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एस एंड पी : प्रति व्यक्ति आय क्यों बना भारत की रेटिंग में रोड़ा ?

नयी दिल्ली :मूडीज और इज ऑफ डूइंग में अच्छी रैकिंग हासिल करने के बाद भारत को स्टैंडर्स एंड पुअर्स से बेहतर रैंकिग की उम्मीद थी, लेकिन कल भारत की उम्मीदों पर पानी फिर गया. एस एंड पी ने भारत की रेटिंग पिछले साल की तरह BBB- ही रखा है. बताया जा रहा है कि यह […]

नयी दिल्ली :मूडीज और इज ऑफ डूइंग में अच्छी रैकिंग हासिल करने के बाद भारत को स्टैंडर्स एंड पुअर्स से बेहतर रैंकिग की उम्मीद थी, लेकिन कल भारत की उम्मीदों पर पानी फिर गया. एस एंड पी ने भारत की रेटिंग पिछले साल की तरह BBB- ही रखा है. बताया जा रहा है कि यह कबाड़ से एक पायदान ऊपर की रैकिंग है. भारत की स्थिर रैंकिंग के लिए रेटिंग एजेंसी ने प्रति व्यक्ति आय में कमी और कर्ज के बढ़ते बोझ को जिम्मेदार ठहराया.

प्रति व्यक्ति आय में भारत की स्थिति बेहद खराब है और तमाम विकासशील देशों में निचले पायदान पर है. संयुक्त राष्ट्र ने प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से दुनिया भर के देशों की सूची जारी की थी. चीन में प्रति व्यक्ति औसत सालाना आय 7600 डॉलर है. साल 2016-17 में भारत की प्रति व्यक्ति आय एक लाख होने का अनुमान है. पिछले साल यह 93,293 रुपये पर था. भारत से नीचे की रैंकिग में यमन (1418 डॉलर), पाकिस्तान (1561 डॉलर), कीनिया (1358 डॉलर), बांग्लादेश (1,088 डॉलर), ज़िंबाब्वे (965 डॉलर), नेपाल (692 डॉलर), अफ़ग़ानिस्तान (688 डॉलर), कांगो (480 डॉलर) शामिल हैं.. इसमें भारत 150 वें स्थान पर है.श्रीलंका (3635 डॉलर) में प्रति व्यक्ति आय भारत से दोगुनी है.
सुधार की गुंजाइश
चीन ने प्रति व्यक्ति आय के मामले में काफी सुधार किया है. 2002 से 2014 के बीच चीन ने भारी निवेश किया. 2002 में जहां चीन जीडीपी का 27 प्रतिशत निवेश करता था. 2014 में इस निवश की रकम बढ़ाकर 47 प्रतिशत कर दिया. इस भारी निवेश से चीन में काफी रोजगार का सृजन हुआ. इसका असर प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा. वहीं कई अर्थशास्त्री प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की सलाह देते हैं, क्योंकि कोई भी देश जब कम आय के दौर से गुजरता हो तो वहां सस्ते श्रम की सुविधा होती है. लिहाजा लागत मूल्य कम होता है. भारत फिलहाल उस दौर से गुजर रहा है, जब जापान 60 की दशक में रहा करता था. जापान ने 1960 में कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स के निर्माण पर जोर दिया और मैन्यूफैक्चरिंग में बादशाहत हासिल की.
भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने क्या हैं चुनौतियां
भारतीय अर्थव्यवस्था समस्याओं के दौर से गुजर रही है. उनमें बैंकों के फंसे हुए कर्ज शामिल है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की करीब 15 फीसदी पैसे पूरी तरह से फंस चुके हैं. एस एंड पी सरकारी बैंकों के अधिकता का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी बैंक देश के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. भारत में 70 प्रतिशत बैंकिंग सेक्टर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हाथों में है. वहीं 30 प्रतिशत निजी क्षेत्र के बैंकों के हाथों में है. एस एंड पी ने निजी क्षेत्र के बैंकों की सराहना करते हुए कहा कि निजी बैंक अच्छी स्थिति में हैं.
भारत को चीन से प्रेरणा पाने की जरूरत
भारत को चीन से प्रेरणा हासिल करने की जरूरत है. विशेषज्ञों की मानें तो हर दौर में कोई देश किसी दूसरे देश से प्रेरणा पाता है. ब्रिटेन से अमेरिका ने प्रेरणा पायी, वहीं औद्योगिक क्रांति का असर जर्मनी और फ्रांस पर भी पड़ा. जापान ने जर्मनी से प्रेरणा पायी और फिर जापान के तरक्की का असर कोरिया और जापान पर भी पड़ा. जनसंख्या के मामले में भारत की तुलना चीन से होती है, यही नहीं भारत की सामाजिक – आर्थिक भी परिस्थितियां चीन से काफी मिलती – जुलती है. ऐसे में भारत को अमेरिका से ज्यादा चीन की तरक्की से सीख लेने की जरूरत है.

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