10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

22740 मानसिक रोगी, इलाज की व्यवस्था नहीं

दुर्जय पासवान गुमला : गुमला जिले में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार गुमला में 22740 मानसिक रोगी हैं, परंतु इनके इलाज के लिए डॉक्टर नहीं हैं. जबकि गुमला सदर अस्पताल परिसर में जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां करीब दो लाख रुपये की दवा भी है, लेकिन डॉक्टर के […]

दुर्जय पासवान
गुमला : गुमला जिले में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार गुमला में 22740 मानसिक रोगी हैं, परंतु इनके इलाज के लिए डॉक्टर नहीं हैं. जबकि गुमला सदर अस्पताल परिसर में जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. यहां करीब दो लाख रुपये की दवा भी है, लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण ने तो मानसिक रोगियों की जांच हो पा रही है और न ही दवा मिल रही है. अगर यही स्थिति रही, तो छह-सात महीने में अस्पताल में रखी दो लाख रुपये की दवा एक्सपायर्ड हो जायेगी.
गुमला में मानसिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना वर्ष 2009 में हुई है. अस्पताल बनने के बाद सप्ताह में एक दिन रांची रिनपास से मनोचिकित्सक गुमला आते थे. यहां अस्पताल में मरीजों की जांच करते थे.
लेकिन इधर, 10 मार्च 2017 से रिनपास से चिकित्सक गुमला नहीं आ रहे हैं. इससे मनोरोगियों का इलाज नहीं हो रहा है.कहने को अस्पताल, सुविधा नहीं है : गुमला में कहने को मानसिक स्वास्थ्य केंद्र है. भवन चकाचक है, पर यहां जो सुविधा होनी चाहिए, वह नहीं है. तीन कर्मियों के भरोसे अस्पताल का संचालन हो रहा है. कर्मी बताते हैं कि अगर कोई मानसिक रोगी आता है, तो स्थिति को देखते हुए रांची रेफर कर दिया जाता है. यहां बेड है, लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण किसी रोगी को भरती नहीं किया जाता है. कर्मियों को रोग की जानकारी नहीं होने के कारण रोगियों को दवा भी नहीं बांट रहे हैं.
मानसिक अस्पताल में पद
मानसिक चिकित्सक एक, साइक्लोजिस्ट एक, पीएसडब्ल्यू एक, नर्स एक, रिकॉर्ड कीपर एक, नर्सिग ऑडरली एक की जरूरत है. इसमें मात्र नर्सिंग ऑडरली, रिकॉर्ड कीपर व पीएसडब्ल्यू हैं. शेष पद रिक्त है.
यह दवा उपलब्ध है
मानसिक अस्पताल में भेल्पो-300 एमजी, रिस्प-टू, रिस्प-थ्री एमजी, ओलेंजा-10, ओलेंजा-7.5, ओलेंजा-5 एमजी, लिथियम-300 एमजी, इएसटीए-10 एमटी की दवा है. जनवरी महीने में एक लाख 34 हजार रुपये की लागत से मानसिक रोगियों के लिए दवा खरीद हुई है.
पूरी दवा अस्पताल के अलमीरा में रखी हुई है. न तो इसे रोगियों को दिया गया और न ही रिनपास को वापस भेजा गया, जबकि पहले से रिनपास से मिली दवा भी गुमला में बेकार रखी हुई है. अगर इन दवाओं का उपयोग नहीं होगा, तो यह बेकार हो जायेंगी.
20 से 40 वर्ष के रोगी ज्यादा
गुमला में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. डॉक्टर की माने, तो इसका मुख्य कारण नशापान के अलावा माहौल है. देखा जाये, तो 20 से 40 वर्ष के रोगियों की संख्या अधिक है, लेकिन अब कम उम्र के भी मानसिक रोगी बढ़ने लगे हैं. इसका कारण बच्चे कम उम्र में ही गांजा पीने लगे हैं. नशीले पदार्थ का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ज्यादा नशा करने लगे हैं.
जिले में मानसिक
रोगियों की संख्या
वर्ष नया पुराना कुल
2009 247 0285 0532
2010 307 1184 1491
2011 448 1875 2323
2012 233 2393 2626
2013 356 3112 3468
2014 180 3113 3292
2015 319 2890 3209
2016 256 2599 2855
2017 307 2636 2943
कुल 22740
23 अक्तूबर 2017 को मैंने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर मानसिक रोगियों की जांच के लिए डॉक्टर की मांग की है. इसके अलावा 55 और डॉक्टर की मांग की गयी है, लेकिन अभी तक गुमला को डॉक्टर नहीं मिला है. इस कारण परेशानी हो रही है.
डॉ एसएन झा, सीएस, गुमला

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें