समस्या. जाम के आगोश में समाता जा रहा लाइन बाजार, प्रशासनिक प्रयास विफल
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स्वास्थ्य नगरी को लगी जाम की बीमारी
समस्या. जाम के आगोश में समाता जा रहा लाइन बाजार, प्रशासनिक प्रयास विफल जाम का सबसे बड़ा सेंटर लाइन बाजार और मधुबनी बाजार है. इन दोनों क्षेत्र में जाम ने अब स्थायी रूप ले लिया है जिससे राहगीर परेशान हैं पूर्णिया : शहर में जाम की समस्या दिनानुदिन बढ़ती जा रही है. प्रशासन समय-समय पर […]
जाम का सबसे बड़ा सेंटर लाइन बाजार और मधुबनी बाजार है. इन दोनों क्षेत्र में जाम ने अब स्थायी रूप ले लिया है जिससे राहगीर परेशान हैं
पूर्णिया : शहर में जाम की समस्या दिनानुदिन बढ़ती जा रही है. प्रशासन समय-समय पर जाम के विरुद्ध अभियान चलाती है. थोड़े दिनों के लिए सब कुछ सामान्य होता है मगर चार दिनों के बाद फिर वही पुरानी हालत हो जाती है. जाम का सबसे बड़ा सेंटर लाइन बाजार और मधुबनी बाजार है. इन दोनों क्षेत्र में जाम ने अब स्थायी रूप ले लिया है. ऐसा नहीं कि कहीं दूसरे प्रदेश से लोग आकर आवागमन बाधित करने के लिए जाम लगाते हैं. ऐसा भी नहीं कि कोई राजनीतिक पार्टी के इशारे पर जाम लगाया जाता है.
यह भी नहीं है कि स्थानीय लोगों में से कोई जाम को पसंद करते हैं. दरअसल बात है कि शहर में कहीं कोई ट्रैफिक रूल मेंटेन नहीं है. आम लोगों की जहां चाह वहां राह वाली मनमानी चलती है. बाजार में जिसे जहां होता है वहीं अपनी वाहन लगा देते हैं. लोगों को इतनी भी जागरूकता नहीं है कि उनके कारण दूसरे को परेशानी होती है. ये लोग जब मन तब जहां-तहां दुकान भी लगा देते हैं. ऐसे में सड़क के किनारे अनचाहा जाम लगा रहता है. यह नजारा मधुबनी बाजार और लाइन बाजार में सबसे ज्यादा है. हालांकि इसके अलावा बस स्टैंड, लखन चौक, नगरपालिका चौक, खीरू चौक आदि स्थानों पर भी अनावश्यक जाम लगी रहती है.
नौ से 12 बजे तक लगा रहता है जाम : स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. लाइन बाजार अभी सिक्स लेन पर बसा हुआ है. दिन के नौ बजे के बाद रात के 12 बजे तक यह पता नहीं चलता कि यहां सिक्स लेन है. लाइन बाजार में रोड के दोनों किनारे छोटी-बड़ी वाहनें लगी रहती है. इससे दोनों तरफ रोड का आधा हिस्सा हमेशा अतिक्रमित रहता है. ऐसे में सिक्स लेन की चौड़ाई टू-लेन से भी कम हो जाती है.
फुटकर विक्रेताओं की मजबूरी
रोजी-रोटी के लिए गरीब एवं मजलूम इंसान फुटकर दुकानदारी करने रोड पर आते हैं. प्रशासन के डंडे के सामने वे भाग जाते हैं मगर ऐन-केन-प्रकारेण जुगाड़ लगा कर फिर से जगह पर आ जाते हैं. इनके लिए नगर निगम की ओर से कहीं भी वेंडिंग जोन नहीं बनाया गया. आज तक जिला प्रशासन ने भी फुटकर विक्रेताओं के स्थायी समाधान के लिए कोई पहल नहीं की.
शहर में पार्किंग जोन का अभाव
शहर में कहीं भी पार्किंग जोन नहीं है. जबकि शहर में एनएच 31 के दोनों ओर काफी चौड़े क्षेत्रफल में भू-भाग पड़े हुए हैं. प्रशासन की इच्छाशक्ति के अभाव में पूरे पूर्णिया के वाहनों का भार सीधे रोड पर आ जाता है. लोग जहां-तहां रोड पर ही वाहन खड़ी करने को मजबूर हो जाते हैं जिससे हमेशा जाम की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर लोग सजग हो जायें तो जाम नहीं लगेगा.
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