लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘पद्मावती’ फिल्म को लेकर हो रहे विवाद के लिए इसके निर्माता संजय लीला भंसाली को समान रुप से दोषी ठहराते हुए आज कहा कि उन्हें जनभावनाओं से खेलने की आदत हो गयी है. योगी ने कहा, भंसाली जनभावनाओं से खेलने के आदी हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर कार्वाई होगी तो दोनों पक्षों पर समान रुप से होगी.
योगी ने गोरखपुर कहा, किसी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है, चाहे वह संजय लीला भंसाली हों या फिर कोई और. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अगर (फिल्म और उसके कलाकारों को) धमकी देने वाले दोषी हैं तो यह भंसाली भी कम दोषी नहीं है.
फिल्म के कलाकारों को जान से मारने की धमकियों के संबंध में सवाल करने पर योगी ने कहा, एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान सभी को करना चाहिए और मुझे लगता है कि अच्छे विचार और भाव सब लोग रखेंगे तभी सौहार्द्र रहेगा. राज्य सरकार ने 19 नवंबर को कहा था कि वह बालीवुड फिल्म पदमावती को उत्तर प्रदेश में तब तक प्रदर्शित नहीं होने देगी, जब तक इसके आपत्तिजनक एवं विवादास्पद दृश्यों को हटा नहीं दिया जाता. फिल्म के निर्माताओं ने इसकी रिलीज टाल दी है.
राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि महान रानी ने आक्रांता शासक के समक्ष आत्मसमर्पण करने की बजाय अपने जीवन की आहुति दे दी और इतिहास में अपनी जगह बनायी.उन्होंने कहा कि इस्लामिक आक्रमणकारियों ने देश पर बहुत हमले किये. रानी अपने सतीत्व और मर्यादा की रक्षा के लिए जौहर कर जिन्दा जल गयी. मौर्य ने कहा कि जब तक फिल्म के विवादास्पद दृश्य हटा नहीं दिये जाते, हम फिल्म को उत्तर प्रदेश में रिलीज नहीं होने देंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा था कि एक दिसंबर को इस फिल्म की रिलीज राज्य की कानून व्यवस्था के हित में नहीं होगा.
सूचना प्रसारण सचिव को भेजे पत्र में राज्य के प्रमुख सचिव :गृह: अरविन्द कुमार ने कहा था कि संसर बोर्ड को इस बात से अवगत कराना चाहिए कि फिल्म में तथ्यों से जिस तरह कथित छेडछाड की गयी है, उसे लेकर जनता में आक्रोश है. पत्र में कहा गया कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों को कोई भी फैसला जनता की भावनाओं को ध्यान में रखकर लेना चाहिए.
उसमें कहा गया है कि यह बात सामने आयी है कि फिल्म के निर्माताओं ने इसे सेंसर बोर्ड की मंजूरी के लिए भेजा है और सेंसर बोर्ड को फिल्म के बारे में फैसला करना है. नौ अक्तूबर को फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद कई सामाजिक एवं अन्य संगठनों ने फिल्म का विरोध किया.
पत्र के मुताबिक संगठन कडा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि फिल्म की रिलीज रोकी जाए क्योंकि इसमें पद्मावती को कथित तौर पर गलत आलोक में प्रस्तुत किया गया है. इससे कानून व्यवस्था की दिक्कत पैदा हो सकती है. राज्य के गृह विभाग ने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव चल रहे हैं. तीन चरणों में 22 नवंबर, 26 और 29 नवंबर को मतदान होना है.
पत्र में आगे कहा गया कि एक दिसंबर को मतगणना है और दो दिसंबर को बारावफात है. बारावफात के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस निकालते हैं. अगर फिल्म एक दिसंबर को रिलीज हुई तो यह राज्य की कानून व्यवस्था के हित में नहीं होगा.
वहीं इस फिल्म के विवाद के संबंध में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने 18 नवंबर को सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि पद्मावती फिल्म में आवश्यक बदलाव नहीं होने तक उसे रिलीज ना किया जाये, ताकि इससे किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे.