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बिहार की सियासत में तेजस्वी का बढ़ता कद और राहुल गांधी के साथ लंच के मायने, पढ़ें

पटना : कहते हैं सियासत में संबंधों की गर्मी राजनीतिक रास्ता तय करते हुए सत्ता तक पहुंचती है. कल तक बिहार के किसी राजनीतिक मंच पर पिता के आस-पास बैठे तेजस्वी यादव का मासूम चेहरा अब रणनीतिक रूप से बड़े नेताओं के साथ धीरे-धीरे टेबल टॉक में तब्दील होते जा रहा है. हालिया मामला है, […]

पटना : कहते हैं सियासत में संबंधों की गर्मी राजनीतिक रास्ता तय करते हुए सत्ता तक पहुंचती है. कल तक बिहार के किसी राजनीतिक मंच पर पिता के आस-पास बैठे तेजस्वी यादव का मासूम चेहरा अब रणनीतिक रूप से बड़े नेताओं के साथ धीरे-धीरे टेबल टॉक में तब्दील होते जा रहा है. हालिया मामला है, कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ तेजस्वी के लंच का. लंच की तस्वीरें सामने आने के बाद बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. जानकार, तरह-तरह की बातें कर रहे हैं और साथ ही तेजस्वी के सियासत में परिपक्व होने की बात कह रहे हैं. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि तेजस्वी का कद जिस कदर लगातार तेजी से बढ़ रहा है, वह बिहार की सियासत करने वाले तेजस्वी विरोधी नेताओं के लिए अच्छी खबर नहीं है. देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवा नेता और बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए तैयार युवा नेता का एक साथ किया गया यह लंच कई चर्चाओं को जन्म दे गया है.

दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में देश के दो युवा नेताओं की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे है. बताया जा रहा है कि यह मुलाकात एक अनौपचारिक मुलाकात थी. वहीं जब तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैरने लगीं, तो तेजस्वी विरोधी के साथ समर्थकों की नजरें भी इस मुलाकात पर गयीं. तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि लंच के लिए आपका शुक्रिया, व्यस्त कार्यक्रम के बीच समय निकालने के लिए शुक्रिया. एक साथ लंच में दोनों युवा नेताओं ने क्या बातचीत की यह किसी को पता नहीं है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दोनों नेता हाथ मिला सकते हैं.

वहीं कई लोगों का मानना है कि ऐसी कोई बात नहीं है. राहुल गांधी को यदि लालू के बेटों से हाथ मिलाना होता और कांग्रेस को पूरी तरह राजद को साथ लेकर चलने की बात होती, तो राहुल गांधी पटना में आयोजित राजद की रैली का हिस्सा जरूर बनते. यूपीए शासनकाल से ही राहुल गांधी लालू से दूरी बनाकर चल रहे हैं. हाल के दिनों में राजद की बैठकों में जब से लालू यादव ने तेजस्वी को राजनीतिक विरासत सौंपने की बात कही है, तब से कांग्रेस के नेता राजद से सटने लगे हैं. राहुल गांधी को यह पता है कि लालू यादव अब राजद में दोनों बेटों को आगे कर स्वयं मार्गदर्शक की भूमिका प्ले कर रहे हैं, इसलिए राहुल गांधी ने भविष्य की राजनीति को साधने के लिए तेजस्वी यादव के साथ बैठना पसंद किया.

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