नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि वृहद आर्थिक बुनियादी कारकों में सुधार के बल पर भारत ने खुद के लिये मोटे तौर पर 7-8 प्रतिशत वृद्धि का मानक स्थापित कर लिया है. यहां एक व्याख्यान में वित्त मंत्री ने कहा, भारत ने खुद के लिये सामान्य तौर पर 7 से 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का मानक तय कर लिया है. यदि इसमें सुस्ती आती है तो यह 7 प्रतिशत के आसपास रहती है और यदि इसकी रफ्तार बढ़ती है तो यह 8 प्रतिशत के आसपास तक पहुंच जाती है.
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उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से यह 2,500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के करीब है. भारत दो अंकीय मुद्रास्फीति के पुराने दौर से आगे निकल चुका है. जेटली ने कहा, हमने सांविधिक रूप से चार प्रतिशत का लक्ष्य तय किया है. हमने अपने चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखा है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की दृष्टि से बेहतरीन प्रदर्शन किया है.
जेटली ने कहा, इन सब चीजों से भारत एक ऐसी स्थिति के नजदीक पहुंच रहा है जहां देश जो कमाता है उसे खर्च कर सकता है और कुछ हद तक कर्ज कम लेने की जरुरत पड़ती है. वित्त मंत्री ने कहा, भारत में एक बड़ी चुनौती जो अभी कायम है और उसकी वजह से हमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने में मुश्किलें आ रही है, और वह यह है कि हमारा समाज मोटे तौर पर कर अनुपालन नहीं करने वाला समाज है.
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उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि देश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश की जरुरत है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को अगले पांच साल में 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरुरत होगी. भारत ने 2007 से 2017 के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर 60 लाख करोड़ रुपये खर्च किये हैं. हाल के समय में सरकार ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च बढ़ाया है. वित्त मंत्री ने कहा कि बजट 2017-18 में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 3.96 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.
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