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विहिप ने कहा, राम मंदिर के संबंध में सबूत हिंदु के पक्ष में फिर बातचीत कैसी और क्यों ?

लखनऊ : विश्व हिन्दू परिषद ने आज कहा कि पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के उपरांत श्रीराम जन्म भूमि को लेकर सुलह-समझौते की रट का अब कोई औचित्य नहीं है,न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है. फिर बातचीत कैसी और क्यों. परिषद ने कहा कि श्री श्री रविशंकर देश के सम्मानित संत हैं और […]

लखनऊ : विश्व हिन्दू परिषद ने आज कहा कि पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के उपरांत श्रीराम जन्म भूमि को लेकर सुलह-समझौते की रट का अब कोई औचित्य नहीं है,न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष में है. फिर बातचीत कैसी और क्यों. परिषद ने कहा कि श्री श्री रविशंकर देश के सम्मानित संत हैं और हम उनका सम्मान करते हैं. उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि समझौते के तमाम प्रयास पहले भी हुये ,अनेक प्रधान मंत्री ,सरकारें और शंकराचार्य इसके लिए प्रयास करते रहे लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.

विहिप के प्रान्तीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने आज अयोध्या से जारी एक बयान में कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये सुझाव के उपरांत सुलह समझौता वादियों की सक्रियता कुछ अधिक ही बढ गयी है. कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हैं, जिनका इस आंदोलन में दूर-दूर तक कोई योगदान नहीं है. फिर भी वे समझौता अभियान चला रहे हैं.
क्या समझौता अयोध्या में एक और विभाजन को जन्म नहीं देगा. क्या विवाद सदैव स्थायी बना रहे. उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि हिन्दुओं की ही सम्पत्ति हैऔर वह ही दूसरों के सामने गिडगिडायें ऐसा अब नहीं होगा,मुस्लिम समाज खुद पूर्व में न्यायालय में दिये गये शपथ पत्र का पालन करते हुये अपनी याचिका वापस ले. जो लोग सुलह समझौते की बात कर रहे हैं, उनकी प्रत्येक गतिविधि पर विहिप नजर रख रही है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर था,मंदिर है और रहेगा. अब सिर्फ भव्यता देना बाकी है,जो संसद के माध्यम से ही होगा.
उन्होंने कहा कि श्रीराम इस देश के करोडों हिन्दुओं की आस्था ,श्रद्धा और सामाजिक समरसता के केंद्र हैं.वह अपनी जन्मभूमि पर विराजमान भी हैं.उनकी लगातार पूजा अर्चना होती आ रही है.उन्हें दुनिया की कोई शक्ति इधर से उधर नहीं कर सकती. बस उन्हें उनके भव्य मंदिर में विराजमान कराना ही उनके भक्तों का पवित्र लक्ष्य है.
उन्होंने कहा कि पेजावर मठ उडुप्पी ( कर्नाटक ) में 24 से 26 नंवबर के दौरान पंद्रहवी धर्मसंसदै का आयोजन किया जा रहा है.यह धर्म संसद देश में धार्मिक और सांस्कृतिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने वाली सिद्ध होगी।जिसमें देश के प्रमुख संत धर्माचार्यों की उपस्थिति रहेगी.

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