13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आचार्य महाश्रमण का मधुबन में मंगल-प्रवेश

अहिंसा यात्रा. नशामुक्ति, सद्भावना और नैतिकता का संदेश, गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा इलाका सद्भवाना, नशामुक्ति,नैतिकता और अहिंसा का संदेश लेकर मधुबन पहुंची अहिंसा यात्रा के सम्मान में गुरुवार को मधुबन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान आचार्य श्री महाश्रमण ने अपने प्रवचन में लोगों को मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया.पीरटांड़ : अहिंसा […]

अहिंसा यात्रा. नशामुक्ति, सद्भावना और नैतिकता का संदेश, गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा इलाका
सद्भवाना, नशामुक्ति,नैतिकता और अहिंसा का संदेश लेकर मधुबन पहुंची अहिंसा यात्रा के सम्मान में गुरुवार को मधुबन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान आचार्य श्री महाश्रमण ने अपने प्रवचन में लोगों को मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया.पीरटांड़ : अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण का मंगल प्रवेश गुरुवार की सुबह धूमधाम से हुआ.
इस दौरान हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के गगनभेदी जयकारे से पूरा मधुबन गुंजायमान हो उठा. आचार्य श्री के साथ 37 साधु एवं 56 साध्वियों का जत्था सुबह 10.30 बजे सम्मेद शिखर स्थित कुंद कुंद कहान नगर पहुंचा. बताते चलें कि राज्य अतिथि श्री महाश्रमण अध्यात्म, दर्शन, संस्कृति और मानवीय चरित्र के उत्थान के लिए समर्पित हैं. उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में दो दिसंबर को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास सहित कई विधायक और सांसद शिरकत करेंगे.
कौन हैं आचार्य महाश्रमण : अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण उन महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने आत्मा के दर्शन की व्याख्या कर उसे जिया भी है.
13 मई 1962 को राजस्थान के एक कस्बे सरदार शहर में जन्मे एवं 5 मई को दीक्षित हुए आचार्य महाश्रमण अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी एवं प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ की परंपरा में तेरहपंथ धर्मसंघ के 11वे आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हैं. उनके कुशल नेतृत्व में लगभग 800 साधु-साध्वियां देश विदेश में मानवता का अलख जगा रहे हैं. वह परोपकार शांति और सौहार्द जैसे मानवीय मूल्यों एवं विषयों के प्रखर वक्ता हैं.
प्रेरणा से एक करोड़ लोगों ने लिया नशामुक्ति का संकल्प : आचार्य श्री महाश्रमण ने 42000 किलोमीटर से अधिक पदयात्रा की है. इनकी प्रेरणा से लगभग एक करोड़ लोगों ने नशामुक्ति का संकल्प ग्रहण किया है. अहिंसा यात्रा के दौरान महाश्रमण पैदल चलकर तीन देशों और हिंदुस्तान के 19 राज्यों में 15000 किलोमीटर का सफर तय करेंगे. अहिंसा यात्रा के तीन मुख्य उद्देश्य सद‍्भावना का संप्रसार, नैतिकता का प्रचार-प्रसार तथा नशामुक्ति अभियान है.
गुस्से का परिणाम कभी भी अच्छा नहीं : गुरुवार को आचार्य श्री के आगमन से पूर्व हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु काफी उत्साहित थे. सभी ने मंगल प्रवेश के दौरान आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया. उसके बाद कुंद-कुंद परिसर में बनाये गये पंडाल में प्रवेश कर गये,जहां आचार्य श्री महाश्रमण का प्रवचन सुना. उन्होंने कहा कि हमें अध्यात्म के विमुख नहीं, बल्कि अध्यात्म के सम्मुख जाना चाहिए. हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है कि अगर हम सब में गुस्सा है तो यह अच्छा नहीं और इसका परिणाम कभी अच्छा नहीं होता है.
गुस्सा एक ऐसा कारण है,जिसके कारण परिवार में विघटन होता है. प्रत्येक आत्मा का पुण्य या पाप ही कोई लेकर जाता है. सारा धन यहीं रह जाता है. मन का बुरा भाव जब मिट जायेगा, तब व्यक्ति स्वयं परमात्मा बन सकता है. कहा कि साधना उचित रूप में करे तो व्यक्ति सर्वज्ञ बन सकता है. शास्त्रों में तपस्या का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है.
जो जीभ की सुने, वह तपस्या नहीं कर सकता
आचार्य श्री ने अवमोदरिका (संयम-तपस्या) पर श्रद्धालुओं को कई महत्वपूर्ण बातें बतायीं. कहा कि अवमोदरिका के तीन प्रकार हैं. उपकरण अवमोदरिका, भक्तपान अवमोदरिका, भाव अवमोदरिका वस्तु आदि को कम कर देना अर्थात वस्तुओं का आवश्यकता भर ही उपयोग करना उपकरण अवमोदरिका है. भक्तपान अवमोदरिका का तात्पर्य है खाने पीने में अल्पीकरण करना. जो पदार्थ जीभ मांगे उसे न सुनकर थोड़ा कम ही खाना खायें. जो व्यक्ति जीभ की सुनेगा वह भक्त अवमोदरिका नहीं कर सकता. अर्थात वह तपस्या नहीं कर पायेगा.
अंतिम महत्वपूर्ण बात उन्होंने बताया भाव अवमोदरिका इसका अर्थ है. ईर्ष्या का भाव त्यागना, लोभ का भाव मन से हटाना, अहंकार का भाव मिटाना. कहा कि ये त्याग और तपस्या के केवल साधु संतों के जीवन के लिए नहीं है. अपितु गृहस्थ जीवन में भी लोगों को ये बाते अपनानी चाहिए. आचार्य जी ने कहा कि पारसनाथ आगमन से ऐसा लगा कि निश्चित ही यहां कुछ विशेष है तभी तो 20 तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल में कुछ विशेष अनुभव हो रहा है. बाद में देश के अन्य प्रांतों से आये श्रद्धालुओं में आचार्य श्री में सम्मान में अपनी बातों को भी रखा. गीत भी प्रस्तुत किये. बताते चले कि आचार्य श्री लगातार यहां तीन दिनों तक प्रवास करेंगे एवं मधुबन के अलग-अलग संस्थाओं में प्रवचन कर श्रद्धालुओं को सदभावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति के बारे में बताकर प्रेरित करेंगे.
सम्मेद शिखर जी सज-धज कर तैयार
आचार्य श्री महाश्रमण के आगमन से पूर्व पूरा मधुबन सज कर तैयार है. बैनर होडिंग आदि से मधूबन को पाट दिया गया है. समस्त मधुबन में देश विदेश से आये हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. सभी संस्थाओं के कमरे लगभग बुक हो गये हैं. दो दिसम्बर को सूबे के मुख्यमंत्री एवं राज्य की राज्यपाल का आगमन होगा. इसलिए लगातार प्रशासनिक पदाधिकारी मधुबन में बैठक कर सभी बिंदुओं पर नजर बनाये हुए हैं. हाल में गठित स्वच्छता समिति भी मुस्तैद है एवं मधुबन को स्वच्छ बनाये रखने के लिए सफाई अभियान चलाकर सभी मार्गों को स्वच्छ बनाये रखने में जुटी है. पारसनाथ में आचार्य माहाश्रमण का आगमन पहली बार हो रहा है एवं उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के सीएम एवं महामहिम के आगमन की ख़बर सुनकर पूरे मधुबन सहित आसपास के गांवों मे काफी उत्साह है.
बोले आचार्य
हमें अध्यात्म से विमुख नहीं, बल्कि अध्यात्म के सम्मुख जाना चाहिए
गुस्सा एक ऐसा कारण है, जिसके कारण परिवार में विघटन होता है.
मन का बुरा भाव जब मिट जायेगा, तब व्यक्ति स्वयं परमात्मा बन सकता है
साधना उचित रूप में करें तो व्यक्ति सर्वज्ञ बन सकता है
सुरक्षा की चाक चौबंद-व्यवस्था
आचार्य महाश्रमण के आगमन से पूर्व प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखा था. बुधवार रात महाश्रमण ने तोपचांची एवं पीरटांड़ के सीमावर्ती गांव अंबाडीह में विश्राम किया. इस दौरान तोपचांची पुलिस मुस्तैद दिखी. गुरुवार को भी मधुबन में प्रशासन की व्यवस्था मजबूत दिखी. कुंद कुंद परिसर के अलावा मधुबन बाज़ार में भी जवान तैनात दिखे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें