इस बाबत हाल ही में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने एक पत्र जारी किया है. एचएससीटी प्रोजेक्ट के समन्वयक एनजीओ थैलेसिमिक्स इंडिया के मुताबिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट दिल्ली के एम्स, टाटा मेडिकल सेंटर कोलकाता, सीएससी वेल्लोर, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर दिल्ली में हो सकेगा.इसके लिए सभी प्रदेशों के थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की जानकारी एकत्र की जा रही है.
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मौत के मुंह से बच्चों को बचायेगी कोल इंडिया, थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों के इलाज को मिलेंगे दस लाख
बेरमो: अानुवंशिक रक्त-रोग यानी थैलेसीमिया का समय रहते इलाज नहीं करवा पाने की स्थिति में रोगी की आयु मौत के दिन के हिसाब में बीत जाती है. ऐसे पीड़ित बच्चों के इलाज का खर्च नहीं उठा पाने वाले अभिभावकों की मदद को कोल इंडिया आगे आयी है. ऐसे बच्चों का बोनमैरो ट्रांसप्लांट कराने के लिए […]
बेरमो: अानुवंशिक रक्त-रोग यानी थैलेसीमिया का समय रहते इलाज नहीं करवा पाने की स्थिति में रोगी की आयु मौत के दिन के हिसाब में बीत जाती है. ऐसे पीड़ित बच्चों के इलाज का खर्च नहीं उठा पाने वाले अभिभावकों की मदद को कोल इंडिया आगे आयी है. ऐसे बच्चों का बोनमैरो ट्रांसप्लांट कराने के लिए कंपनी का एनजीओ स्वास्थ्य मंत्रालय के समन्वय से दस लाख रु देगा. यह मदद सीएसआर के तहत 10 साल से कम उम्र के वैसे बच्चों को मिलेगी, जिनके अभिभावकों की सालाना आय पांच लाख से कम होगी.
बड़े अस्पतालों में होगा इलाज : बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की शर्त इसकी एचएलए टेस्ट रिपोर्ट की 100 फीसदी मैचिंग की अनिवार्यता है. थैलेसीमिया के इलाज के लिए कंपनी का देश भर के चार अस्पतालों से अनुबंध है.
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