मुक्ति मिले. केंद्र के इस दावे के उलट सच्चाई यह है कि एंटी नक्सल […]

रांची : उग्रवाद प्रभावित राज्यों में नक्सलियोंके सफाये का अभियान जोर-शोर से चल रहा है.केंद्र सरकार का दावा है कि एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए जरूरी सुविधाएं प्रभावित राज्यों को उपलब्ध करायी जा रही है, ताकि लोगों को लाल आतंक से मुक्ति मिले.

केंद्र के इस दावे के उलट सच्चाई यह है कि एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए राज्यों को मिलने वाले अनुदान में केंद्र ने भारी कटौती कर दी है. इससे नक्सलवाद के सफाये का लक्ष्य लेकर चल रहे राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. फलस्वरूप वित्तीय रूप से कमजोर राज्यों में एंटी नक्सल ऑपरेशन प्रभावित हो सकता है. झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहेगा.

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झारखंड में 21 जिलेहैं, जो नक्सलवादकी जद में हैं. इनमें से तीन जिले साहेबगंज, गोड्डा और जामताड़ा को छोड़ सभी जिलों में पुलिस पर एसआरई के तहत भी पैसे खर्च होते हैं. एसआरई फंडमें कटौती से करीब 40 करोड़ रुपये का बोझ राज्य सरकार पर पड़ेगा. पहले राज्य सरकार का अंशदान शून्य होता था. झारखंड में SRI पर हर साल करीब 170 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.

अब केंद्र सरकार इस फंड में 40 फीसदी की कटौती करने जा रहा है. यानी यह 40 फीसदी राशि अब राज्यों को खर्च करना होगा. इससे पहले SRI स्कीम के तहत केंद्र सरकार शत-प्रतिशत खर्च वहन करती थी. अब सिर्फ अर्धसैनिक बलों पर होने वाला खर्च ही केंद्र वहन करेगा. राज्य पुलिस पर होने वाले खर्च में केंद्र की भागीदारी अब 60 फीसदी ही होगी.

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उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में इस राशि का उपयोग सुरक्षा बलों के संसाधन पर किया जाता है. राज्य में सुरक्षा बल के वाहन एवं पेट्रोलियम पदार्थ, जेनरेटर, कारतूस, ट्रेनिंग, सामुदायिक पुलिसिंग, बीमा, स्पेशल ऑपरेशन के दौरान निजी वाहनों के उपयोग, नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के दौरान अन्य खर्च एसआरई फंड से ही किया जाता है.

आॅपरेशन के दौरान बीएसएफ का हेलीकॉप्टर उपयोग में लाये जाने की स्थिति में उसका भुगतान भी SRI फंड से ही किया जाता है. इसके अलावा राज्य पुलिस को खुफिया जानकारी में मदद करने के लिए एसपीओ की तैनाती पर होने वाला खर्च भी इसी फंड से किया जाना है.

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि सोमवार को गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथइसविषय पर चर्चा के लिए एक अहम बैठक हुई थी. बैठक मेंझारखंड के गृह सचिव एसकेजी रहाटे, आईजी ऑपरेशन आशीष बत्रा शामिल हुए. बैठक में गृह मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी जयदीप गोविंद, ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रवीण वशिष्ट समेत कई अधिकारी मौजूद थे.

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