नयी दिल्ली/गुरुग्राम : ‘बच्ची ने जो लास्ट ड्रेस पहनी है उसका 900 रुपये का बिल चुकाओ, यह बात अस्पताल की ओर से कही गयी है. डेंगू की शिकार हुई 7 साल की आद्या के पिता जयंत सिंह ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल पर यह आरोप लगाया. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल ने एक पिता को डेंगू से पीड़ित उनकी बच्ची के इलाज का बिल 16 लाख रुपये थमाया है. बावजूद इसके अस्पताल ने बच्ची को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी और बच्ची की मौत हो गयी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले की जांच का आदेश देते हुए फोर्टिस अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है. इससे पहले, दिल्ली के द्वारका की रहने वाली जयंत सिंह की सात साल की बेटी आद्या सिंह को दो महीने पहले डेंगू होने पर द्वारका के एक प्राइवेट अस्पताल रॉकलैंड में भर्ती कराया गया था. पांचवें दिन 31 अगस्त को उसे रॉकलैंड से फोर्टिस ले जाया गया, जहां अगले ही दिन बिना जानकारी दिये डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर डाल दिया गया. वेंटिलेटर पर आद्या की तबीयत बिगड़ती गयी और फिर ब्रेन से लेकर किडनी तक पर इसका असर पड़ गया. इतना ही नहीं, परिवार के कई बार कहने के बाद भी अस्पताल ने बच्ची का सीटी स्कैन और एमआरआइ नहीं कराया.
आद्या का 15 दिनों तक इलाज चला. 10 दिन तक वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रही. बीमारी में कोई सुधार न होता देख 14 सितंबर को परिवार ने उसे फोर्टिस से ले जाने का फैसला किया, लेकिन उसी दिन बच्ची की मौत हो गयी. बच्ची के पिता जयंत सिंह ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए इस मामले की जांच कराने की मांग की है. साथ ही कहा है कि आवश्यक हो तो इस संबंध में कानून में बदलाव किया जाये व नया कानून बनाया जाये ताकि दूसरे लोग ऐसी स्थिति का शिकार नहीं हों. सरकार के संज्ञान में यह मामला तब आया, जब इसका उल्लेख करते हुए सांसद राजीव चंद्रशेखर ने इस खबर को ट्वीट किया और इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को टैग कर दिया. वहीं, बच्ची के पिता के एक दोस्त ने @DopeFloat नाम के हैंडल से 17 नवंबर को 20 पेज की हॉस्पिटल के बिल की कॉपी के साथ ट्विटर पर पूरी घटना शेयर की.
जिस कपड़े में शव को दिया, उसके भी पैसे लिये
अस्पताल ने बच्ची के 15 दिन के इलाज के खर्च के रूप में 16 लाख का बिल थमा दिया. बिल में उसके इलाज के दौरान प्रयोग किये गये 2700 दास्तानों व 660 सिरिंज का जिक्र है. यानी औसतन हर रोज बच्ची के ऊपर 44 सिरिंज का प्रयोग किया गया. इस दौरान चार लाख रुपया तो सिर्फ दवाई का बिल बनाया गया. बच्ची की मौत के बाद जिस कपड़े में शव को लपेट कर दिया गया, उसका पैसा भी अस्पताल ने वसूल किया. बच्ची की मौत के बाद अस्पताल बिल के भुगतान के बिना शव देने के लिए तैयार नहीं था.
केंद्र सरकार ने अस्पताल से मांगी रिपोर्ट
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए अस्पताल से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी. साथ ही हरियाणा सरकार से अस्पताल से पूछताछ करने को कहा है. नड्डा ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और स्वास्थ्य सचिव से भी मामले को देखने को कहा.
चूक नहीं, अधिक बिल नहीं वसूला : फोर्टिस
बिल वसूलने के आरोपों पर सफाई देते हुए फोर्टिस अस्पताल ने कहा कि बच्ची की देखभाल में कोई लापरवाही नहीं बरती गयी या अधिक बिल नहीं वसूला गया. बच्ची के परिवार को उसकी गंभीर हालत के बारे में तथा बिल के बारे में रोजाना जानकारी दी गयी.
एक नजर में
20 पेज का बनाया बिल
16 लाख रुपया खर्च
04 लाख लगे दवा में
2700 दस्ताने का इस्तेमाल
660 सिरिंज लगाये गये