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झारखंड में उर्दू की अनदेखी

झारखंड सरकार ने पिछले दिनों जेएसएससी के माध्यम से +2 विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली की प्रकिया शुरू की है. सरकार ने सक्षम उम्मीदवारों से पुनः आवेदन मांगा है, लेकिन इन भर्तियों में सरकार ने उर्दू के साथ अन्याय किया है. राज्यभर के लगभग सभी स्कूलों में उर्दू पढ़ने वालों की बड़ी संख्या है, फिर […]

झारखंड सरकार ने पिछले दिनों जेएसएससी के माध्यम से +2 विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली की प्रकिया शुरू की है. सरकार ने सक्षम उम्मीदवारों से पुनः आवेदन मांगा है, लेकिन इन भर्तियों में सरकार ने उर्दू के साथ अन्याय किया है.

राज्यभर के लगभग सभी स्कूलों में उर्दू पढ़ने वालों की बड़ी संख्या है, फिर भी सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुई है. राज्य में बड़ी संख्या में उर्दू उम्मीदवार वर्षों से बहाली की बाट जोह रहे हैं. इसी बहाली की आशा में न जाने कितने उम्मीदवार ओवरएज्ड हो गये और कुछ होने को हैं.

उनके साथ उनकी दूसरी पीढ़ी का भी भविष्य इसी पर टिका है. इसके बाद भी सरकार को कोई परवाह नहीं है. यह अत्यंत विचारणीय है कि सरकार को सारे विषयों की बहाली की बात याद है, अगर कुछ याद नहीं है, तो वह उर्दू है. हालांकि सरकार ने अभी उच्च विद्यालय की बहाली के लिए हुई परीक्षा में उर्दू उम्मीदवारों को भी मौका दिया है. जो प्रशंसा के पात्र हैं.

क्या +2 विद्यालयों में सरकार को उर्दू के शिक्षकों की नियुक्ति पर विचार नहीं करना चाहिए? रघुवर दास की सरकार से उर्दू के उम्मीदवारों को काफी आशा है कि वह इस दिशा में जल्द ही प्रकिया शुरू करेगी और सबका साथ सबका विकास के नारे को चरितार्थ करेगी.

असलम आजाद, इमेल से

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