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ठंड की दस्तक के साथ ही अंडे में उबाल, 15 फीसदी तक बढ़ गयी थोक बाजार में कीमत, जानिये अंडे से होने वाले फायदे

नयी दिल्ली : देश में ठंड ने अभी दस्तक ही दी है आैर इस मौसम में बड़े ही चाव से खाये जाने वाले अंडे का मूल्य बाजार में उबाल मारने लगा है. आलम यह कि थोक भाव में इसकी कीमतों में करीब 15 फीसदी तक इजाफा हो गया है. आलम यह कि ठंड आने के […]

नयी दिल्ली : देश में ठंड ने अभी दस्तक ही दी है आैर इस मौसम में बड़े ही चाव से खाये जाने वाले अंडे का मूल्य बाजार में उबाल मारने लगा है. आलम यह कि थोक भाव में इसकी कीमतों में करीब 15 फीसदी तक इजाफा हो गया है. आलम यह कि ठंड आने के पहले बाजार में जाे अंडा 5 रुपये में बेचा जा रहा था, अचानक उसकी कीमत 7 रुपये वसूली जा रही है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पुणे में किसान 100 अंडों की क्रेट को 585 रुपये में बेच रहे हैं. इसका मतलब यह बताया जा रहा है कि खुदरा बाजार में अंडा 6.5-7.5 रुपये की कीमत में मिल रहा है.

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गौरतलब है कि पिछले छह महीनों में पुणे में 100 अंडों की क्रेट की कीमतों में बड़ा उछाल आया है, जो 375 रुपये से बढ़कर 585 रुपये तक पहुंच गयी है. मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, तमिलनाडु के इरोड में स्थित एक अंडा उत्पाद निर्माता ने बताया कि सर्दी की मांग के कारण अंडे की कीमतों में आम तौर पर वृद्धि होती है, जबकि ब्रॉयलर दरों में कमी आती है. इसका कारण यह है कि आपूर्ति में वृद्धि होती है, लेकिन अंडे की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी कभी नहीं देखने को मिली.

सब्जियां महंगी होने पर अंडे की बढ़ जाती है खपत

राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति (एनईसीसी) के कार्यकारी सदस्य राजू भोंसले ने अंडे कीमतों में बढ़ोतरी को मांग में अनुमानित 15 फीसदी की बढ़ोतरी को श्रेय दिया. साथ ही, उन्होंने कहा कि जब सब्जियां बहुत महंगी हो जाती हैं, तो लोग अंडे पर जाते हैं, इसके साथ ही, अंडों की कीमत भी बढ़ जाती है. बता दें कि खुदरा बाजार में प्याज और टमाटर 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं, जबकि फूलगोभी और बैंगन के दाम 60-100 रुपये तक की ऊंची कीमतों पर है.

नोटबंदी से अंडे की मांग में आयी कमी

वहीं, एनईसीसी के मैसूर जोन के अध्यक्ष केपी सतीश बाबू ने अंडों की कीमतों में तेजी को नोटबंदी से जोड़ा. उन्होंने कहा कि 500 और 1,000 रुपये को अचानक बंद करने से अंडों की मांग में कमी हुई. तमिलनाडु एग पोल्ट्री फॉर्मर फेडरेशन के उपाध्यक्ष वंजीली सुब्रमण्यम के अनुसार, अंडे के थोक मूल्य में 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी का कारण व्यापक बारिश के बाद ठंड होना और दो से अधिक वर्षों के अंतराल के बाद कृषि गतिविधियों की शुरुआत होना है.

मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बच्चों को अंडे देने का दिया है आदेश

हिंदी की साप्ताहिक पत्रिका इंडिया टूडे में प्रकाशित लेख के अनुसार, पूर्व प्रधान न्यायाधीश तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने 15 अक्तूबर को कहा, ‘उन्हें अंडे दो." देश भर के स्कूलों में 10 करोड़ बच्चे हर रोज पके-पकाए भोजन का इंतजार करते हैं. कुछ के लिए यह दिन का पहला निवाला होता है तो ज्यादातर के लिए यही इकलौता पूरा भोजन होता है. उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा, अगर रोज रोटी-चावल, पनीली दाल या सांभर के साथ एक अंडा भी मिले. सरकारी स्कूलों में देश की समेकित बाल विकास सेवा और मिड डे मिल योजना के लिए अंडे के अलावा यही सब प्रस्तावित है. जिस दिन अंडे भी मिलने लगेंगे, वे दौड़े-दौड़े स्कूल चले आएंगे, चाहे पानी बरसे या आग. लेकिन कई बच्चों के लिए यह खुशी संभव नहीं लगती.

देश के 19 राज्यों में मिड डे मील से गायब हो गये अंडे

इंडिया टूडे के अनुमान के मुताबिक, एक के बाद एक राज्य मिड डे मिल से अंडे को हटा रहे हैं. भारत के 29 में से उत्तर और पश्चिम के 19 राज्य इस भोजन में अंडे को शामिल नहीं करते. मध्य प्रदेश के पक्के शाकाहारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2010 से ही स्कूलों के मिड डे मिल में अंडा शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज करते आए हैं. वे कहते हैं कि अंडों की जरूरत क्या है? मनुष्य का शरीर शाकाहारी भोजन के लिए ही उपयुक्त है." केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भी इसी राय की हैं, ‘अंडे पोषण के लिए अच्छे नहीं हैं. उनमें काफी कोलेस्ट्रॉल होता है, लेकिन 10 अक्तूबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट से पता चलता है कि देश पोषण संकट से गहरे घिरा है. अब यहां सबसे अधिक कुपोषित बच्चे हैं, सब सहारा अफ्रीकी देशों से भी अधिक. यही नहीं, भारत में सबसे अधिक मोटापे से ग्रस्त बच्चे (चीन के अलावा) भी हैं.

अंडा खाने से क्या मिलता है लाभ

डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, आदमी को रोजाना की ऊर्जा का 75 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से मिल सकता है. लेकिन अध्ययन से पता चला कि अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है. इसका मतलब यह होता है कि अपने भोजन में प्रसंस्कृत कार्बोहाइड्रेट घटाइए और प्राकृतिक वसा को बढ़ाइए. और हां, अंडे में पाया जाने वाला प्राकृतिक वसा उम्दा है. सितंबर में प्रतिष्ठित पत्रिका लैंसेट में छपा यह अध्ययन दुनिया भर में बढ़ती दिल की बीमारी पर काबू पाने के मामले में गेम चेंजर माना जा रहा है.

अंडा खाने से नहीं बढ़ता है दिल की बीमारी

प्योर अध्ययन के नतीजे कई नए शोध से मिलते हैं, जिनसे यह तथ्य उभरता है कि अंडे जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल वाली खाने की चीजों से दिल की बीमारी का खतरा नहीं बढ़ता. इनमें सबसे शुरुआती शोध में एक 2009 का है. ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे की टीम ने 30 देशों के डेटा का विश्लेषण किया और कहा कि ज्यादातर लोग अपनी सेहत बिगाड़े बिना जितना चाहे अंडा खा सकते हैं. सबसे ताजा अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड का है. इसके शोधकर्ताओं ने 21 साल तक 1,032 लोगों पर अध्ययन किया, जिनमें एक-तिहाई लोगों में दिल की बीमारी (और अलजाइमर्स) के खतरे वाले जींस थे. फरवरी 2016 में अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपे इस अध्ययन में कहा गया कि दिल की बीमारी की अधिक आशंका वाले लोगों को भी रोज एक अंडा खाने से खतरा बढ़ता नहीं है.

क्या है अंडों के सेवन की सच्चार्इ

इंडिया टूडे में प्रकाशित लेख के मुताबिक, बेशक, पुराने सवालों के नए जवाब जानने की ललक होगी. दिल्ली में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अशोक सेठ कहते हैं कि उभरते तथ्यों से संकेत मिलता है कि अंडे का विज्ञान चतुराई भरा और विवादास्पद रहा है. वे बताते हैं कि अंडों को बुरा बताने का रिवाज दिल की बीमारी और उसकी वजहों के बारे में पुरानी सोच की वजह से था. कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट (वसा) को सेहत के लिए खतरनाक बताया जाता रहा है और अंडे में इन दोनों की प्रचुरता है. वे बताते हैं कि पिछले दशक में हम जान पाये कि कोलेस्ट्रॉल शायद दिल की बीमारी में उतनी बड़ी भूमिका नहीं निभाता है, जितना पहले सोचा जाता रहा है. फिर, कोलेस्ट्रॉल को कम करने की कोशिश से अलग तरह की समस्याएं उभरती हैं. इसके अलावा, अंडे में और कई सेहतमंद तत्व होते हैं. वे बताते हैं कि अब लगता है कि अंडों के बारे में जानकारी पुरानी भ्रामक धारणाओं पर आधारित रही है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

मेदांता- द मेडिसिटी के सीएमडी डाॅ नरेश त्रेहन कहते हैं कि 1960 के दशक से ही अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने कोलेस्ट्राॅल को ब्लैक लिस्ट कर रखा था, लेकिन अब उसे किसी के लिए भी ज्यादा खाने पर भी चिंताजनक के रूप में नहीं रखा गया है. संयमित रूप से फैट्स का सेवन करना भी ठीक है, जिसमें बैड सेचुरेटेड भी शामिल है. कोलेस्ट्राॅल आैर फैट से भरपूर अंडा भी अब वनवास से वापस लौट आया है. अंडों को विवादित रहने के बारे में डाॅ त्रेहन कहते हैं कि इसका रिश्ता काफी कुछ कोलेस्ट्राॅल से है. अंडे के पीले हिस्से में वह 185 मिलीग्राम के बाराबर है. शुरुआती अध्ययानों में तो यह फर्क समझ में आता था, जैसा कि 1949 में आयी फ्रेमिंगहैम हार्ट स्टडी में कि ज्यादा वसा वाला खाना खाने से खून में कोलेस्ट्राॅल बढ़ जायेगा आैर उससे दिली की बीमारियों का जोखिम बढ़ जायेगा, लेकिन मोम सरीखा, चर्बी जैसा हर कोशिका में मौजूद यह तत्व दरअसल कोर्इ भयावह चीज नहीं है. हमारा शरीर हमारी जरूरत की वसा रोजाना बनाता है. बाकी हमें पशु भोजन यानी मांस, पाूल्ट्री आैर पूर्ण फैट वाले डेयरी उत्पाद आैर अंडों से मिलता है.

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