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देश की शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के लिए एबीवीपी ने कहा सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी, जल्द से जल्द नयी शिक्षा नीति लागू हो

रांची : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के चार दिवसीय 63वें राष्ट्रीय अधिवेशन में शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को आवश्यक बताया गया. इसके तहत नयी शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करने का प्रस्ताव पास किया गया. इसकी जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एस सुब्बैया व महामंत्री आशीष चौहान ने रविवार को […]

रांची : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के चार दिवसीय 63वें राष्ट्रीय अधिवेशन में शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को आवश्यक बताया गया. इसके तहत नयी शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करने का प्रस्ताव पास किया गया. इसकी जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एस सुब्बैया व महामंत्री आशीष चौहान ने रविवार को पत्रकारों को दी.

उन्होंने बताया कि अधिवेशन में तीन प्रस्ताव पास किये गये. इसके तहत झारखंड के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रस्ताव को शामिल किया गया है. भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली को राष्ट्रीय तीर्थ स्थल घोषित करने के प्रस्ताव पर भी सहमति बनी. यह मानते हुए कि जनजातीय समाज विकास के प्रति प्रतिबद्ध है, परिषद ने उनके प्रति अपनी जिम्मेवारी समझी है और यह भी मांग रखी कि शैक्षणिक संस्थानों व छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति का नाम भी जनजातीय महापुरुषों के नाम पर रखा जाये.

आइआइटी में हैं 23 से 27 फीसदी रिक्तियां : डॉ सुब्बैया व श्री चौहान ने कहा कि फिलहाल देश के बड़े संस्थान आइआइटी में शिक्षकों की 23 से 27 फीसदी सीटें खाली हैं. एनआइटी में 47 फीसदी शिक्षक नहीं हैं. बड़े संस्थानों में निदेशक से लेकर शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा की स्वायत्ता पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की चोट लगी है. राज्यों में शिक्षण संस्थानों के अगुवा कुलपति भी सचिवालय के चक्कर लगा रहे हैं. संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के नीचे कुलपति को रहना पड़ रहा है. कुलपतियों की गरिमा समाप्त हो गयी है. ऐसे में रूसा को हटा कर विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता व यूजीसी की भूमिका को स्थापित करने की मांग की गयी है. साथ ही आइआइटी, एनआइटी व अन्य संस्थानों में पदों को भरने की मांग रखी गयी.
जनजातीय समाज के सर्वांगीण विकास का प्रस्ताव पारित
प्रस्ताव पास कर कहा गया कि जनजातीय समाज का हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसे में इस समाज को विकास की अोर आगे ले जाना होगा. परिषद ने माना कि जनजातीय समाज राष्ट्र की धरोहर हैं. इसकी सुरक्षा, संवर्द्धन व विकास की जिम्मेवारी एबीवीपी की ही है. परिषद ने युवा छात्र शक्ति से आह्वान किया है कि इसकी जिम्मेवारी उठाते हुए उनके हित में कार्य करें. इसके तहत जनजातीय महानायकों पर विश्वविद्यालयों में संगोष्ठी व सेमिनार आयोजित किये जाएं. महापुरुषों के इतिहास को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाये. वन आधारित उद्योगों के विस्तार व विकास के लिए विशेष नीति बने. आर्थिक सशक्तीकरण के लिए विशेष रोजगार नीति हो. जनजातीय समाज के विस्थापन को रोकने व भूमि सुरक्षा के लिए विशेष कानून व नीति बने. समाज से चर्चा करके जमीन ली जाये. समाज को लेकर ही नीतियां बनें.
सेना के अॉपरेशन से सुरक्षित हो रहा है देश
डॉ सुब्बैया व श्री चौहान ने कहा कि आज सेना के सफल अॉपरेशन से देश सुरक्षित हो रहा है. इससे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गौरव महसूस कर रही है. जम्मू-कश्मीर शांति की अोर बढ़ रही है. नोटबंदी व जीएसटी का जनमानस ने समर्थन किया है. परिषद इस निर्णय पर पहुंचा कि इसका सकारात्मक प्रभाव देश में पड़ेगा. वहीं राज्यों में नक्सली गतिविधियां कम हो रही हैं. उन्होंने झारखंड के संदर्भ में कहा कि यहां सुरक्षाकर्मियों के प्रयास से एरिया कमांडर सुधाकरण सहित कई नक्सलियों ने सरेंडर किया है. यहां के लोगों का भी माअोवादी सिद्धांतों से मोह भंग हो रहा है. एबीवीपी ने प्रस्ताव पास कर इसे सराहा है.
वामपंथी हिंसा को बेनकाब किया जायेगा
दोनों नेताओं ने बताया कि चलो केरल कार्यक्रम की तरह अब अन्य राज्यों में भी वैसा ही कार्यक्रम किया जायेगा. जहां भी वामपंथी हिंसा होगी, उसे बेनकाब किया जायेगा. प्रदर्शन किया जायेगा. उसे मुद्दा बनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि परिषद का 64वां राष्ट्रीय अधिवेशन दिसंबर 2018 में होगा. इसके लिए अहमदाबाद को चुना गया है.

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