दुमका : सदर अस्पताल में संसाधन की उपलब्धता के बावजूद सिजेरियन ऑपरेशन न होने के मामलों में मुख्य सचिव के आदेश पर गठित स्वास्थ्य विभाग की टीम रांची से शनिवार को दुमका पहुंचने वाली है. टीम सदर अस्पताल पहुंच कर जांच करेगी. उल्लेखनीय है कि सदर अस्पताल में अक्सर प्रसव के लिए पहुंचने वाली प्रसूता का सामान्य प्रसव तो कर दिया जाता है,
लेकिन जांच में अनियमितता मिलती है, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ इसके चपेट में आ सकते हैं. पिछले महीने ही मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य महकमे के वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान समीक्षा में पाया था कि अस्पताल में सामान्य प्रसव तो हो रहे हैं, लेकिन सिजेरियन ऑपरेशन नहीं हो रहा है. औसत से भी कम ऐसे ऑपरेशन हो रहे हैं. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ दिलीप केशरी के मुताबिक स्वास्थ्य निदेशक जेपी सिंह के नेतृत्व में शनिवार को जांच टीम दुमका पहुंच रही है.
बोले पदाधिकारी
सप्ताह में एक दिन चिकित्सक भेजने की व्यवस्था की जायेगी. इस केंद्र में बिजली कनेक्शन के लिए दो बार बिजली विभाग को लिखा गया है. बिजली का बिल आ गया. लेकिन आज तक बिजली का कनेक्शन केंद्र में नहीं किया गया है.
– डॉ एके झा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
मरीज केंद्र पहुंचते ही हो जाते हैं रेफर
केंद्र में दो एएनएम तथा लिपिक, लैब तकनीशियन, स्वास्थ्य प्रशिक्षक, पुरुष कक्ष सेवक व महिला कक्ष सेविका के एक -एक पद सृजित हैं. जिसमें एक मात्र डॉ पंकज कुमार बिराजी पदस्थापित थे. जो 2012 से एवं स्वास्थ्य प्रशिक्षक जनार्दन पाठक, लिपिक मनोज कुमार मंडल अन्यत्र प्रतिनियुक्त हैं. शुक्रवार को केंद्र में एएनएम मर्शिला सोरेन व लैब तकनीशियन के अनुपम टुडू मौजूद थे. एएनएम मर्शिला सोरेन ने बताया कि यहां पानी की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से प्रसव कराने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मामूली बीमारी के लिए दवा दी जाती है. जबकि आकस्मिक रोगी या जटिल प्रसव रोगी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिकारीपाड़ा रेफर कर दिया जाता है.
इस केंद्र में चिकित्सक की पदस्थापना कराने की शीघ्र पहल करना चाहिए. ताकि ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों के फेर में पड़ कर पैसे की बर्बादी करने से बच पाये और परेशानी भी कम हो
– राजीव लोचन साव
इस केंद्र में न तो बिजली की सुविधा है और न ही पानी की समुचित व्यवस्था है. जिससे शाम होते ही केंद्र अंधेरे में डूब जाता है. जिससे यहां आने वाले ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
– पंचानन केवट
इस केंद्र में एक तो चिकित्सक नहीं है और यह तीन बजे बंद भी हो जाती है. ऐसे में ग्रामीण साधारण बीमारी के इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर काटते हैं. नहीं तो सिउड़ी जाना पड़ता है.
– बासुकीनाथ मंडल
इस केंद्र में चिकित्सक से बगैर जांच के ही मामूली दवा दी जाती है. शीघ्र यहां चिकित्सक की पदस्थापन हो ताकि ग्रामीणों को मामूली बीमारी के लिए सिउड़ी या मोहुलपहाड़ी नहीं जाना पड़े.
– माणिक महतो