संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ की रिलीज डेट नजदीक आते ही इसका विरोध और उग्र हो गया है. कई संगठन सड़कों पर उतर आये है. सिनेमाघर को जलाने, हिंसा फैलाने और जाने से मारने की धमकी दी जा रही है. मेरठ के एक राजपूत नेता ने भंसाली के खिलाफ फरमान जारी कर कहा था कि जो भंसाली का सिर काटकर लायेगा उसे 5 करोड़ इनाम मिलेगा. इसी बीच खबर है कि मेवाड़ के पूर्व महाराजा अरविन्द सिंह मेवाड़, भंसाली और राजपूतों के बीच मध्यस्थता को तैयार हैं.
इंडिया टुडे से बातचीत में अरविन्द सिंह मेवाड़ ने इस बात का दावा किया है कि वो राजपूतों के गुस्से को शांत कर सकते हैं. उन्होंने कहा,’ मैं मध्यस्थता के लिए तैयार हूं. लोग मेरी बात मानेंगे. लेकिन पहले भंसाली इस फिल्म को एक पैनल को दिखाये. मैं इसमें उनकी मदद कर सकता हूं. हमें इस पागलपन को खत्म करने की जरुरत है.’
1 दिसंबर को फिल्म की रिलीज पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इंडिया टुडे को उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि फिल्म के निर्माताओं से सेंसर बोर्ड सख्त नाराज हैं. इसकी वजह है कि बोर्ड से सर्टिफिकेशन मिलने से पहले प्राइवेट स्क्रीन्स पर फिल्म को दिखाया जाना है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिये. सेंसर बोर्ड प्रमुख प्रसून जोशी भी नाराज है. सूत्रों ने यह भी बताया कि फिल्म का 3डी वर्जन भी अधूरा पड़ा है.
शशि थरुर के बयान पर अरविन्द सिंह मेवाड़ ने जवाब देते हुए कहा कि, क्या वो इतिहास जानते हैं? ब्रिटिश से पहले मुगल थे जो लड़ रहे थे.’ दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरुर ने कहा था,’ असलियत तो यह है कि इन तथाकथित महाराजाओं में हर एक…. जो आज मुंबई के एक फिल्मकार के पीछे हाथ धोकर पडे हैं, उन्हें उस समय अपने मान सम्मान की कोई चिंता नहीं थी जब ब्रिटिश इनके मान-सम्मान को पैरों तले रौंद रहे थे. वे खुद को बचाने के लिए भाग खडे हुए थे. तो इस सचाई का सामना करो …..इसलिए ये सवाल ही नहीं है कि हमारी मिलीभगत थी.