नयी दिल्ली : दिल्ली में एक स्तब्धकारी घटना में शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल ने जन्म होने के साथ ही जुड़वां बच्चों को मृत घोषित कर दिया. उनके शव पॉलीथीन के थैले में परिजनों को सौंपे. लेकिन अंतिम संस्कार के लिए बच्चों को ले जाते समय महसूस हुआ कि उनका एक बच्चा जिंदा है. पुलिस ने आइपसी की धारा 308 के तहत केस दर्ज किया है, जो गैर इरादतन हत्या से जुड़ा है. इसमें सात वर्ष तक की सजा हो सकती है. दिल्ली सरकार ने आपराधिक लापरवाही की जांच के आदेश दे दिये हैं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी कार्रवाई का वादा किया है.
दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने भी मामले का संज्ञान लेकर जांच का फैसला किया है. यह जानकारी डीएमसी के पंजीयक गिरिश त्यागी ने दी है. बच्चों के पिता ने बताया, हमने थैले को फाड़ा, दो-तीन कपड़े और पॉलीथीन का थैला था. बच्चा सांस ले रहा था. हम बच्चे को लेकर पीतमपुरा के नर्सिंग होम में गये. बच्चों के पिता ने बताया कि दोनों बच्चों को अस्पताल प्रशासन ने मृत बताया. अस्पताल ने दोनों बेबी को अलग-अलग पार्सल जैसा बना कर हमें सौंप दिया. उन्होंने एक पॉलीथीन में डालकर बच्चों को हमें दे दिया.
बच्चों के पिता ने आगे बताया कि हम बच्चों को मृत समझ कर उन्हें ले कर श्मशान घाट की ओर बढ़ रहे थे. करीब दो-ढाई किलोमीटर हम आगे चले होंगे कि मेरे पास जो पार्सल था उसमें मुझे कुछ हरकत महसूस हुई. गाड़ी रुकवाकर पैकेट खोला तो देखा कि बच्चा जीवित था. यह देखकर हम हैरान रह गये. बच्चों के परिजन ने बताया कि पैकिंग देख कर हम चौंक गये. उन्होंने पांच परतों में बच्चे को लपेटा गया था. पहले कपड़ा फिर पॉलीथीन, फिर कपड़ा, फिर पॉलीथीन, फिर कपड़ा.
परिजन ने बताया कि बच्चे को फिलहाल पीतमपुरा के अग्रवाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है और बच्चे की स्थिति ठीक है. बच्चे के पिता ने बताया कि बाद में उनके पास मैक्स अस्पताल का कॉल आया जो वर्षा को डिस्चार्ज कराने के संबंध में था. पूछने पर नर्स ने बताया कि दो डॉक्टरों ने बच्चों को मृत घोषित किया था.